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शारदीय नवरात्रि: माता की भक्ति व इच्छाओं की पूर्ति पाने के लिए है 13वां अध्याय

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Published on: 22 Sep 2017 3:59 AM GMT
शारदीय नवरात्रि: माता की भक्ति व इच्छाओं की पूर्ति पाने के लिए है 13वां अध्याय
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सहारनपुर: शारदीय नवरात्रि को लेकर Newstrack आपको दुर्गा सप्तशती के विभिन्न अध्यायों का पाठ करने से होने वाले फायदों की जानकारी दे चुका है। आज हम आपको दुर्गा सप्शती के 13वें अंतिम अध्याय से आपको क्या लाभ होगा? की जानकारी प्रदान करेंगे।

श्री बालाजी धाम सहारनपुर के संस्थापक श्री अतुल जोशी जी महाराज बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती के बाहरवें अध्याय में देवी के विभिन्न चरित्रों के महात्यम की जानकारी दी गई थी, 13वां अंतिम अध्याय है।

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इस अध्याय में राजा सुरथ और वैश्य द्वारा देवी की अराधना किए जाने और देवी के दोनों को आशीर्वाद प्रदान किए जाने का वर्णन है। यह एक कथा मात्र नहीं है, बल्कि एक ऐसा ज्ञान है, जिसमें बताया गया है कि देवी की आराधना करने से आप क्या प्राप्त नहीं कर सकते। दुर्गा सप्तशती के इस अंतिम अध्याय का पाठ करने से मानव को माता की भक्ति प्राप्त होने के साथ ही समस्त इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है। इसलिए नवरात्रि में यदि आपको बहुत कुछ प्राप्त करना है तो दुर्गा सप्तशती के तमाम अध्यायों का एकाग्रचित्त होकर पाठ करें।

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नवरात्रि के अंतिम दिन सात वर्ष तक की कन्याओं का पूजन करें, उनके चरण स्पर्श करें। अपनी सामर्थ्य अनुसार उपहार प्रदान करें। इतना करने मात्र से आप अपनी समस्त इच्छाओं की पूर्ति कर सकते है। हां जो भी करें, सच्चे मन से करें, देवी पर विश्वास करें वह आपकी हर परेशानी कर हरण करने वाली देवी है। सभी का कल्याण हो। जय माता दी।

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