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ये हैं शास्त्रों में बताए गए नियम, जिनका पालन स्त्री और पुरुष दोनों के लिए जरूरी
हर मनुष्य सुख शांति व समृद्धि के साथ अच्छे और सुखी जीवन की कामन करते है। इसके लिए शास्त्रों में कई नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। वेद-पुराणों के कई खंड है इनमें ब्रह्मवैवर्त पुराण की बात कर रहे हैं बता दे कि कुछ ऐसे नियम है
जयपुर: हर मनुष्य सुख शांति व समृद्धि के साथ अच्छे और सुखी जीवन की कामन करते है। इसके लिए शास्त्रों में कई नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। वेद-पुराणों के कई खंड है इनमें ब्रह्मवैवर्त पुराण की बात कर रहे हैं बता दें कि कुछ ऐसे नियम है जिसका पालन स्त्री और पुरुषों दोनों को करना चाहिए।
यह पुराण वैष्णव पुराण है। इस पुराण के केंद्र में भगवान श्रीहरि और श्रीकृष्ण हैं। यह चार खंडों में विभाजित है। पहला खंड ब्रह्म खंड है, दूसरा प्रकृति खंड है, तीसरा गणपति खंड है और चौथा श्रीकृष्ण जन्म खंड है। इस पुराण में श्रेष्ठ जीवन के लिए कई सूत्र बताए गए हैं।
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दान का संकल्प,यदि हमने किसी को दान देने का संकल्प किया है तो इस संकल्प को तय तिथि पर किसी भी परिस्थिति में पूरा करना चाहिए। दान देने में यदि एक दिन का विलंब होता है तो दोगुना (दोगुणा) दान देना चाहिए।
सुबह ध्यान रखें ये बातें, स्त्री हो या पुरुष, सुबह उठते ही इष्टदेव का ध्यान करते हुए दोनों हथेलियों को देखना चाहिए। इसके बाद अधिक समय तक बिना नहाए नहीं रहना चाहिए।
रविवार को ध्यान रखें ,रविवार के दिन कांस्य के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए। इस दिन मसूर की दाल, अदरक, लाल रंग की खाने की चीजें भी नहीं खाना चाहिए।
ध्यान रखें ये बातें, हम जब भी कहीं बाहर से लौटकर घर आते हैं तो सीधे घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। मुख्य द्वार के बाहर ही दोनों पैरों को साफ पानी से धो लेना चाहिए। इसके बाद ही घर में प्रवेश करें। ऐसा करने पर घर की पवित्रता और स्वच्छता बनी रहती है।
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स्त्रियां को ध्यान रखनी चाहिए ये बातें, जो स्त्रियां अपने पति को डांटती हैं, सताती हैं, पति की आज्ञा का पालन नहीं करती हैं, सम्मान नहीं करती हैं, उनके पुण्य कर्मों का क्षय होता है। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार जो स्त्रियां वाणी द्वारा दुख पहुंचाती हैं वे अगले जन्म में कौए का जन्म पाती हैं। पति के साथ हिंसा करने वाली स्त्री का अगला जन्म सूअर के रूप में होता है।
ऐसे लोगों से दूर रहें, बुरे चरित्र वाले इंसान के साथ एक स्थान पर सोना, खाना-पीना, घूमना-फिरना वर्जित है। क्योंकि किसी व्यक्ति के साथ बात करने से, शरीर को छूने से, एक स्थान पर सोने से, साथ भोजन करने से, एक-दूसरे के गुणों और दोष आपस में संचारित अवश्य होते हैं। जिस प्रकार पानी पर तेल की बूंद गिरते ही वह फैल जाती है, ठीक उसी प्रकार बुरे चरित्र वाले व्यक्ति के संपर्क में आते ही बुराइयां हमारे अंदर प्रवेश कर जाती हैं।
सूर्य और चंद्र को अस्त होते ना देखे, सूर्य और चंद्र को अस्त होते समय नहीं देखना चाहिए। यह अपशकुन माना गया है। ऐसा करने पर आंखों से संबंधित रोग होने की संभावनाएं रहती हैं। सूर्य को उदय होते समय देखना बेहद फायदेमंद होता है। इसी वजह से सुबह जल्दी उठने की प्राचीन परंपरा है।
इनका अनादर न करें, हमें किसी भी परिस्थिति में पिता, माता, पुत्र, पुत्री, पतिव्रता पत्नी, श्रेष्ठ पति, गुरु, अनाथ स्त्री, बहन, भाई, देवी-देवता और ज्ञानी लोगों का अनादर नहीं करना चाहिए। इनका अनादर करने पर यदि व्यक्ति धनकुबेर भी हो तो उसका खजाना खाली हो जाता है।
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इन तिथियों पर ध्यान रखें ये बातें, पंचांग के अनुसार किसी भी माह की अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि पर स्त्री संग, तेल मालिश और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
इन चीजों को जमीन पर न रखें, दीपक, शिवलिंग, शालग्राम (शालिग्राम), मणि, देवी-देवताओं की मूर्तियां, यज्ञोपवीत, सोना और शंख को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। इन्हें नीचे रखने से पहले कोई कपड़ा बिछाएं या किसी ऊंचे स्थान पर रखें।
दिन के समय न करें समागम (सेक्स), दिन के समय और सुबह-शाम पूजन के समय स्त्री और पुरुष को समागम (sex) नहीं करना चाहिए। जो लोग यह काम करते हैं, उन्हें महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है। कई प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से स्त्री और पुरुष, दोनों को आंख और कान से जुड़े रोग हो सकते हैं।
पुरुषों को ध्यान रखनी चाहिए ये बात, पुरुषों को कभी भी पराई स्त्रियों को बुरी नजर से नहीं देखना चाहिए। कभी भी मल-मूत्र को भी नहीं देखना चाहिए। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार ये काम विनाश की ओर ले जाते हैं। इनसे दरिद्रता बढ़ती है।