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Budaun Seat: प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई यूपी की यह सीट, तीनों उम्मीदवार नए लेकिन दिग्गजों की साख दांव पर

Budaun Seat: यूपी के बदायूं सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। इस सीट पर चुनाव में तीनों उम्मीदवार नए हैं, लेकिन इनके सहारे बड़े-बड़े दिग्गजों की साख दांव पर लगी है। आइए, जानते हैं बदायूं का समीकरण।

Aniket Gupta
Published on: 2 May 2024 2:26 PM IST
Budaun Seat: प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई यूपी की यह सीट, तीनों उम्मीदवार नए लेकिन दिग्गजों की साख दांव पर
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Budaun Lok Sabha Seat: लोकसभा के तीसरे चरण के मतदान को लेकर अब महज 4 से 5 दिनों का समय शेष है। राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने हिस्से की तैयारियों में जुटी हैं। दलों के स्टार प्रचारक अलग-अलग राज्यों में जाकर चुनावी जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। यूपी में तीसरे चरण के तहत 10 सीटों पर मतदान होगा। इनमें आगरा, आंवला, बदायूं, बरेली, एटा, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, हाथरस, मैनपुरी और संभल सीट शामिल हैं। इस फेज के चुनाव में यूपी में एक ऐसी सीट है जिसपर भले ही उम्मीदवार सभी नए हो, लेकिन इनके सहारे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। प्रदेश में भाजपा, सपा और बसपा के लिए बदायूं सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। सियासी सूरमा अपने बयानों के जरिये एक-दूसरे पर वार-पलटवार करते दिख रहे हैं।

दुर्विजय सिंह से सीएम योगी की उम्मीदें बढ़ीं


बदायूं सीट पर बीजेपी ने इस बार मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काट दिया और उनकी जगह दुर्विजय सिंह शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है। इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी दुर्विजय सिंह को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि वह तो खुद दावेदार भी नहीं थे। संगठन के काम में व्यस्त थे। इससे यह साफ होता है कि संगठन के साथ खुद सीएम योगी की साख तक इस सीट के चुनाव परिणाम से जुड़ी हुई है।

सपा से यादव खानदान का वारिस मैदान में


दूसरी तरफ सपा में इस सीट को लेकर काफी फेरबदल देखने को मिला। सपा के लिए यह सीट काफी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस सीट से मुलायम सिंह यादव के परिवार से आने वाले धर्मेंद्र यादव दो बार सांसद रहे। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ रहीं संघमित्रा मौर्य ने उन्हें मामूली अंतर से हराया था। अब इस बार सपा इस सीट को अपने खाते में वापस लाना चाहती है। इसको लेकर पहले सपा ने इस सीट से धर्मेंद्र यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। बाद में उनका टिकट काटते हुए शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाया। फिर अंत में शिवपाल यादव का भी टिकट काटते हुए उनके ही बेटे आदित्य यादव को चुनावी मैदान में उतारा। ऐसे में इस सीट पर सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव की साख दांव पर लगी है।

बसपा ने भी लगाया जोर


वहीं इस सीट से बसपा ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। बता दें, बदायूं लोकसभा क्षेत्र की बिल्सी विधानसभा सीट से मायावती खुद विधायक रह चुकीं हैं। उन्होंने सपा के परंपरागत मुस्लिम वोटरों में सेंध लगाने के लिए बदायूं सीट से पूर्व विधायक मुस्लिम खां को चुनावी मैदान में उतारा है। ऐसे में बसपा भी इस सीट पर अपना पूरा जोर दिखा रही है। इसी के साथ बदायूं सीट पर इस बार का मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। तीनों पार्टी की मजबूत दावेदारी की वजह से यहां त्रिकोणिय मुकाबला देखने को मिलने वाला है।

बदायूं सीट का चुनावी इतिहास

इस सीट के इतिहास की बात करें तो 1996 के लोकसभा चुनाव में पहली बार सपा को इस सीट पर जीत मिली थी। 1996 में पहली बार सपा के सलीम इकबाल शेरवानी ने जीत हासिल की। इसके बाद सलीम लगातार इस सीट से 3 बार सांसद चुने गए। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा ने अपना उम्मीदवार बदला। मुलायम सिंह ने अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव को बदायूं से उम्मीदवार बनाया। धर्मेंद्र यादव ने बीएसपी उम्मीदवार डीपी यादव को हराया। 2014 में भी धर्मेंद्र यादव इस सीट पर अपना कब्जा जमाने में कामयाब रहे। 2014 में दूसरे नंबर पर भाजपा के वागीश पाठक रहे। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की संघमित्रा मौर्य ने सपा के धर्मेंद्र यादव पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की।

बदायूं का जातीय समीकरण

बदायूं सीट की जातिय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या करीब 14 लाख है। जिनमें सबसे अधिक यादव और मुस्लिम जाति के वोटर्स हैं। सबसे ज्यादा यादव कुनबे के 4 लाख मतदाता हैं। जबकि मुस्लिम वोटरों की संख्या 3.5 लाख है। बदायूं में गैर-यादव ओबीसी मतदाता की संख्या करीब 2.5 लाख है। वहीं वैश्य और ब्राह्मण समुदाय के वोटरों की बात करें तो करीब 2.5 लाख है। इस सीट पर दलित वोटर पौने दो लाख के करीब हैं।

Aniket Gupta

Aniket Gupta

Senior Content Writer

Aniket has been associated with the journalism field for the last two years. Graduated from University of Allahabad. Currently working as Senior Content Writer in Newstrack. Aniket has also worked with Rajasthan Patrika. He Has Special interest in politics, education and local crime.

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