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Etah News: पुलिस भर्ती में मेडिकल के नाम पर करोड़ों की अवैध वसूली का खुलासा, दो डॉक्टर गिरफ्तार
Etah News: मुख्यमंत्री पोर्टल पर एक युवक द्वारा की गई शिकायत में आरोप लगाया गया था कि मेडिकल परीक्षण में अभ्यर्थियों को जानबूझकर अनफिट घोषित किए जाने का भय दिखाकर उनसे लाखों रुपये की अवैध वसूली की जा रही है।
Etah News: उत्तर प्रदेश के एटा जनपद में उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी भर्ती 2023 की शारीरिक एवं चिकित्सीय परीक्षण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने अवैध वसूली की शिकायत पर संज्ञान लिया, जिसके बाद प्रशासन और पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए भ्रष्टाचार के इस नेटवर्क का पर्दाफाश किया। आरोप है कि डॉक्टरों द्वारा अभ्यर्थियों से बड़ी रकम वसूली जा रही थी।
मुख्यमंत्री पोर्टल पर एक युवक द्वारा की गई शिकायत में आरोप लगाया गया था कि मेडिकल परीक्षण में अभ्यर्थियों को जानबूझकर अनफिट घोषित किए जाने का भय दिखाकर उनसे लाखों रुपये की अवैध वसूली की जा रही है। इस शिकायत पर मुख्य मंत्री कार्यालय के आदेश पर त्वरित कार्रवाई करते हुए अपर जिलाधिकारी प्रशासन सत्य प्रकाश व अपर पुलिस अधीक्षक राजकुमार सिंह ने एटा स्थित सुमित्रा डायग्नोस्टिक सेंटर पर छापा मारा। छापे के दौरान सेंटर की डीवीआर जब्त की गई और दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था। डीवीआर से की गयी पुलिस जांच में पता चला कि उक्त केंद्र पर डॉ. अनुभव अग्रवाल एवं डॉ. राहुल वार्ष्णेय द्वारा भर्ती प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों से पैसे लेकर उनके फर्जी मेडिकल परीक्षण किए जा रहे थे। वायरल वीडियो और फोटो में डॉक्टरों को अभ्यर्थियों से पैसे लेते तथा निजी स्थान पर परीक्षण करते हुए देखा गया।
डॉक्टर राहुल वार्ष्णेय और डॉक्टर अनुभव अग्रवाल गिरफ्तार
कोतवाली नगर पुलिस ने 9 मई को डॉक्टर राहुल वार्ष्णेय (निवासी विजय नगर, एटा) और डॉक्टर अनुभव अग्रवाल (निवासी परिणय कुंज, आगरा) को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में दोनों ने स्वीकार किया कि वे मेडिकल में अनफिट घोषित किए जाने का भय दिखाकर अभ्यर्थियों से लाखों रुपये की वसूली कर रहे थे। गिरफ्तारी करने वाली टीम के प्रभारी निरीक्षक अमित कुमार, उपनिरीक्षक अभिषेक वत्सल, उपनिरीक्षक मघेन्द्र सिंह, कांस्टेबल जितेन्द्र सिंह की इस कार्रवाई के बाद जिले भर में हड़कंप मच गया है। हालांकि प्रशासनिक अधिकारी इस विषय पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं, जिससे आमजन में प्रशासनिक लीपापोती की आशंका भी गहराने लगी है।
शासन की मुस्तैदी से भ्रष्टाचार पर शिकंजा,तो कसा है लेकिन अब ज़रूरत है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कठोर दंड मिले, ताकि भविष्य में कोई भर्ती प्रक्रिया में इस प्रकार का खेल न खेल सके। अब सवाल उठता है कि आखिर इस पूरे नेटवर्क के पीछे सफेद पोश कौन है ? इस पूरी घटना को छुपाने के लिए आखिर मीडिया से प्रशासन इतनी दूरी क्यों बनाए हुए हैं ? जो लगभग 24 घंटे बाद प्रशासन ने अपनी चुप्पी तोड़ी है, वह भी सिर्फ एक विज्ञप्ति के माध्यम से, आधी अधूरी सूचना देकर खाना पूर्ति कर दी गयी है।
पूरे नेटवर्क में कितने लोग शामिल?
कोतवाली नगर पुलिस द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति में अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस पूरे नेटवर्क में कितने लोग शामिल हैं तथा इसका सरगना कौन है ? आखिर शेष पकड़े गए लोगों के बारे में पुलिस चुप्पी सादे क्यों बैठी है ? विज्ञप्ति में यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि एक व्यक्ति से कितने रुपए की वसूली की गई ? जब मुलजिम पकड़ लिया गया तो उसने यह भी बताया होगा कि उसने कितने रुपए लेकर ऐसा कार्य किया, कहीं इसके पीछे कुछ और तो नहीं?
घटना की जानकारी के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्याम नारायण सिंह से कई बार फोन किया पर उठाया नही, आखिर वह मीडिया से बच क्यों रहे। जबकि पुलिस किसी बड़े खुलासे पर स्वयं प्रेस कांफ्रेंस करके सब कुछ बताती है।
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