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Gorakhpur News: अस्पतालों में फैल रहा बैक्टीरिया, दवाओं का हो रहा है असर कम

Gorakhpur News: अस्पतालों में बैक्टीरिया का खतरा, दवाओं का कम हो रहा है असर। स्वास्थ्य प्रशासन में गंभीरता से लिया गया नोटिस।

Purnima Srivastava
Published on: 12 March 2025 9:00 AM IST (Updated on: 12 March 2025 9:03 AM IST)
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Image From Social Media)

Gorakhpur News: टीबी उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अभियान को गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों के एक शोध से झटका लगा है। शोध में खुलासा हुआ है कि टीबी मरीजों को दी जा रही दवाएं बेअसर हो गई हैं। वजह, बैक्टिरिया प्रतिरोधी हो गए हैं। DDU के प्रोफेसरों के शोध से स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी है।

शोध से यह भी साफ हुआ है कि इलाज में लापरवाही और दवाओं का सही तरीके से सेवन न करने के कारण टीबी और खतरनाक हो रही है। इसके कारण ड्रग-प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी और एक्सडीआर-टीबी) के मामले बढ़ रहे हैं। यह अध्ययन क्यू-2 स्तर के जर्नल ‘स्प्रिंगर नेचर’ के करंट माइक्रोबायोलॉजी में मार्च महीने में प्रकाशित हुआ है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के वैज्ञानिकों ने मिलकर यह शोध किया है। शोध में 1253 टीबी मरीजों के नूमनों की जांच की गई, जिसमें 355 में ड्रग प्रतिरोधी टीबी पाई गई। इनमें से 28.6 प्रतिशत मरीजों में दूसरी पंक्ति की दवाओं (एसएलडी) के प्रति भी प्रतिरोध पाया गया, जिससे इलाज और कठिन हो गया। पुरुषों में इसका खतरा ज्यादा देखा गया। वहीं महिलाओं में यह समस्या छोटी उम्र में ही सामने आ रही है। पहले से इलाज करा चुके मरीजों में दवा प्रतिरोधी टीबी की आशंका अधिक पाई गई। सबसे अधिक प्रतिरोधी मामलों का प्रतिशत बस्ती (36.67), सिद्धार्थनगर (32.55), गोरखपुर (31.88) और कुशीनगर (25.64) जिलों में पाया गया।

चिकित्सकों का कहना है कि टीबी जैसी गंभीर बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन यदि मरीज दवाएं अधूरी छोड़ दें या गलत तरीके से लें तो टीबी के बैक्टीरिया दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं। यानी सामान्य टीबी की दवाएं इन मरीजों पर असर नहीं करतीं और इलाज लंबा, कठिन और महंगा हो जाता है। शोध में एडीआर-टीबी और एक्सडीआर-टीबी पर चिंता व्यक्त की गई है। कुलपति प्रो.पूनम टंडन का कहना है कि यह अध्ययन पूर्वांचल में टीबी के उन्मूलन में मील का पत्थर साबित होगा। हमें लोगों को अधिक जागरूक करने की जरूरत है, ताकि वे सही समय पर इलाज कराएं और दवाओं का पूरा कोर्स लें।

गोरखपुर-बस्ती मंडल के सात जिलों के मरीजों पर शोध

यह शोध पूर्वांचल के सात जिलों (गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर और बस्ती) में किया गया है। इसके लिए नमूने नवम्बर 2023 से मई 2024 के बीच लिए गए। शोध में पता चला कि कई मरीजों पर टीबी की दवाएं असर नहीं कर रही हैं, क्योंकि बैक्टीरिया इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो गए हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अमरेश कुमार सिंह, डीडीयू के प्राणी विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुशील कुमार और शोधार्थी नंदिनी सिंह के इस शोध से टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में नई रणनीति विकसित करने में मदद मिलेगी।

Ramkrishna Vajpei

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