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Health Scam in UP: एनएचएम एम्बुलेंस खरीद में करोड़ों का घपला, जांच शुरू
Health Scam in UP: यह घोटाला 3018 एंबुलेंस की महत्वपूर्ण फीचर्स में बदलाव करके किया गया है। मामले की जांच शुरू कर दी गयी है। अभी तक 15 करोंड़ की घपलेबाजी सामने आयी है।
Health Scam in UP: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में करोंड़ो का भ्रष्टाचार सामने आया है। जानकारी के अनुसार एंबुलेंस खरीद में करोड़ों का खेल हुआ है। यह घोटाला 3018 एंबुलेंस की महत्वपूर्ण फीचर्स में बदलाव करके किया गया है। मामले की जांच शुरू कर दी गयी है। अभी तक 15 करोड़ की घपलेबाजी सामने आयी है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) में वर्ष 2018 में पहले चरण में 662, दूसरे चरण में 812 और तीसरे चरण में 1544 एंबुलेंस खरीदे गए। जेम पोर्टल के माध्यम से तीनों चरणों में कुल 3018 एंबुलेंस खरीदी गईं। प्रत्येक एंबुलेंस की कीमत लगभग 15 लाख रुपये थी। सप्लायर कंपनी ने NHM को एंबुलेंस की आपूर्ति भी कर दी गयी। लेकिन ब्लोअर सहित कई तकनीकी फीचर एंबुलेंस नहीं थे। इसी बीच कोविड कहर आया और एंबुलेंस मरीजों को लाने ले जाने में लगा दिया गया। कोविड खत्म होने के बाद खेल का खुलासा हुआ।
कोविड के दौरान ही उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन लिमिटेड के जरिए नए एंबुलेंस खरीदी गए। एंबुलेंस में ब्लोअर के साथ अन्य हीटिंग उपकरण नही पाए गए। इसके बाद भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक ने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कराने के लिए कहा। इसके साथ ही उन्होने यह भी कहा कि आपूर्तिकर्ता कंपनी ने विभाग को दिए गए शपथ पत्र में जिस विशिष्टता का जिक्र किया था, वह आपूर्ति के समय एंबुलेंस से हटा दिए गए हैं। इसके साथ ही महानिदेशालय द्वारा जांच शुरू कर दिया गया है।
लगभग 15 करोंड़ का खेल
प्राप्त जानकारी के अनुसार एंबुलेंस से ब्लोअर, हीटिंग सहित अन्य उपकरण हटाने की कीमतों का अभी आकलन किया जा रहा है। अभी तक के आकलन के अनुसार प्रत्येक एंबुलेंस से लगभग 50 हजार रुपये के फीचर हटाए गए हैं। इस प्रकार खरीदे गए कुल 3018 एंबुलेंस से लगभग 15 करोड़ 09 लाख रुपये का घपला हुआ है।
मामले की जांच की जा रही है। बता दें कि एंबुलेंस बनाने वाली कंपनियों के वाहन की टेस्टिंग एवं सर्टिफाइड करने की जिम्मेदारी आटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) की है। यह एक केंद्रीय एजेंसी है। NHM द्वारा खरीदे गए एंबुलेंस के मॉडल नंबर को एआरएआई को भेजा गया है। जिससे यह स्पष्ट हो सके कि वह सर्टिफाइड थी या नहीं। खरीदते समय उसमें कौन-कौन से फीचर मौजूद थे। उसी के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।