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UP Election 2022: अखिलेश व शिवपाल गठबंधन, जीत की ओर एक निर्णायक कदम !

UP Election 2022: आगामी विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है सभी दल अपना मजबूत ठिकाना ढूंढ रही हैं। बहुत पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने , यह कह कर कि सभी दलों से गठबंधन (Akhilesh Yadav Alliance Shivapal Yadav) करेगें, इस गठबंधन की राह खोल दी।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 16 Dec 2021 4:55 PM GMT (Updated on: 9 Jan 2022 7:46 PM GMT)
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अखिलेश व शिवपाल गठबंधन Photo - Newstrack

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav 2022) में सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) पर निरंतर बढ़त बनाते दिख रहे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आज यहाँ मास्टर स्ट्रोक खेल कर दिखा दिया। इस मास्टर स्ट्रोक की ज़रूरत लंबे समय से दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच महसूस की जा रही थी।

लेकिन गुरूवार की शाम अपने चाचा व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Pragatisheel Samajwadi Party) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) के यहाँ पहुँच कर गठबंधन (Akhilesh Yadav Alliance Shivapal Yadav) होने का जो ट्विट किया, उससे न केवल यादव बेल्ट में वोटों के बँटवारे पर विराम लग गया। बल्कि दोनों के समर्थकों के बुलंद हौसले भी देखे जा सकते हैं।

अखिलेश यादव ने खोली गठबंधन की राह

हालाँकि बहुत पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav Statement) ने , यह कह कर कि सभी दलों से गठबंधन करेगें, इस गठबंधन की राह खोल दी। पर जब अखिलेश यादव व शिवपाल यादव के रथ सूबे में आमने सामने दौड़ने लगे तो एक बार राजनीतिक पंडितों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। यही नहीं, अपनी रथयात्रा से पहले और बीच में भी शिवपाल सिंह यह कहते हुए सुने गये कि वह समझौता ही नहीं, पार्टी विलय करने को तैयार हैं। लेकिन यह भी ध्वनि उनसे सुनी गयी कि भतीजा व सपा अध्यक्ष उनकी सुनने को ही तैयार नहीं हैं।


photo - social media

ज़मीन पर पार्टी के लिए काम शिवपाल यादव ने ही किया है

पर अपनी सरकार बनाने के अभियान में शिद्दत से जुड़े अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav News) के लिए यह समझना मुश्किल नहीं था कि भाजपा (BJP) से लड़ने के लिए शिवपाल यादव का साथ ज़रूरी है। क्योंकि शिवपाल सिंह यादव के साथ न रहने की वजह से लोकसभा में सपा को अपनी पारंपरिक -कन्नौज, इटावा, फ़िरोज़ाबाद, बदायूँ जैसी सीट गँवानी पड़ी। सपा को चालीस बयालीस सीटों का नुक़सान बीते विधानसभा चुनाव में भी उठाना पड़ा था। वजह शिवपाल यादव व अखिलेश यादव के बीच उपजी दरार थी। मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav News) सपा का चेहरा रहे हैं। पर ज़मीन पर पार्टी के लिए काम शिवपाल यादव ने ही किया है।

photo - social media

दोनों के वोट एकदम कॉमन

यही वजह है कि पुरानी पीढ़ी के सभी सपाई नेता व कार्यकर्ता उनके क़रीब उसी तरह रहे हैं, जैसे आज युवा सपा नेता व कार्यकर्ता खुद को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के क़रीब पाते व मानते हैं। अखिलेश व शिवपाल के बीच गठबंधन (akhilesh shivpal gathbandhan) इसलिए भी ज़रूरी था क्योंकि दोनों के वोट एकदम कॉमन हैं। पर जिस तरह शिवपाल यादव ने पार्टी का सांगठनिक ढाँचा पूरे उत्तर प्रदेश में खड़ा किया है, उसमें दोनों नेताओं के लिए जिन भी सीटों पर शिवपाल यादव के उम्मीदवार उतरेंगे वहाँ अखिलेश यादव को और जहां से अखिलेश यादव के उम्मीदवार होंगे वहाँ शिवपाल यादव को अपने कार्यकर्ताओं व नेताओं को समझाना कम टेढ़ी खीर नहीं होगा। पर यह सफलता की गारंटी तय करेगा।

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