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उत्तराखंड में देसी प्रसाद से महिला सशक्तीकरण,मंदिरों को बनाया जरिया
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरु होने का समय नजदीक आ गया है। यात्रा के दौरान इस बार तीर्थ यात्रियों को स्थानीय उत्पादों से बना प्रसाद मिलेगा। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ धाम में 3 महिला स्वयं सहायता समूहों ने स्थानीय
देहरादून: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरु होने का समय नजदीक आ गया है। यात्रा के दौरान इस बार तीर्थ यात्रियों को स्थानीय उत्पादों से बना प्रसाद मिलेगा। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ धाम में 3 महिला स्वयं सहायता समूहों ने स्थानीय उत्पादों, मंडुआ, कुट्टू व चौलाई से प्रसाद तैयार किया और स्थानीय रेशों जैसे कि बांस और रिंगाल से बनी टोकरियों में इसकी पैकेजिंग की।
10-10 महिलाओं के तीन समूहों ने बदरीनाथ धाम में मात्र दो महीने में स्थानीय उत्पादों से निर्मित 19 लाख रुपए का ऑर्गेनिक प्रसाद बेचा। प्रसाद की इनपुट लागत 10 लाख रुपए रही और 9 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ। इस तरह समूह की प्रत्येक महिला को 30 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त हुई। इस प्रयोग की सफलता के बाद उत्तराखण्ड के 625 मंदिरों में स्थानीय उत्पादों से निर्मित प्रसाद बेचा जाएगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि किसानों की आय दोगुना करने, कृषि के अलावा अन्य साधनों को उनकी आमदनी से जोड़ने व महिला सशक्तीकरण के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने मंदिरों के प्रसाद को जरिया बनाया है। इससे स्थानीय फसलों को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में हर वर्ष लगभग 3 करोड़ श्रद्धालु आते हैं, इनमें से मात्र 80 लाख श्रद्धालुओं को 100-100 रूपये का प्रसाद बेचा जाए तो महिला समूहों को 80 करोड़ की आय हो सकती है।
इससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बन सकेंगी, महिला समूहों और किसानों को उनके प्रोड्क्ट का उनके घर पर ही अच्छा मूल्य मिल पाएगा और स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा मिल सकेगा। प्रत्येक मन्दिरों के आस-पास स्थानीय उत्पादों पर आधारित प्रसाद के स्टॉल लगने से स्वयं सहायता समूहों को फायदा तो होगा ही साथ ही स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
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