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Devshayani Ekadashi 2025 :देवशयनी एकादशी 2025 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, योग और महत्व

Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी या हरिशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु 4 माह के लिए शयन करते हैं , भगवान शिव इस समय सृष्टि के संचालन का काम देखते हैं। शयनी एकादशी के दिन से ही चतुर्मास के आरंभ के साथ सारे शुभ काम बंद हो जाते हैं।

Suman  Mishra
Published on: 6 Jun 2025 7:45 AM IST
Bharat Mein Bhagwan Vishnu Ke Famous Mandir
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Devshayani Ekadashi Kab Hai 2025 देवशयनी एकादशी के दिन से ही भगवान विष्णु के निद्राकाल के साथ चतुर्मास शुरू हो जाता है। इस दिन से सारे शुभ काम वर्जित रहते हैं। शादी, मुंडन गृह प्रवेश और सोलह संस्कारों में से कुछ शुभ काम बंद हो जाते है। चतुर्मास की अवधि आषाढ़ के एकादशी से कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी तक रहता है।

आषाढ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस दिन से सृष्टि के पालनहार का निद्रा काल शुरू हो जाता है। वैसे तो सारी एकादशियों का अपना महत्व है, लेकिन देवशयनी एकादशी के दिन व्रत और पूजा से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। इस साल 2025 में देवशयनी या हरिशयनी एकादशी 6 जुलाई को पड़ेगी।

देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि 5 जुलाई को शाम 6:58 बजे शुरू होगी और 6 जुलाई को रात 9:14 बजे समाप्त होगी।
उदया तिथि के अनुसार 6 जुलाई को ही यह व्रत रखा जाएगा। पारण (व्रत तोड़ने) का समय 7 जुलाई को सुबह 5:29 बजे से 8:16 बजे तक रहेगा।
इस दिन सूर्य मिथुन राशि में होगा, और चातुर्मास की शुरुआत होगी, जो 1 नवंबर तक चलेगा।

देव शयनी एकादशी वार - रविवार 6:58 ,6 जुलाई 2025

एकादशी तिथि शुरू -6:58, 5 जुलाई

एकादशी तिथि समाप्त - रात 9:14 बजे 6 जुलाई

पारणा का समय: सुबह 5:29 बजे से 8:16 बजे तक रहेगा

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त - 12:04 PM – 12:58 PM

अमृत काल - 12:50 PM – 02:37 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:14 AM – 05:02 AM

त्रिपुष्कर योग - Jul 06 09:15 PM - Jul 06 10:41 PM

सर्वार्थसिद्धि योग - Jul 07 05:51 AM - Jul 08 01:11 AM

हरिशयनी एकादशी के दिन श्रीविष्णु को नये वस्त्र और नये बिस्तर पर सुलाया जाता है। ऐसा करने से भगवान विष्णु भक्तों से प्रसन्न होते हैं और उन्‍हें मनचाहा आर्शीवाद देते हैं। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा काल से पहले सारा कार्यभार भगवान शिव को सौंप कर चतुर्मास के लिए राजा बलि के यहां निद्रा शयन में जाते हैं। इसी चतुर्मास के दौरान सावन का पवित्र मास लगता है। इस दौरान शिव पूजन और उनकी महिमा का बखान करना अतिउत्तम होता है।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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