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सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार, कहा- उमर अब्दुल्ला को जल्द करें रिहा, वरना...

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने सरकार से दो टूक बात कही।

Aradhya Tripathi
Published on: 18 March 2020 3:05 PM IST
सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार, कहा- उमर अब्दुल्ला को जल्द करें रिहा, वरना...
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने सरकार से दो टूक बात कही। कोर्ट ने केंद्र से अगले सप्ताह तक उसे सूचित करने के लिए कहा कि क्या वह जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हिरासत से रिहा कर रहा है। अदालत ने कहा कि अगर आप उमर अब्दुल्ला को रिहा कर रहे हैं तो उन्हें जल्द रिहा कीजिए वरना हम हिरासत के खिलाफ उनकी बहन की याचिका पर सुनवाई करेंगे।

सरकार जल्द ले फैसला

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश वकील से कहा कि अगर अब्दुल्ला को जल्द रिहा नहीं किया गया तो वह इस नजरबंदी के खिलाफ उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट की बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करेगी। पीठ ने कहा, 'यदि आप उन्हें रिहा कर रहे हैं तो जल्द कीजिये वरना हम इस मामले की गुणदोष के आधार पर सुनवाई करेंगे।'

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बेंच ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन के वकील ने सूचित किया कि इस मामले में पेश हो रहे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता इस समय दूसरे न्यायालय में बहस कर रहे हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से अनुरोध किया कि इस मामले की सुनवाई के लिये कोई नजदीक की तारीख निर्धारित की जाए।

बहन ने दी हिरासत को चुनौती

इस अनुरोध पर बेंच ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था की वजह से इस समय शीर्ष अदालत में सिर्फ छह पीठ काम कर रही हैं। पीठ ने कहा, 'संभवत: हम अगले सप्ताह बैठ रहे हैं और इस मामले को उस समय लिया जा सकता है।'

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उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने जम्मू कश्मीर लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत उमर अब्दुल्ला की हिरासत को चुनौती दी है। इससे पहले सारा ने सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर प्रशासन के उस दावे को नकार दिया, जिसमें कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा होगा। उमर अब्दुल्ला पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान रद्द किए जाने के बाद से हिरासत में हैं।

व्यक्ति की मौजूदगी मात्र से कैसा खतरा

सारा ने सोमवार को कहा कि अपने भाई के वेरिफाइड फेसबुक अकाउंट की छानबीन करने पर वह यह देखकर चौंक गईं कि जिन सोशल मीडिया पोस्ट को उनके भाई का बताया गया है और जिसका दुर्भावनापूर्ण तरीके से उनके खिलाफ इस्तेमाल किया गया है, वह उनका नहीं है।

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अपनी याचिका पर जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा दायर जवाब के उत्तर में सारा ने कहा, 'इस बात से इनकार किया जाता है कि हिरासत में बंद व्यक्ति की महज मौजूदगी और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने भर से सार्वजनिक व्यवस्था कायम रखने को आसन्न खतरा है। पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य में लोगों की जान जाने के बारे में तथ्यात्मक आंकड़े मौजूदा विवाद के उद्देश्यों के लिये पूरी तरह अप्रासंगिक हैं।'



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Aradhya Tripathi

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