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Hazarat Ali Martyrdom : हजरत अली की शहादत पर निकला ताबूत का जुलूस, अली-अली की गूंजी सदायें
Hazarat Ali Martyrdom : हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत पर उनकी याद में ताबूत का जुलूस अकीदत और एहतराम के साथ निकाला गया। ताबूत का जुलूस गुरुवार सुबह की नमाज के बाद शबी-ए-नजफ रुस्तम नगर से कर्बला तालकटोरा तक ले जाया गया।
Hazarat Ali Martyrdom: हजरत अली की शहादत का गम मनाने का सिलसिला सोमवार की रात से शुरू हो गया है, जो 13 अप्रैल को सुबह तक चलता रहा। शिया समुदाय के लोगों ने मजलिसें कीं तो मातमी जुलूस भी निकाला। जुलूस रोजा-ए-काजमैन थाना सआदतगंज से शुरू होकर मंसूर नगर तिराहा, गिरधारी सिंह कुंवर इण्टर कॉलेज, टुडिय़ागंज तिराहा से दायें मुड़कर बाजारखाला, हैदरगंज, होते हुए तालकटोरा जाकर समाप्त हुआ। लोग अपने घरों की छत से भी ताबूत की जियारत कर रहे थे।
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देर रात तक चला मजलिसों का दौर
हज़रत अली की शहादत में रोज़ाए नजफ़ व रेज़िडेन्सी में मौलाना कलबे जवाद ने मज़लिस को ख़िताब किया। मौलाना ने हज़रत अली की शहादत का बयान किया तो मौजूद सभी लोग दुखी हो गए। इमामबाड़े लाडो खानम नकखाँस में मौलाना अशकरी ने मज़लिस को ख़िताब दिया। मंजलिस के बाद ताबूत उठाया गया।
क्यों निकाला जाता है जुलूस रोज़ा ए काज़मैन
21वे रमज़ान को फज़्र की नमाज़ अदा करी गयी। जुलूस में शामिल होने दूर दूर से लोग आए। 19वे रमज़ान के दिन हज़रत अली को नमाज़ की हालत में एक व्यक्ति ने तलवार से गिरा दिया था। उसके ठीक दो दिन बाद 21वे रोज़े के दिन हज़रत अली शहीद हुए। इनकी याद में सभी शिया समुदाय के लोग जुलूस निकलते है।
जुलूस के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
जुलूस में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन द्वारा कड़े इंतज़ाम किए गए थे। जुलूस के रास्तों पर पड़ने वाली ऊंची इमारतों पर पुलिस के जवानों को मुस्तैद किया गया था। जुलूस से पहले ड्रोन कैमरो से पुराने लखनऊ के मकानों की छतों की निगरानी की गई।