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Gomti River Pollution: ओद्योगिक कचरों से अशुद्ध हो रही गोमती नदी

Gomti River Pollution: लखनऊ की प्रसिद्ध गोमती नदी को मान्यताओं के अनुसार मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। माना जाता है गोमती नदी में एकादशी के दिन स्नान करने से सभी के पाप धुल जाते है।

Vertika Sonakia
Published on: 26 April 2023 6:23 PM IST
Gomti River Pollution: ओद्योगिक कचरों से अशुद्ध हो रही गोमती नदी
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ओद्योगिक कचरों से अशुद्ध हो रही गोमती नदी(फ़ोटो:सोशल मीडिया)

Gomti River Pollution: लखनऊ में गोमती नदी पवित्र नदियों में से एक है जो वाराणसी, सादीपुर में जाकर गंगा में विलीन होती है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग है। यह नदी उद्योग धंधो और बस्तियों के कचड़े से दिन पर दिन मैली होती जा रही है।
“ग्रहणे काशी मकरे प्रयाग
चैत्र नवमी अयोध्या, दशहरा धोपाप।”
यह कहावत सम्पूर्ण अवध छेत्र में गोमती नदी की महत्वता को रेखांकित करती है जिसे ब्रम्हऋषि वशिष्ठ की पुत्री की संज्ञा पौराणिक कथाओं में दी जाती है।

गोमती नदी की उत्पत्ति
गोमती नदी पीलीभीत के गोमती ताल से उत्पन्न होकर 960 किलोमीटर का सफ़र तय करते हुए वाराणसी, सादीपुर में जाकर इसका मिलाप होता है।

गोमती नदी में बढ़ता प्रदूषण

वर्तमान समय में गोमती की धारा न केवल थमती नज़र आ रही है बल्कि उसका पानी दिन पर दिन दूषित और काला होता जा रहा है। गोमती का दूषित होना यह दर्शाता है कि गोमती नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे है। सीवर निस्तारण के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है, इसके बाद भी गोमती नदी में दूषित पानी गिरता है। इसकी हालत से इस बात का यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि केवल 185 मिनिमल लिक्विड डिस्चार्ज (एमएलडी) सीवर का ही हिस्सा निस्तारण हो रहा है। जबकि 490 एमएलडी का पूरा निस्तारण गोमती नदी में गिरता है।

गोमती नदी में बढ़ते प्रदूषण के कारण

• गोमती नदी में प्रतिदिन होता सीवर निस्तारण इसकी गंदगी का एक मुख्य कारण है।
• प्रतिदिन गोमती में जाता औद्योगिक और बस्तियों का कचड़ा।
• सामाजिक और धार्मिक रीति-रिवाज जैसे-नदी में लोगों का नहाना, शवों का पानी में बहाना।
• गोमती नदी में अपशिष्टों का बहाव।

लखनऊ के किन घाटों पर हैं गोमती नदी मैली

शहीद स्मारक और शनि मंदिर घाट के पास गोमती का पानी सबसे अधिक दूषित है। वर्तमान में गोमती नदी का डिसॉल्व ऑक्सीजन लेवल सबसे खतरनाक है। इन इलाकों में पानी में डिजॉल्वड ऑक्सीजन की मात्रा 0.5एमजी प्रति लीटर और 0.4एमजी प्रति लीटर है। यह जीव जंतुओं और पौधों के लिए सबसे खतरनाक साबित हो सकता है।

न्यूज़ट्रैक द्वारा लखनऊवासियों से बात करने पर पता चला कि दिन पर दिन गोमती बाद का जलस्तर गिरता जा रहा है। अब गोमती नदी नहीं नाले समान रह गयी है।
सरिता खालखो समाजशास्त्र प्रोफ़ेसर,आईटी कॉलेज लखनऊ कहती है “आधुनिकतावाद तथा मानव प्रगति के साथ मानव और नदी का सम्बंध केवल भौतिक आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए ही रह गया है। मनुष्य ने नदी के साथ सम्बन्धो के गूढ़ रहस्यों को भुला दिया है इसी कारण गोमती एवं अन्य नदियों में प्रदूषण प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। नदियों का अस्तित्व ही ख़तरे में पड़ गया है। नदी सभी प्रकार की गंदगी को साफ़ करने का एक माध्यम बन गयी है। इसके सौंदर्यीकरण के लिए कृत्रिम साधनो का प्रयोग होता है जिससे नदी के प्राकृतिक गुण ख़त्म हो रहे है। इसके अतिरिक्त सरकारी योजनाएँ समय-समय पर बनती है लेकिन इनका पूर्ण होना एक कठिन कार्य है। सभी बड़े-बड़े उद्योगों से सरकार लाभान्वित होते है जिससे वह सुचारु रूप से सदैव चलते रहते है। धार्मिक क्रिया कलापो में प्रयोग होने वाली केमिकल युक्त वस्तुयें भी गोमती को दूषित करती है। नदी के पानी को उसकी मुख्य जलधारा से अलग करके प्रयोग किया जाए। साथ ही गोमती नदी की उपयोगिता एवं उसके अस्तित्व के बारे में जागरूकता फैलायी जाए।”

मुदिता कुमार, सीएमएस अध्यापिका कहती है “गोमती नदी 100 किलोमीटर के इलाके में एक मृत नदी के समान है। नदी में से फ़ोम और अपशिष्ट एवं नाइट्रोजन, अमोनिया और फॉस्फेट का बढ़ता स्तर जो जलीय पौधे और चिड़ियों के लिए नुकसानदायक है। गर्मी में पानी की स्तिथि गंभीर होने पर यह समस्या और बढ़ेगी। वॉटरटेबल के घटने से भी यह समस्या बढ़ेगी।”



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