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Ujjain ka Mahakal Mandir: महाकाल की नगरी में कोई मंत्री-प्रधानमंत्री नहीं गुजार सकता एक रात, जाने रहस्यमयी राज
Unsolved Mysteries Of Mahakal Mandir Ujjain: उज्जैन नगरी में रात को रूकने को लेकर कई सालों से एक मिथक है कि यहां कोई भी राजा-महाराजा, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री यानी अपने पद का वरिष्ठ व्यक्ति रात में नहीं रूकता है।
Ujjain ka Mahakaleshwar Mandir: देवों के देव महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन में है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बाबा के भक्तों को दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। महाकालेश्वर मंदिर में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन क्या आपको बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के बारे में ये रहस्य है कि यहां महाकारी की नगरी में कोई भी बड़ा नेता रातभर नहीं रूकता है। वैसे महाकाल के दर्शन के लिए बड़े-बड़े कलाकार, नेता-नगरी के लोग, मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति आते हैं, पर रात में रूकने से डरते हैं। आखिर ऐसा क्यों? आइए आपको बताते हैं महाकाल की नगरी के इस रहस्य के बारे में।
महाकालेश्वर मंदिर के बारे में ये है मान्यता
उज्जैन नगरी में रात को रूकने को लेकर कई सालों से एक मिथक है कि यहां कोई भी राजा-महाराजा, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री यानी अपने पद का वरिष्ठ व्यक्ति रात में नहीं रूकता है। ऐसा माना जाता है कि बाबा महाकाल को उज्जैन का राजाधिराज यानी राजा माना जाता है। तो ऊपर बताए गए मिथक के पीछे ये मान्यता है कि एक राज्य में कभी भी दो राजा नहीं रूक सकते हैं।
इस मान्यता का उल्लंघन जिन लोगों ने भी किया, लेकिन बाद में उन्हें उसका परिणाम भी भुगतना पड़ा। इस मान्यता का पालन आज भी लोग करते हैं। आइए बताते हैं किन लोगों ने इस मान्यता को नहीं माना।
ये बड़ी हस्तियां रूकी रात में
भारत की आजादी के बाद जब देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई उज्जैन में महाकालेश्वर के दर्शन करने पहुंचे। तो उन्होंने उज्जैन में एक रात गुजारी। फिर उसके अगले दिन ही उनकी सरकार गिर गई।
एक बार कर्नाटक के सीएम वाईएस येदियुरप्पा भी उज्जैन गए। यहां येदियुरप्पा एक रात के लिए रूके। उस दिन से 20 दिन के अंदर उन्हें अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया।
मध्य प्रदेश के शासन-प्रशासन में रहने वाले मुख्यमंत्री-मंत्री भी उज्जैन में रात के समय नहीं रूकते हैं। और तो और अगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी यहां जाते हैं तो वे दिन ही दिन रहते उज्जैन से वापस आ जाते हैं।
इस बारे में मंदिर से जुड़े तमाम रहस्य और सिंघासन बत्तीसी के मुताबिक, राजा भोज के समय से ही कोई भी राजा उज्जैन महाकाल की नगरी में रात में रूकता नहीं है।