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Chitrakoot News: गैंगस्टर एक्ट मामले में कोर्ट ने उठाया सवाल, एक साल से अधिक की देरी से दाखिल हुआ आरोप पत्र; पुलिस की कार्यप्रणाली पर आपत्ति

Chitrakoot News: कोर्ट ने पाया कि आरोप पत्र को अदालत में पेश करने में एक वर्ष दो माह की असाधारण देरी हुई है, जिससे मामले की वैधानिकता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

Sunil Shukla (Chitrakoot)
Published on: 5 July 2025 9:45 PM IST
Chitrakoot News: गैंगस्टर एक्ट मामले में कोर्ट ने उठाया सवाल, एक साल से अधिक की देरी से दाखिल हुआ आरोप पत्र; पुलिस की कार्यप्रणाली पर आपत्ति
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गैंगेस्टर एक्ट मामले में कोर्ट ने उठाया सवाल   (photo: social media )

Chitrakoot News: चित्रकूट में विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर एक्ट रवि दिवाकर की अदालत ने बहिलपुरवा थाने में जेसा नायक और अन्य के खिलाफ दर्ज गैंगेस्टर एक्ट के एक मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर आपत्ति जताई है। कोर्ट ने पाया कि आरोप पत्र को अदालत में पेश करने में एक वर्ष दो माह की असाधारण देरी हुई है, जिससे मामले की वैधानिकता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

अदालत ने समस्त अभियोजन प्रपत्रों का गहनतापूर्वक अध्ययन किया, जिसमें कई विधिक कमियां सामने आईं। कोर्ट ने बताया कि आरोपी को जारी सम्मन तो पैरोकार को प्राप्त हो गया है, लेकिन उसकी तामीला (अनुपालन रिपोर्ट) अभी तक कोर्ट को प्राप्त नहीं हुई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विवेचक ने 23 अप्रैल 2024 को विवेचना समाप्त कर दी थी, परंतु आरोप पत्र न्यायालय के समक्ष 12 जून 2025 को, यानी करीब एक वर्ष दो माह के विलंब से प्रस्तुत किया गया।

हाईकोर्ट से संबंधित कई मामलों का उल्लेख करते हुए, कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रकरण में गैंग चार्ट 20 सितंबर 2023 को सीओ सिटी ने अग्रसारित किया था, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट के लघु हस्ताक्षर तो हैं, लेकिन नीचे तिथि अंकित नहीं है। इसके अलावा, नोडल अधिकारी एएसपी की गैंग चार्ट के संबंध में कोई संस्तुति या संस्तुति सहित पत्र पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने यह भी पाया कि अनुमोदन के संबंध में जिलाधिकारी (DM) और पुलिस अधीक्षक (SP) की कोई संयुक्त बैठक (जॉइंट मीटिंग) नहीं हुई है, जो प्रक्रियागत अनियमितता को दर्शाता है।

अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तिथि निर्धारित

न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तिथि निर्धारित की है। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह का कहना है कि न्यायालय के आदेश का परीक्षण कराकर उसका विधिवत अनुपालन किया जाएगा। इस घटना ने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और मामलों को निपटाने में लगने वाले समय पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।

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Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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