Chaitra Navratri:मां के 9 रूपों को पसंद हैं ये पुष्प, मिलेगा मनचाहा फल
मां शक्ति की पूजा षोडशोपचार विधि से की जाती है। इस पूजा में पुष्प अर्पित करने का भी विधान है
लखनऊ आज चैत्र नवरात्रि ( Chaitra Navratri)शुरू हो रही है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि या फिर बासंतिक नवरात्रि कहा जाता है। इस बार चैत्र नवरात्रि मंगलवार (Tuesday)13 अप्रैल 2021 से शुरू हो रही हैं। ये नौ दिन मां आदिशक्ति की पूजा करने के लिए बहुत ही खास होते हैं। इन नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है।
मां शक्ति की पूजा षोडशोपचार विधि से की जाती है। इस पूजा में पुष्प अर्पित करने का भी विधान है। इससे देवी देवता प्रसन्न होती हैं, लेकिन पुष्प अर्पित करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत आवश्यक होता है। कुछ ऐसे फूल हैं जिन्हें अर्पित करने से मां भवानी अत्यंत खुश होती है, तो वहीं कुछ फूल अर्पित करने से मां दुर्गा नाराज हो सकती हैं इसलिए फूल अर्पित करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। जानते हैं कि नवरात्रि में मां दुर्गा को कौन से फूल चढ़ाएं और कौन से फूल न चढ़ाएं।
फूल जो माता रानी के करीब लाएं
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विशेष फूलों (Flowers)से ही किसी भी देवी-देवता( God-Goddess)की पूजा होती है। इसलिए किसी देव की प्रतिमा या तस्वीर पर फूल अर्पित करते हैं, तब साधक को प्रतिमा के चैतन्य का लाभ अतिशीघ्र मिलता है। नौ दिनों तक नौ अलग-अलग तरह के फूल दुर्गा देवी को चढ़ाने चाहिए। जानते हैं कि कौन सी माता को कैसे फूल अर्पित करने चाहिए।
13 अप्रैल से शुरू हो रहे नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है।मां का ये स्वरुप सात्विक है। मां को सफेद कनेर के फूल और माला चढ़ानी चाहिए। इससे माता रानी का सानिध्य प्राप्त होता है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां के इस रूप की पूजा में पत्तों की माला चढ़ानी चाहिए।जो भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्र घंटा की पूजा की जाती है। मां के इस रूप को शंखपुष्पी के फूल अर्पित करने चाहिए। इससे अच्छा जीवनसाथी मिलता है।
हर इच्छा पूरा करने वाले फूल
मां कूष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। माता रानी को पीले रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। इससे जीवन में समृद्धि बढ़ती है।
स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है। इस दिन मां को नीले रंग के पुष्प अर्पित करने चाहिए। इससे सर्वगुण संपन्न संतान की प्राप्ति होती है।
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। मां कात्यायनी को बेर के वृक्षों के फूल अर्पित करने चाहिए। इससे जिन जातको की शादी नहीं हो रही है उनकी शादी हो जाती है।
मां कालरात्रि को नवरात्रि के सातवें दिन पूजते हैं। मां काली को प्रसन्न करने के लिए गुंजामाला अर्पित करनी चाहिए।
मां महागौरी ( Mahagauri)को नवरात्रि के आठवें दिन पूजा करते हैं।इस दिन इस स्वरुप को प्रसन्न करने हेतु उन्हें फूल की जगह कलावा की माला अर्पित करनी चाहिए।
मां सिद्धिदात्री को नवरात्रि नौवें दिन रामनवमी ( Ramnavami)पर गुड़हल के फूल अर्पित करने चाहिए और इस दिन श्रीराम को कनेर का फूल चढ़ाना चाहिए।
दुर्गा होती हैं नाराज
देवी मां कभी भी अपवित्र स्थलपर उत्पन्न हुए, जो फूल सही से नहीं खिले हैं अर्थात कलियां, बिखरी हुई पंखुड़ियों वाले, गंधरहित अथवा तीव्र गंधवाले, सूंघे हुए पुष्प धरती पर गिरे हुए, बाएं हाथ से लाए गए पुष्प अर्पित नहीं करने चाहिए। इसके अलावा किसी के यहां से बिना आज्ञा के तोड़े गए फूल, पानी में डुबोकर धोए हुए पुष्प कभी नहीं चढ़ाने चाहिए।