जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति बनाता है जातक को खुशहाल, जानिए कैसे?
मनुष्य का व्यवहार समय समय पर बदलता रहता है। कई बार खुद के व्यवहार पर आश्चर्य भी होता है आप किसी के साथ तो बहुत विनम्र तो किसी के साथ न चाहते हुए भी कठोर हो जाते हैं। दरअसल हम अपने आस-पास के लोगों के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं।
लखनऊ: मनुष्य का व्यवहार समय समय पर बदलता रहता है। कई बार खुद के व्यवहार पर आश्चर्य भी होता है आप किसी के साथ तो बहुत विनम्र तो किसी के साथ न चाहते हुए भी कठोर हो जाते हैं। दरअसल हम अपने आस-पास के लोगों के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं। सामान्य परिस्थितियों में हमारी प्रतिक्रिया एवं जीवन में होने वाली घटनाओं के बीच हमारा बर्ताव, हमारी भावनाएं, व्यक्तिगत इच्छाएं, हमारी अभिलाषाएं, गंभीरता, मस्तिष्क संरचना और मस्तिष्क से जुड़े विविध आयाम हमारी कुंडली में बैठा चंद्रमा तय करता है। यही कारण है कि जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति का अत्यधिक महत्व है।
कहा जाता है कि सूर्य की काम का फल चंद्रमा देता है। ज्योतिष में चंद्रमा, शशि या सोमा सूर्य के बाद दूसरा नक्षत्र है। यह बहुत महत्वपूर्ण ग्रह है। यदि सौर मंडल में सूर्य राजा है तो चंद्रमा रानी। चंद्रमा मन, जज्बातों एवं भावनाओं का प्रतीक है। चंद्रमा हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शांत ग्रह
चंद्रमा संवेदनशील, शांतिप्रिय, शांत, सुखी, देखभाल करने वाला, स्नेही, सुंदर होने के बाजवूद कुछ मामलों को लेकर अस्पष्ट एवं उलझन में रहने वाला है। चंद्रमा राशिचक्र की चौथी राशि का स्वामी है और वृषभ में यह उच्च का होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा की 27 पत्नियां हैं, जिनको 27 नक्षत्रों के रूप में भी जाना जाता है। चंद्रमा आंतरिक और बाहरी दुनिया के बीच मध्यस्थ का काम करते हैं।
आम तौर पर, ज्योतिष में चंद्रमा माता एवं मां पक्ष के रिश्तों, ममता, बचपन, दूध, सफेद, मोती, चांदी एवं इससे बनी वस्तुओं वस्त्र और परिधानों, चेहरे की चमक एवं सुंदरता, समुद्र और महासागरों का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा को अति उच्च लाभकारी ग्रह माना जाता है क्योंकि चंद्रमा प्रचुर स्मृद्धि, मानसिक शांति, मस्तिष्कीय शक्ति, वैभवपूर्ण एवं आरामदेह जीवन, स्वादष्टि भोज, दोस्तों एवं परिवार से सहायता दिलाने में मदद करता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में चंद्रमा सही जगह स्थित है।
दो पक्षों के बीच कड़ी
चंद्रमा हर राशि के बीच से गुजरने के लिए ढ़ाई दिन का समय लेता है। यह बहुत तेज गति से पारगमन करने वाला ग्रह है और राशि चक्र का पूर्ण चक्कर लगभग 30 दिनों में पूरा कर लेता है। चंद्रमा का पूर्णिमा की तरफ बढ़ना शुक्ल पक्ष कहलाता है और अमावस्या की तरफ बढ़ने को कृष्ण पक्ष के नाम से जाना जाता है। चंद्रमा के पारगमन से चंद्रमा कैलेंडर का निर्धारण होता है, जो हम को तिथि और नक्षत्रों से रुबरु करवाता है।
चंद्रमा को भगवान शिव धारण करते हैं और ऐसे में चंद्रमा को प्रसन्न किया जाए तो खुशहाल जीवन का आशीर्वाद स्वत: शिवजी देते हैं। ये उपाय कुछ इस तरह है...
*आप प्रत्येक सोमवार को शिव की पूजा करें। इसके लिए आप महामृत्युञ्जय मन्त्र एवं शिव पंचाक्षरी मंत्र (ओम नम:शिवाय) का जाप करें।
*इसके अलावा आप 108 बार ओम सोम सोमाय नमः का जाप करें।
*हर सोमवार सुबह किसी भी शिव मंदिर में जाकर दूध, पानी एवं बेलपत्र आदि अर्पित कर सकते हैं।
*कभी कभार जरूरतमंद लोगों को चांदी, चांदी की वस्तुएं या सफेद धातु के बर्तन दान करें।
*शिव मंदिर के बाहर बैठे गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को सफेद वस्तुएं या कपड़े दान करें।दयालु बनें और महिलाओं की मदद करें।