Petrol-Diesel Price: कल से बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम! आज ही करवा ले टैंक फुल

Petrol-Diesel Price: आज के कारोबार में ब्रेंट क्रूड 115 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है। कीमतों में उछाल के पीछे मांग में बढ़ोतरी को जिम्मेदार बताया गया है।

Published By :  Shreya
Update: 2022-05-17 14:10 GMT

पेट्रोल-डीजल की कीमत (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Petrol-Diesel Price: चौतरफा महंगाई से त्रस्त आम लोगों के लिए एक और बुरी खबर है। कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Price) एकबार फिर बढ़त देखने को मिल रही है। क्रूड कीमतें 7 हफ्ते के उच्चतम स्तर पर जा पहुंची है। रिपोर्ट के मुताबिक, आज के कारोबार में ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) 115 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है। कीमतों में उछाल के पीछे मांग में बढ़ोतरी को जिम्मेदार बताया गया है। ट्रेडर के मुताबिक, अगर मांग में तेजी बनी रही और सप्लाई में कमी आई तो इसका असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol And Diesel Rate) पर पड़ना तय है।

कीमतों में उछाल की वजह

कच्चे तेल की कीमतों में आज आए उछाल के पीछे यूरोपियन यूनियन और चीन को जिम्मेदार बताया जा रहा है। अंतराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी राययर्स के मुताबिक, यूरोपियन यूनियन इन दिनों रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों का शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों पर दवाब देखने को मिला है। रूस यूरोप का सबसे बड़ा तेल और प्राकृतिक गैस का सप्लायर है। रूसी तेल पर प्रतिबंध के बाद अन्य सप्लायरों पर दवाब बढ़ेगा, जिससे बाजार में तेल की आपूर्ति में कमी आ सकती है।

वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी के भीषण दंश का एकबार फिर से सामना कर रहे चीन में लॉकडाउन खुलने के आसार हैं। सबसे सख्त लॉकडाउन से गुजर रहे शंघाई में बीते तीन दिनों में कोई नया केस कोरोना का नया मिला है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में वहां जल्द चीजें सामान्य होंगी और आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू होगी। जिसके कारण चीन में कच्चे तेल की मांग में उछाल आ सकता है।

पेट्रोल-डीजल के दाम पर असर

भारत में पेट्रोल-डीजल के खुदरा मुल्यों को लेकर जनता पहले से ही काफी परेशान है। छह अप्रैल के बाद से तेल कंपनियों ने पेट्रोल – डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण उनका घाटा काफी बढ़ जाएगा। कंपनियां इसका कुछ भार निश्चिततौर पर आम जनता पर जरूर डालेगी। भारत सरकार फिलहाल रूस से सस्ती कीमतों पर कच्चा तेल खरीद रही है। मगर कुल आयात में इसकी मात्रा उतनी नहीं है कि भारत के तेल खरीद पर कोई बड़ा असर डाल सके।

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