कई कोचों ने इस प्लेयर को कर दिया था खरिज, अब खेलेगा FIFA फाइनल

Update: 2018-07-13 11:42 GMT

लखनऊ: इंग्लैंड को हराकर पहली बार क्रोएशिया टीम फीफा विश्व कप का फाइनल खेलने जा रही है। इस सफर में उनके कप्तान और शानदार मिडफील्डर लूका मोड्रिक की अहम भूमिका रही है। फिलहाल वह दुनिया के सबसे कीमती फुटबॉलर्स में से एक हैं। 32 वर्षीय इस खिलाड़ी ने यहां तक पहुंचने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया था। उसे कई कोचों ने खेल में शर्मिला बताकर खेलने से मना कर दिया था। newstrack.comआपको लुका मोड्रिक की अनटोल्ड स्टोरी बयां कर रहा है।

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रिफ्यूजी की तरह बीता बचपन

लूका मोड्रिक का जन्म 9 सितंबर 1985 को क्रोएशिया में हुआ था। 8 दिसंबर 1991 को सर्बियाई लड़ाकों ने उनके गांव मोद्रिची पर हमला कर दिया था और क्रोएशियाई परिवारों को अपना शिकार बनाया था।

1991 में यूगोस्लोवाकिया के टूटने के बाद ही यह देश दुनिया के नक्शे पर आया था। गैर-सर्बियाई लोगों को इसका काफी नुकसान झेलना पड़ा था।

मोड्रिक सिर्फ छह साल के थे तब उनके दादा को एक दिन आतंकवादियों ने गोली मार दी। लूका के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उनके मां- बाप दोनों ही एक फैक्ट्री के अंदर काम करते थे। वे वहां से लूका की अच्छी परवरिस के लिए उसके दादा को पैसे भेजते रहते थे।

लूका ने बचपन में कई दिनों तक ग्रेनेड और बमबारी को काफी नजदीक से देखा था। उन्हें अपनी जान बचाने के लिए युद्ध-प्रभावित इलाके में कुछ दिनों तक रिफ्यूजी की तरह जीवन बिताना पड़ा था।

सदमें से पार पाने के लिए खेल की तरफ बढ़ाया कदम

दादा की डेथ के बाद अचानक से लूका अकेला पड़ गया था। मां बाप घर से काफी दूर एक फैक्ट्री में काम करते थे। वे उसके पास नहीं तत्काल नहीं पहुंच सकते थे।

सर्बियाई लड़ाकों ने उसके गांव में काफी नुकसान पहुंचाया था। उसका घर जला दिया गया था। उसे कई दिनों तक बिना बिजली और पानी के ही रहना पड़ा था।

जान बचाने के लिए परिवार समेत उसे कुछ दिनों तक रिफ्यूजी कैम्प में जाकर शरण लेनी पड़ी थी। गोलीबार देखकर उसे सदमा लगा था इस सदमें से पार पाने के लिए उसने फ़ुटबाल खेलना शुरू कर दिया।

होटल को बना दिया खेल का मैदान

लूका का घर जला दिया गया था। कुछ दिनों तक कैंप में रहने के बाद अपने गांव से दूर एक होटल में जाकर रहना पड़ा। वह जादार के एक होटल में रहे वहां पर भी जंग जारी थी।

हालांकि इन सबके बावजूद उन्होंने फुटबॉल का साथ नहीं छोड़ा। आस-पास चलती गोलियां और फूटते हथगोलों की आवाज भी उनके फुटबॉलर बनने के सपने को तोड़ नहीं पाई।

उनकी युवावस्था यहां के कोलोवेर होटल में बीती। उन्होंने होटल को ही फुटबॉल का मैदान बना लिया और उस होटल के इतने शीशे तोड़े जितने बमों से भी नहीं टूटे थे। वह लगातार होटल परिसर में ही फुटबॉल खेला करते थे।

कई कोचों ने कर दिया था ख़ारिज

लूका को बचपन से ही फुटबॉल का शौक था लेकिन जब वह 10 साल के थे तो कई कोचों ने यह कहकर उन्हें खारिज कर दिया था कि वह फुटबॉल नहीं खेल सकते। वह फुटबॉल खेलने के लिए काफी कमजोर और शर्मीले हैं।

ऐसे में उनके एक पुराने कोच टॉमिस्लाव बेसिक ने अपने संबंधों का फायदा उठाते हुए उन्हें डायनामो जेग्रेब क्लब का ट्रायल दिलवाया।

यहां से उनकी प्रतिभा में निखार आया और फिर वह टॉन्टम और रियाल मैड्रिड पहुंचे। और फिर वह क्लब और देश के लिए खेलने लगे।

 

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