वो दर्द से तड़पता रहा, डॉक्टर बोले- परेशान न करो वरना मेडिकल लीव लेकर चला जाऊंगा
यूपी के शामली जिले के गांव हसनपुर लिसाड निवासी महिला मुकेश का 25 वर्षीय पुत्र दीपक पिछले लगभग 1 माह से बुखार से पीड़ित चल रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते महिला अपने पुत्र का इलाज नहीं करा पा रही है।
शामली :
धरती पर जिस डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है जब उसकी ही संवेदना मर जाये तो मरीज और उसके तीमारदार कहां जाए । यूपी के शामली में डाक्टरों का ऐसा ही गैर संवेदनशील चेहरा सामने आया है। यहां के कांधला राजकीय अस्पताल में एक महिला अपने बीमार बेटे को लेकर जब पहूँची तो किसी डॉक्टर ने उसे देखने की ज़रूरत नहीं समझी बीमार घंटों फर्श पर पड़ा तडफता रहा। जब हमारे संवाददाता ने इस बारे में वहां मौजूद मेडिकल स्टाफ से बात करनी चाही तो वहां मौजूद डाक्टर ने उससे कहा कि ज्यादा परेशान करोगे तो मै भी मेडिकल लीव लेकर चला जाऊंगा, मेडिकल लीव से मुझे कोई नही रोक सकता।क्या है पूरा मामला ?
गांव हसनपुर लिसाड निवासी महिला मुकेश का 25 वर्षीय पुत्र दीपक पिछले लगभग 1 माह से बुखार से पीड़ित चल रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते महिला अपने पुत्र का इलाज नहीं करा पा रही है। जिसके चलते महिला ने पड़ोस के ही एक युवक से 108 एंबुलेंस को फोन करा कर अपने गांव बुलाया और बेटे को लेकर कस्बे के राजकीय अस्पताल पहुंची| आर्थिक तंगी के अभाव के चलते महिला अपने पुत्र को लेकर घंटों तक कस्बे के राजकीय अस्पताल के प्रांगण में बैठी रही।
महिला बार-बार चिकित्सकों से अपने बेटे के इलाज की गुहार लगाती रही। लेकिन वहां मौजूद चिकित्सको का दिल नहीं पसीजा। इसी बीच जब हमारा संवाददाता अस्पताल पंहुचा तो महिला ने रोते हुए उसे आप बीती सुनाई। जब हमारे संवाददाता ने चिकित्सको से बात की तो पीड़ित को दवाई देकर अस्पताल में सुविधा न होने का हवाला देते हुए मुजफ्फरनगर के लिए रेफर कर दिया।
पीडित की माँ मुकेश के मुताबिक अस्पताल में डॉक्टर ने भर्ती करने से मना कर दिया ,दो घण्टो तक मेरा लडका अस्पताल के फर्श पर पडा रहा। डॉक्टर ने कोई सुध नही ली। आने जाने वालों से दस दस रूपये इक्कठे किये और अब दूसरे अस्पताल में ले कर जा रही हूँ। आठ दिन से खाना भी नही खाया और डाॅक्टर ने दवाई देने को मना कर दिया।
वहीँ जब हमने चिकित्सा अधिकारी डाक्टर कांति प्रसाद से बात करनी चाही तो उन्होंने कहा कि ज्यादा परेशान करोगे तो मै भी मेडिकल लीव लेकर चला जाऊंगा, मेडिकल लीव से मुझे कोई रोक तो नही सकता।
इस पूरे मामले पर हमारा यही कहना है कि ऐसे डाक्टरों की वजह से ये पेशा बदनाम हो रहा है यदि इनमें किसी का दर्द महसूस करने वाला दिल ही नहीं है तो इन्हें सस्पेंड कर घर भेज देना चाहिए।
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