क्वालिटी ऑफ इंडिया के मानकों पर खरा उतरा झलकारी बाई अस्पताल, मिला एंट्री लेवल सर्टिफिकेट
डॉ सुधा ने बताया कि क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों पर अस्पताल खरा उतरा है। यूपीएचएसपी की ओर से 51 जनपदों में इस कार्यक्रम को 2016 से चलाया जा रहा है जिसके तहत झलकारी बाई अस्पताल में 22 सितंबर को निरीक्षण किया गया था।इस निरीक्षण में अस्पताल को एनएबीएच के मानकों पर खरा पाया गया। शहर का सबसे छोटा सरकारी महिला अस्पताल होने के बाद भी क्वालिटी ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट पाकर झलकारीबाई अस्पताल ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इससे राजधानी के बाकी अस्पताल भी प्रेरणा लेंगे।
लखनऊ: क्वालिटी ऑफ इंडिया के मानकों पर वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल खरा उतरा है। अस्पताल को नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल एनएबीएच का एंट्री लेवल सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। क्वालिटी ऑफ इंडिया के मानकों पर साफ-सफाई, लाइसेंस सुविधा, डॉक्टरों और मरीजों के बीच व्यवहार आदि देखी जाती हैं। अस्पताल की सीएमएस डॉ. सुधा वर्मा ने बताया कि पत्र द्वारा गुरुवार को झलकारीबाई अस्पताल को सर्टिफिकेट मिलने की जानकारी मिली।
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डॉ सुधा ने बताया कि क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों पर अस्पताल खरा उतरा है। यूपीएचएसपी की ओर से 51 जनपदों में इस कार्यक्रम को 2016 से चलाया जा रहा है जिसके तहत झलकारी बाई अस्पताल में 22 सितंबर को निरीक्षण किया गया था।इस निरीक्षण में अस्पताल को एनएबीएच के मानकों पर खरा पाया गया। शहर का सबसे छोटा सरकारी महिला अस्पताल होने के बाद भी क्वालिटी ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट पाकर झलकारीबाई अस्पताल ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इससे राजधानी के बाकी अस्पताल भी प्रेरणा लेंगे।
क्या है एनएबीएच
भारतीय गुणवत्ता परिषद यानी क्वॉलिटी काउंसिल ऑफ इंडिया ने अस्पतालों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स बनाया हुआ है। यह बोर्ड देश के सभी अस्पतालों को अपने 683 मानकों का पालन करने वाले सभी अस्पतालों को मान्यता देता है। वहीं एंट्री लेवल के लिए 150 मानक हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है।
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नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स की असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ दीप्ति मोहन ने बताया कि देश में अभी तक तकरीबन 500 अस्पतालों को ही बोर्ड से मान्यता मिली हुई है। उन्होंने बताया कि वे केवल उन्ही अस्पतालों को मान्यता देते हैं, जो बेस्ट क्लास सर्विस और गुणवत्ता का ख्याल रखते हैं। वह बताती हैं कि उनके बोर्ड के मानक बेहद सख्त हैं और हर किसी के लिए उन मानकों का पालन करना आसान नहीं होता। दीप्ति के मुताबिक यह अस्पतालों पर निर्भर करता है कि वह अस्पतालों की सुविधा को बेस्ट बनाना चाहते हैं या नहीं ।
3 साल के लिए मिलती है मान्यता
दीप्ति ने बताया कि मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया पूरी तरह से स्वैच्छिक है। बोर्ड अस्पतालों को किसी तरह की सलाह नहीं देता है केवल वेबसाइट के जरिए ही गाईडेंस दिया जाता है। उन्होंने बताया कि जो अस्पताल की गुणवत्ता को लेकर चिंतित होते हैं, वे ही उनसे संपर्क करते हैं। उन्होंने बताया कि देश के कुल मान्यता प्राप्त और सर्टिफाइड अस्पतालों की संख्या 1750 है।
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वह बताती हैं कि देश में अस्पतालों को यह मान्यता 3 साल के लिए मिलती है, जिसके बाद उसे रिन्यु करवाना पड़ता है। रिन्यु प्रक्रिया में फिर से उन्हीं मानकों का पालन करना पड़ता है, अगर कोई कमी मिलती है, तो मान्यता रद्द भी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह मान्यता ग्रुप स्तर पर न देकर अस्पतालों को अलग-अलग आवेदन करना पड़ता है। एनएबीएच सर्टिफिकेट मिलने के बाद झलकारीबाई अस्पताल इस लिहाज़ से शहर का सबसे अच्छा महिला अस्पताल साबित होगा।