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इन 7 जानवरों को हो जाता है भूकंप का आभास, ऐसे समझे इनके संकेत
कुछ दिनों से महामारी तूफान चक्रवात और भूकंप जैसी प्रकृतिक आपदाएं घट रही है। देश और दुनिया में आएं दिन भूकंप की खबर सुनने के मिल रही है। लोग जानमाल की रक्षा की कोशिश में लगी रहती है। जब भी कोई आपदा आती हैं तो मन में विचार आता हैं कि किसी तरह इसके बारे में बता चल जाए और बचाव कर लिए जाए।
जयपुर : इधर कुछ दिनों से महामारी तूफान चक्रवात और भूकंप जैसी प्रकृतिक आपदाएं घट रही है। देश और दुनिया में आएं दिन भूकंप की खबर सुनने के मिल रही है। लोग जानमाल की रक्षा की कोशिश में लगी रहती है। जब भी कोई आपदा आती हैं तो मन में विचार आता हैं कि किसी तरह इसके बारे में बता चल जाए और बचाव कर लिए जाए। लेकिन जानवरों की मदद से हम प्राकृतिक आपदाओं के बारे में पता लगा सकते हैं। जानवरों के कुछ संकेत देने शुरू कर देते हैं।कहा जाता है कि जानवर भविष्य में होने वाली घटनाओं की पूर्व सूचना देते हैं। जानते हैं इसके बारे में...
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* किसी भी भूकंप और सुनामी जैसे विनाशकारी तूफान की पूर्व सूचना सांपों से मिलती है। सांप अपने जबड़े के निचले हिस्से को जमीन से लगाकर धरती से उठने वाली तरंगों और सूक्ष्म हलचल को महसूस कर लेता है। भूकंप का अहसास होते ही संप अपना बिल छोड़कर बाहर आ जाता है क्योंकि वह जानता है कि बिल भी ढह सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ज्यादातर जानवर पृथ्वी से आने वाली तरंगों के आधार पर और हलचल की आवाज को सुनकर ही भविष्य के प्रति सतर्क हो जाते हैं।
मेंढकों को भी भूकंप या आपदा का पूर्वानुमान हो जाता है। यदि सभी मेंढक एक साथ तालाब को छोड़कर जाने लगे तो समझ ले की भूकंप आने वाला है। मेंढकों के समान या उनकी ही एक प्रजाति भेक को भूकंप से पहले आश्चर्यजनक रूप से पूरे समूह के साथ गायब होते पाया गया है। जहां भी भूकंप आया, वहां लगभग 3 दिन पहले से सारे मेढ़क भेक जादुई तरीके से गायब हो जाते हैं।
* पशु, पक्षियों और रेंगने वाले जंतुओं को कई दिन पहले ही भूस्खलन, भूकंप आने या ज्वालामुखी का पता चलता जाता है। वह ऐसा स्थान छोड़कर वो पहले ही चले जाते है।
बिल्लियों के कुछ संकेत भी भूकंप सूचक हो सकते हैं। कहते हैं कि कुछ वैसे वाइब्रेशन को हम इंसान नहीं समझ पाते, ये जानवर समझ सकते हैं। आपकी घरेलू बिल्ली अगर अचानक बेड से निकल पड़ती है और बिना किसी ठोस वजह के घबराई और डरी हुई नजर आती है तो ये भूकंप का संकेत हो सकता है।
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*भूकंप आने से कुछ मिनट पहले पक्षी एक समूह में जमा होते देखे जाते हैं । मोर झुंड बनाकर आवाज लगाते है। विश्व में जहां भी जानवरों में इस तरह के बदलाव देखे गए हैं, वहां इसके कुछ मिनट बाद ही बड़ी भयंकर तीव्रता का भूकंप आता है।
*मछलियों को भी समुद्र में सुनामी या भूकंप के आने का पहले ही पता चलता है। वे भूकंप की तरंगों को पहले ही पकड़ लेती हैं । माना जाता है कि समुद्र की गहराई में रहने वाली ओरफिश भूकंप को महसूस करने में सबसे तेज होती है। रिबन की तरह दिखने वाली, लगभग 5 मीटर लंबी, डरावने मुंह वाली यह मछली आमतौर पर समुद्र के किनारों पर नहीं आती, पर भूकंप के समय इसे तटों पर पाया गया है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि इनके किनारों पर पाए जाने के बाद जो भूकंप आया, उसकी तीव्रता 7.5 से अधिक रही है।
लाल चींटी यूरोपियन जिओसाइंस यूनियन की एक सालाना मीटिंग में पेश किए गए अध्ययन के मुताबिक लाल चींटी भी भूकंप के संकेत को समझ सकती है। जब एक बार दो रिक्टर स्केल का भूकंप आया तो चींटियों की गतिविधि बदल गई। पहले चींटी रातों में बिल में ही रहती थी, लेकिन भूकंप के वक्त बाहर आ गई थी।