Hanuman Puja: हनुमान जी की पूजा का विग्रह अनुसार फल

Hanuman Puja:दुश्मन अगर आप पर हावी हो रहे तो पूर्वमूखी हनुमान की पूजा शुरू कर दें

Kanchan Singh
Written By Kanchan Singh
Published on: 26 April 2024 8:19 AM GMT
Hanuman Puja ( Social Media Photo)
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Hanuman Puja ( Social Media Photo)

।। श्रीहनुमते नमः ।।

भादौं में सिंदूर से, हनुमत का अभिषेक।

प्रेम भाव से जो करै, पावै बुद्धि विवेक।।

1-पूर्वमुखी हुनमान जी

पूर्व की तरफ मुख वाले बजरंबली को वानर रूप में पूजा जाता है। इस रूप में भगवान को बेहद शक्तिशाली और करोड़ों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। शत्रुओं के नाश के बजरंगबली जाने जाते हैं। दुश्मन अगर आप पर हावी हो रहे तो पूर्वमूखी हनुमान की पूजा शुरू कर दें।

2-पश्चिममुखी हनुमान जी

पश्चिम की तरफ मुख वाले हनुमानजी को गरूड़ का रूप माना जाता है। इसी रूप संकटमोचन का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ अमर है, उसी के समान बजरंगबली भी अमर हैं। यही कारण है कि कलयुग के जाग्रत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है।

3- उत्तरामुखी हनुमान जी

उत्तर दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान जी की पूजा शूकर के रूप में होती है। एक बात और वह यह कि उत्तर दिशा यानी ईशान कोण देवताओं की दिशा होती है। यानी शुभ और मंगलकारी। इस दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इस ओर मुख किए भगवान की पूजा आपको धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु के साथ ही रोग मुक्त बनाती है।

4- दक्षिणामुखी हनुमान जी

दक्षिण मुखी हनुमान जी को भगवान नृसिंह का रूप माना जाता है। दक्षिण दिशा यमराज की होती है। इस दिशा में हनुमान जी की पूजा से इंसान के डर, चिंता और दिक्कतों से मुक्ति मिलती है। दक्षिणमुखी हनुमान जी बुरी शक्तियों से बचाते हैं।

5-ऊर्ध्वमुख

इस ओर मुख किए हनुमान जी को ऊर्ध्वमुख रूप यानी घोड़े का रूप माना गया है। इस स्वरूप की पूजाकरने वालों को दुश्मनों और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस स्वरूप को भगवान ने ब्रह्माजी के कहने पर धारण कर हयग्रीवदैत्य का संहार किया था।

6-पंचमुखी हनुमान

पंचमुखी हनुमान के पांच रूपों की पूजा की जाती है। इसमें हर मुख अलग-अलग शक्तियों का परिचायक है। रावण ने जब छल से राम लक्ष्मण के बंधक बना लिया था तो हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर अहिरावण से उन्हें मुक्त कराया था। पांच दीये एक साथ बुझाने पर ही श्रीराम-लक्षमण मुक्त हो सकते थे। इसलिए भगवान ने पंचमुखी रूप धारण किया था। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख में वह विराजे हैं।

7-एकादशी हनुमान

यह रूप भगवान शिव का स्वरूप भी माना जाता है। एकादशी रूप रुद्र यानी शिव का ग्यारहवां अवतार है। ग्यारह मुख वाले कालकारमुख के राक्षस का वध करने के लिए भगवान ने एकादश मुख का रुप धारण किया था। चैत्र पूर्णिमा यानी हनमान जयंती के दिन उस राक्षस का वध किया था। यही कारण है कि भक्तों को एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा सारे ही भगवानों की उपासना समना माना जाता है।

8- वीर हनुमान

हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा भक्त साहस और आत्मविश्वास पाने के लिए करते हें। इस रूप के जरिये भगवान के बल, साहस, पराक्रम को जाना जाता है। अर्थात तो भगवान श्रीराम के काज को संवार सकता है वह अपने भक्तों के काज और कष्ट क्षण में दूर कर देते हैं।

9-भक्त हनुमान

भगवान इस स्वरूप में श्रीरामभक्त का है। इनकी पूजा करने से आपको भगवान श्रीराम का भी आशिर्वाद मिलता है। बजरंगबली की पूजा अड़चनों को दूर करने वाली होती है। इस पूजा से भक्तों में एग्राता और भक्ति की भावना जागृत होती है।

10-दास हनुमान

बजरंबली का यह स्वरूप श्रीराम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति को दिखाता है। इस स्वरूप की पूजाकरने वाले भक्तों को धर्म कार्य और रिश्ते-नाते निभाने में निपुणता हासिल होती है। सेवा और समर्णण का भाव भक्त इस स्वरूप के जरिये ही पाते हैं।

11-सूर्यमुखी हनुमान

यह स्वरूप भगवान सूर्य का माना गया है। सूर्य देव बजरंगबली के गुरु माने गए हैं। इस स्वरूप की पूजा से ज्ञान, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और उन्नति का रास्ता खोलता है। क्योंकि श्रीहनुमान के गुरु सूर्य देव अपनी इन्हीं शक्तियों के लिए जाने जाते हैं।


महा दयालु हनुमत काजप ले मनवा नाम

काया निर्मल होजाएगी बनेंगे बिगड़े काम

मंगल को जन्मे

मंगल ही करते

मंगलमय भगवान

चैत्र सुदी पूनम को जन्मे,अंजनी पवन ख़ुशी मन में

प्रगट भये सुर वानर तन में, विदित यश विक्रम त्रिभुवन में

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार

प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन

जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर

जिनके मन में है श्रीराम

जिनके तन में हैं श्री राम,

जग में सबसे हैं वो बलवान

ऐसे प्यारे मेरे हनुमान।

हनुमानजी के 12 नामों का जाप करने के लाभ

मंगलवार की पूजा में भगवान हनुमान के इन 12 नामों का जाप करने से इष्ट की प्राप्ति होती है।

सुबह उठने के साथ ही सबसे पहले हनुमान जी के इन नामों को 11 बार बोलना चाहिए। इससे व्यक्ति की आयु बढ़ती है।

यदि आप दोपहर में भगवान हनुमान के इन नामों को जाप करते हैं तो इससे धन की प्राप्ति होती है।

संध्या के समय हनुमान जी के इन नामों का उच्चारण करने से व्यक्ति को पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है।

रात्रि में सोने से पहले यदि आप हनुमान जी के इन बारह नामों का उच्चारण करते हैं तो इससे शत्रुओं से विजय प्राप्ति होती है।

मंगलवार के दिन लाल रंग की स्याही से किसी भोजपत्र पर हनुमान जी के इन नामों को लिखकर ताबीज बना लें और इसे अपने गले या बाजू पर बांध ले। इससे सिर दर्द की समस्या दूर होती है।

पूजा के दौरान हनुमान जी के इन 12 नामों का निरंतर जाप करने से भगवान अपने भक्तों की दसों दिशाओं और आकाश पाताल से रक्षा करते हैं।

आज मंगलवार है, महावीर का वार है, यह सच्चा दरबार है ।

सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा पार है ॥

चेत सुति पूनम मंगल का जनम वीर ने पाया है,

लाल लंगोट गदा हाथ में सर पर मुकुट सजाया है ।

शंकर का अवतार है, महावीर का वार है,

सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा पार है ॥

ब्रह्मा जी के ब्रह्म ज्ञान का बल भी तुमने पाया है,

राम काज शिव शंकर ने वानर का रूप धारिया है ।

लीला अप्रम पार है, महावीर का वार है,

सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा पार है ॥

बाला पन में महावीर ने हरदम ध्यान लगाया है,

श्रम दिया ऋषिओं ने तुमको ब्रह्म ध्यान लगाया है ।

राम रामाधार है, महावीर का वार है,

सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा पार है ॥

राम जनम हुआ अयोध्या में कैसा नाच नचाया है,

कहा राम ने लक्ष्मण से यह वानर मन को भाया है ।

राम चरण से प्यार है, महावीर का वार है,

सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा पार है ॥

पंचवटी से माता को जब रावण लेकर आया है,

लंका में जाकर तुमने माता का पता लगाया है ।

अक्षय को मारा है, महावीर का वार है,

सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा पार है ॥

मेघनाथ ने ब्रह्मपाश में तुमको आन फसाया है,

ब्रह्मपाश में फस कर के ब्रह्मा का मान बढ़ाया है ।

बजरंगी वाकी मार है, महावीर का वार है,

सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा पार है ॥

लंका जलायी आपने जब रावण भी घबराया है,

श्री राम लखन को आकर माँ का सन्देश सुनाया है ।

सीता शोक अपार है, महावीर का वार है,

सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा पार है ॥

आज मंगलवार है, महावीर का वार है, यह सच्चा दरबार है ।

सच्चे मन से जो कोई धयावे, उसका बेडा पार है ॥

इस दिन पाठ मंत्र का महत्व

🔹सुंदरकांड का करे पाठ-

श्री हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए इस दिन आप सुंदरकांड का भी पाठ कर सकते हैं, एक शुद्ध देसी घी का दीपक जलाकर, साफ- शुद्ध आसन पर बैठकर सुंदरकांड का पाठ करें, इससे सभी मनोकामना पूर्ण होगी और जीवन में चल रहे कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

इस दिन जरूर करें श्री हनुमान चालीसा के पाठ-

इस दिन आप 108 हनुमान चालीसा के पाठ कर सकते हैं। यह पाठ आप किसी हनुमान जी के मंदिर में या फिर एकांत जगह पर कर सकते हैं। और इस दिन के बाद निरंतर प्रतिदिन सुबह शाम दोनों समय श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दें, आपके ऊपर हनुमान जी की कृपा बनी रहेगी और और सभी अटके हुए काम पूर्ण होने लगेंगे।

हनुमानजी के समक्ष "श्रीराम" नाम के जप करें-

इस दिन आप हनुमान मंदिर में बैठकर श्री राम जी के किसी भी मंत्र का जप कर सकते हैं जैसे- "श्री राम जय राम जय जय राम" इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद व उनकी भक्ति प्राप्त होती है।

फल- फूल अर्पित करें-

श्री हनुमान जी को चमेली, गुलाब, गेंदा, हजारा, गुड़हल के फूल से उनका सिंगार करें, उनके श्री चरणों में अर्पित करें। फलों में केला इत्यादि भी अर्पित ‌करें।

सिंदूर का चोला-

श्री हनुमान जन्मोत्सव के दिन पूरी श्रद्धा भाव से श्री हनुमानजी को सिंदूर का चोला, चंदन, पान का बीड़ा, जनेऊ, नारियल, धूप-दीप आदि चढ़ाएं।

भोग - प्रसाद-

इस दिन श्री हनुमान जी के पवित्रता और शुद्धता से बने हुए प्रसाद का ही भोग लगाएं,जैसे-: गुड़-चना, गाय के शुद्ध घी में बनी हुई बूंदी, चूरमा, मोतीचूर के लड्डू, मेवा, केला फल इत्यादि का भोग लगाएं।।

यदि आपकी जन्म कुंडली में किसी प्रकार का दोष जैसे-: मंगल दोष, शनि, राहु दोष, चंद्र- सूर्य ग्रहण दोष, पितृ दोष या किसी भी तरह का ग्रह- नक्षत्र दोष है और जिसके कारण आपके जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न हो रही हो तो आप कुछ सामान्य उपाय करके ग्रह- नक्षत्र के प्रतिकूल प्रभाव से मुक्त हो सकते हैं।।

( लेखिका प्रख्यात ज्योतिषी हैं ।)

Shalini Rai

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