TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

जानिए विवाह पंचमी पर्व का महत्व, इस दिन करते हैं रामचरित मानस का अधूरा पाठ

suman
Published on: 19 Nov 2017 9:53 AM IST
जानिए विवाह पंचमी पर्व का महत्व, इस दिन करते हैं रामचरित मानस का अधूरा पाठ
X

जयपुर: मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम और सीता का विवाह हुआ था। तभी से इस पंचमी को 'विवाह पंचमी पर्व' के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 23 नवंबर को है। इस त्योहार को सबसे ज्यादा नेपाल में मनाया जाता है क्योंकि सीता माता मिथिला नरेश राजा जनक की पुत्री थी। मिथिला नेपाल में यह त्योहार परम्परागत तरीके से मनाया जाता है। इस दिन कई जगहों पर रामचरित मानस का पाठ भी करवाया जाता है, लेकिन पाठ राम-जानकी विवाह प्रसंग तक ही करते हैं।

यह भी पढ़ें....रिश्तों की कड़वाहट को दूर करते हैं ये सरल वास्तु उपाय, जरूर अपनाएं

पुराणों में बताया गया है की भगवान श्रीराम और माता सीता भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के रूप में पैदा हुए थे। राजा दशरथ के घर पैदा हुए रामजी और राजा जनक की पुत्री के रूप में सीता पैदा हुई थी। बताया जाता है की सीता माता का जन्म धरती से हुआ था। जब राजा जनक हल जोत रहे थे तब उन्हें एक नन्ही सी बच्ची मिली थी। एक बार सीता ने मंदिर में रखे धनुष को उठा लिया था जिस धनुष को परशुराम के अलावा किसी ने नहीं उठाया था। तब से राजा जनक ने निर्णय लिया की जो भगवान विष्णु के इस धनुष को उठाएगा उसी से सीता की शादी होगी।

यह भी पढ़ें....घर की सजावट को बढ़ानी वाली ये चीजें, डालती है आपकी आमदनी पर असर

उसके बाद स्वयंबर का दिन निश्चित किया गया और सभी जगह सन्देश भेजा गया की इस स्वयंवर में हिस्सा लें। इस स्वयंबर में महर्षि वशिष्ठ के साथ भगवान राम और लक्ष्मण भी दर्शक के रूप में शामिल हुए। कई राजाओं ने प्रयास किया लेकिन कोई भी उस धनुष को हिला ना सका। फिर राजा जनक ने करुणा भरे शब्दों में कहा की मेरी लड़की के लिए कोई योग्य नहीं है तब जनक की इस मनोदशा को देख कर महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम से इस स्वयंवर में हिस्सा लेने को कहा। गुरु की आज्ञा की पालना करते हुए भगवान श्रीराम ने धनुष को उठाया और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे। प्रत्यंचा चढ़ाते वक्त धनुष टूट गया और उन्होंने सीता से विवाह किया। इसी प्रकार आज भी विवाह पंचमी को सीता माता और भगवान राम के विवाह के रूप में हर्षो उल्लास से मनाया जाता हैं।

कहा जाता है कि इस पावन दिन सभी को राम-सीता की आराधना करते है। आराधना करते हुए अपने सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए प्रभु से आशीर्वाद प्राप्त करते है।



\
suman

suman

Next Story