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Flesh-Eating Bacteria: क्या है 'मांस खाने वाला बैक्टीरिया'? संक्रमण से चली गई कोलकाता के शख्स की जान

Flesh-Eating Bacteria: डॉक्टरों ने जांच में पाया, उनके शरीर में नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस की मौजूदगी पाई गई। बैक्टीरिया मृण्मय के शरीर के निचले अंग और जननांग क्षेत्र को खा गया था।

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Written By aman
Published on: 31 Oct 2022 12:09 PM GMT
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प्रतीकात्मक चित्र (Social Media) 

Flesh-Eating Bacteria ने इन दिनों डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को परेशान कर रखा है। दरअसल, इस बैक्टीरिया से लोगों की जान चली जाती है। आम बोलचाल की भाषा में इसे 'मांस खाने वाला बैक्टीरिया' कहा जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो ये जानलेवा बैक्टीरिया तब किसी मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है जब चोट या दुर्घटनावश जख्म या घाव बने हों। ये बैक्टीरिया जख्म के रास्ते मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है और धीरे-धीरे मौत की तरफ ले जाता है।

आपको बता दें कि, इसी बैक्टीरिया ने कोलकाता के एक 44 वर्षीय शख्स की जान ले ली। मृतक का नाम मृण्मय रॉय था। इस खबर ने लोगों को चौंका दिया। क्योंकि, इस व्यक्ति की मौत की वजह बीमारी नहीं बल्कि यही जानलेवा बैक्टीरिया था। इसलिए अगर आपके शरीर पर भी कोई जख्म या घाव हो तो आप आज ही विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें। लापरवाही न बरतें। आपकी लापरवाही कहीं आपकी जान के लिए खतरा न बन जाए।

'नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस' (Necrotizing Fasciitis)

डॉक्टरों ने बताया कि, इस मांस खाने वाले बैक्टीरिया को चिकित्सकीय भाषा में नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस (Necrotizing Fasciitis) कहा जाता है। इसके संक्रमण से व्यक्ति के त्वचा और उसके नीचे के ऊतक (Tissues) प्रभावित होते हैं। बता दें ये एक दुर्लभ संक्रमण है। अगर, समय रहते इसका निदान और जल्द इलाज नहीं किया गया तो ये किसी शख्स की जान भी ले सकता है। इस संक्रमण से मौत बहुत तेजी से होती है।

ऐसे होता है बैक्टीरिया का प्रहार

जब इस अद्भुत बीमारी के बारे में डॉक्टर से पूछा गया तो उन्होंने समझाया कि, मांस खाने वाले बैक्टीरिया पहले रक्त वाहिकाओं पर हमला करते हैं। यह ऊतकों सहित मांसपेशियों तक रक्त आपूर्ति में रुकावट पैदा कर देता है। इस वजह से मानव शरीर में रक्त आपूर्ति में कमी आ जाती है।

बैक्टीरिया मानव शरीर पर क्या डालता है प्रभाव?

इस संबंध में पीयरलेस अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजिस्ट, भास्कर नारायण चौधरी बताते हैं कि यह जीवाणु संक्रमण वाले उस स्थान को चुनता है जहां सूजन हो। फिर, रक्त आपूर्ति करने वाली कोशिकाओं को संकुचित कर सकता है, जो ऊतकों को ऑक्सीजन पहुंचाता है। इसका परिणाम घातक होता है। ऐसा लगता है कि, बैक्टीरिया मांस को खा रहा है। इसलिए, उन्हें 'मांस खाने वाले बैक्टीरिया' से भी जाता है।

क्या है मामला?

टीओआई की खबर के अनुसार, मृतक का नाम मृण्मय रॉय था। इन्हें कुछ दिन पहले उस समय चोट लग गई थी, जब वो ट्रेन से गिर पड़े थे। इस हादसे में लोहे की एक छड़ ने मृण्मय रॉय के निचले कूल्हे को काट दिया था। मध्यम ग्राम निवासी मृण्मय की हालत बिगड़ने लगी। हालांकि, पहले एक सप्ताह तक स्थानीय नर्सिंग होम में उनका इलाज चला। फिर उन्हें 23 अक्टूबर को आरजीकेएमसीएच के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। मरीज को सांस लेने में गंभीर दिक्कतें आ रही थी। उनका इलाज कर रहे प्रो हिमांशु रॉय ने बताया कि, हालत बिगड़ते ही हमने तुरंत उन्हें सर्जरी के गहन चिकित्सा इकाई (एसआईसीयू) में भर्ती कराया। उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखा गया। हालांकि, डॉक्टर ने ये भी कहा कि, मृतक मृण्मय रॉय शराब पीने के आदी थे। जिस वजह से उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम थी।

निचले अंग और जननांग क्षेत्र खा गया

डॉक्टरों ने जांच में पाया कि, उनके शरीर में नेक्रोटाइज़िंग फासिसाइटिस की मौजूदगी पाई गई। बैक्टीरिया मृण्मय के शरीर के निचले अंग और जननांग क्षेत्र को खा गया था। प्रो हिमांशु ने कहा कि, जब तक वे मरीज तक पहुंच पाते, घातक बैक्टीरिया ने उसे पहले ही गंभीर रूप से संक्रमित कर दिया था। रॉय ने बताया कि, एंटीबायोटिक्स सहित अन्य कोशिशों के बावजूद उन्हें जीवित नहीं बचाया जा सका।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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