TRENDING TAGS :
BJP की सबसे बड़ी साजिश बेनकाब? राहुल बोले- अंग्रेज़ी से गरीबों को दूर रखो, ताकि सवाल न पूछें
BJP education conspiracy exposed: एक वीडियो के साथ राहुल गांधी ने एक्स पर ऐसी बात कह दी है जिससे बीजेपी और RSS में खलबली मच गई है। ये सिर्फ बयान नहीं था, बल्कि सत्ता के गलियारों पर सीधा हमला था।
BJP education conspiracy exposed: क्या भारत के गरीब और दलित जानबूझकर पिछड़े रखे जा रहे हैं? क्या अंग्रेज़ी से उन्हें इसलिए दूर रखा जा रहा है ताकि वे सवाल पूछना ही भूल जाएं? क्या भारत की सत्ता गरीबों से डरती है? राहुल गांधी ने एक ऐसा बयान दे दिया है जिससे देश की राजनीति में आग लग चुकी है। इस बार मुद्दा न मंदिर है, न मस्जिद... इस बार लड़ाई किताबों की है, भाषा की है, और सबसे बड़ा सवाल – क्या अंग्रेज़ी गरीबों का हक है?
एक वीडियो के साथ राहुल गांधी ने एक्स (पुराना ट्विटर) पर ऐसी बात कह दी है जिससे बीजेपी और RSS में खलबली मच गई है। ये सिर्फ बयान नहीं था, बल्कि सत्ता के गलियारों पर सीधा हमला था। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश में अंग्रेज़ी भाषा को गरीबों से छीनने की कोशिश हो रही है ताकि वे कभी सवाल न कर सकें, कभी आगे न बढ़ सकें। यानी पढ़ाई भी अब राजनीति का हथियार बन गई है। राहुल गांधी ने कहा कि अंग्रेज़ी गरीबों की ताकत बन सकती है। जो शिक्षा अमीरों को दी जा रही है वही शिक्षा गरीबों और दलितों को क्यों नहीं? क्यों गांव के बच्चे सिर्फ हिंदी या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा पाते हैं और शहरों के बच्चे अंग्रेज़ी स्कूलों में पढ़ते हैं? क्या ये साज़िश नहीं है?
BJP और RSS पर खुला वार, शिक्षा के नाम पर गहरी साजिश का आरोप
राहुल गांधी ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि देश में गरीबों को अंग्रेज़ी से वंचित रखना सिर्फ एक भाषा का मसला नहीं है, बल्कि ये सत्ता की चाल है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस नहीं चाहते कि गरीब बच्चा अंग्रेज़ी में पढ़े, नौकरी पाए और फिर उस ताकत के साथ सरकार से सवाल पूछे। अंग्रेज़ी गरीबों के लिए दरवाज़ा खोल सकती है, लेकिन सत्ताधारी उसे बंद रखना चाहते हैं।
उन्होंने इशारों में यह भी कह दिया कि ‘सत्ता नहीं चाहती कि दलित और गरीब तबका डॉक्टर, इंजीनियर या बड़े अधिकारी बने। सत्ता चाहती है कि ये लोग मजदूरी करते रहें और हमेशा उसी सिस्टम के गुलाम बने रहें।’ ये बयान भारत की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आ गया है। जहां विपक्ष अभी तक महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर हमलावर था, वहीं अब शिक्षा और भाषा को लेकर भी सियासी युद्ध छिड़ गया है। ये वही मुद्दा है जिसने मंडल कमीशन के बाद भारतीय राजनीति में सबसे बड़ा भूचाल लाया था।
शिक्षा की भाषा या राजनीति का जाल? जानिए क्यों यह मुद्दा बन गया विस्फोटक
भारत में शिक्षा को लेकर बहस नई नहीं है। हमेशा से सवाल उठता रहा है कि क्या अंग्रेज़ी को पढ़ना सिर्फ अमीरों का हक होना चाहिए? क्या सरकारी स्कूलों में भी वही अंग्रेज़ी पढ़ाई जाए जो निजी स्कूलों में पढ़ाई जाती है? अब राहुल गांधी ने इस बहस को सीधे राजनीतिक जंग बना दिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि जो गरीब बच्चों को अंग्रेज़ी से वंचित कर रहे हैं, वे गरीबों के दुश्मन हैं।
विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार की शिक्षा नीति इस दिशा में गरीबों को पीछे धकेलने का काम कर रही है। सरकारी स्कूलों में अंग्रेज़ी का स्तर गिरता जा रहा है, वहीं निजी स्कूलों में वही अंग्रेज़ी पढ़ाई जा रही है जो सीधे-सीधे अंतरराष्ट्रीय नौकरी या उच्च शिक्षा की राह खोलती है। बीजेपी इस पूरे आरोप को खारिज करती आई है। उनका कहना है कि नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत भारत की भाषाओं को प्राथमिकता दी जा रही है ताकि भारतीयता मजबूत हो सके। लेकिन राहुल गांधी का सवाल यही है कि क्या गरीबों को भारतीयता के नाम पर अंग्रेज़ी से दूर रखना सही है?
क्या वाकई अंग्रेज़ी गरीबों का अधिकार है? राहुल बनाम सत्ता की नई जंग
राहुल गांधी के इस बयान के बाद भारतीय राजनीति में शिक्षा को लेकर बहस एक नए मोड़ पर आ गई है। राजनीतिक विश्लेषक इसे सिर्फ बयानबाजी नहीं मान रहे, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति बता रहे हैं। विपक्ष जानता है कि बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों से इतर अगर गरीबों और दलितों के बीच शिक्षा और भाषा को लेकर असंतोष जगाया जाए तो यह सरकार के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। राहुल गांधी ने अंग्रेज़ी को सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि अवसर का हथियार बना दिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि यह बहस अब बंद नहीं होगी। अंग्रेज़ी गरीबों का अधिकार है और सत्ता इसे छीनने की साजिश कर रही है। बीजेपी के लिए यह मुद्दा और असहज इसलिए है क्योंकि शिक्षा पर हमला करना सीधे-सीधे मध्यवर्ग और युवाओं को प्रभावित करता है। और यही वर्ग 2024 के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। कांग्रेस की कोशिश है कि गरीबों और युवाओं को यह समझाया जाए कि अंग्रेज़ी से उन्हें वंचित कर देना, आगे बढ़ने से रोकने की चाल है।
क्या शिक्षा का मुद्दा बदल देगा चुनावी समीकरण?
अब सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी का यह हमला वाकई असर डालेगा? क्या जनता इसे सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी मानेगी या वाकई गरीब और दलित तबके में इसको लेकर बेचैनी बढ़ेगी? राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर कांग्रेस इस मुद्दे को लगातार धार देती रही तो यह गांव से लेकर शहर तक चर्चा का विषय बन सकता है। क्योंकि हर गरीब परिवार का सपना होता है कि उसका बच्चा अंग्रेज़ी स्कूल में पढ़े, बड़ी नौकरी करे और गरीबी से बाहर निकले।राहुल गांधी ने राजनीति में नई आग लगा दी है। अब देखना यह है कि BJP इसका जवाब क्या देती है। लेकिन एक बात तो साफ है — अब लड़ाई सिर्फ मंदिर और हिंदू-मुसलमान की नहीं रह गई, अब लड़ाई किताबों की है, स्कूलों की है, और भाषा की है। अब पूरा देश पूछ रहा है — क्या अंग्रेज़ी गरीबों का हक है? या सत्ता उन्हें जानबूझकर पीछे रख रही है? जवाब आना बाकी है, लेकिन सवाल गूंजने लगा है... जोर-जोर से।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!