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Karnataka Election 2023: कर्नाटक चुनाव में नहीं हो रहा दूध का दूध और पानी का पानी
Karnataka Election 2023:विपक्षी दलों ने इस सलाह को राज्य की भाजपा सरकार द्वारा स्थानीय दुग्ध सहकारी समिति को कमजोर करने का प्रयास करार दिया है।
Karnataka Election 2023: कर्नाटक में दूध एक ऐसा विवाद है जो विपक्षी दलों की गोद में आ गया है और वे राज्य में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं। हालांकि इसकी शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा अमूल और कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को एक-दूसरे का सहयोग करने की सलाह को लेकर हुई थी। लेकिन विपक्षी दलों ने इस सलाह को राज्य की भाजपा सरकार द्वारा स्थानीय दुग्ध सहकारी समिति को कमजोर करने का प्रयास करार दिया है। ये मसला ऐसा है जिसका दूध का दूध और पानी का पानी हो पाना टेढ़ी खीर हो गया है।
कांग्रेस का नया पैंतरा
कांग्रेस दूध विवाद को अच्छी तरह से भुनाने में जुट गई है। अब एक दिन पहले ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सुबह सुबह हासन में एक "नंदिनी" आउटलेट का दौरा किया और दूध और अन्य केएमएफ (कर्नाटक मिल्क फेडरेशन) उत्पाद खरीदे। टीवी कैमरों और मीडियाकर्मियों की भीड़ के बीच उन्होंने कहा, “लोगों को कर्नाटक के किसानों और दुग्ध उत्पादकों का समर्थन करने और उन्हें बचाने के लिए नंदिनी दूध और अन्य केएमएफ उत्पादों को खरीदना चाहिए। राज्य सरकार का कर्तव्य उन लाखों परिवारों की रक्षा करना है जो दुग्ध सहकारी समितियों पर निर्भर हैं।”
दरअसल, कांग्रेस को उम्मीद है कि अमूल-केएमएफ मसले को दुग्ध किसानों की आजीविका से जुड़ा मुद्दा बनाकर चुनावी फायदा उठाया जा सकता है। दूसरी तरफ खुद को किसान कल्याण के लिए काम करने वाली पार्टी के रूप में देखने वाली जेडीएस भी किसानों की अनदेखी को लेकर सरकार की आलोचना कर रही है।
बोम्मई ने साधा निशाना
दूध विवाद का मुकाबला करने की पुरजोर कोशिश करते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस और जेडीएस नेता किसानों और आम जनता के बीच भ्रम पैदा करने के लिए केएमएफ के ‘नंदिनी’ ब्रांड के बारे में झूठ फैलाने की कोशिश कर निम्न स्तर की राजनीति कर रहे हैं।"
जमीनी हकीकत कुछ और
लेकिन जमीनी स्तर पर जो नैरेटिव बन रहा है, वह विपक्षी पार्टियों के स्टैंड के पक्ष में नजर आ रहा है। कर्नाटक के होटल व्यवसायियों की संस्था और अपार्टमेंट रेजिडेंट्स एसोसिएशन जैसे कई संगठनों ने कहा है कि वे राज्य में डेयरी किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए नंदिनी के अलावा किसी अन्य उत्पाद का उपयोग नहीं करेंगे।
केएमएफ की सफाई
इस हंगामे के बीच, केमएफ ने एक और बड़ी दुग्ध सहकारी समिति के साथ अपने विलय की आशंकाओं को खारिज कर दिया और इसे अफवाह बताया है। केएमएफ के एमडी ने कहा है कि - केएमएफ दूसरा सबसे बड़ा सहकारी दुग्ध महासंघ है, जो प्रतिदिन 26 लाख किसानों से 85 लाख लीटर दूध का उत्पादन करता है। महासंघ की खरीद को बढ़ाकर 1 करोड़ लीटर प्रति दिन करने की योजना है।
लेकिन राजनीतिक हंगामे के बीच केएमएफ का यह संदेश कहीं खो सा गया है। अब सवाल यह है कि इस विवाद से सबसे ज्यादा फायदा किसे होगा: विपक्ष को या सत्ता पक्ष को?