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Lucknow: विश्वविद्यालय के रास्ते विधानसभा की दस्तक !

Lucknow: छात्र राजनीति को राजनेता बनने की पहली सीढ़ी कहा जाता है। इसलिए इस बार भी कई छात्र नेता विधानसभा चुनाव मे अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 15 Feb 2022 6:28 AM GMT
UP Election 2022
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UP Election 2022: मुलायम की इस पुरानी सीट को क्या वापस बीजेपी से छिन पाएगी सपा (Social Media)

Lucknow: छात्र जीवन से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करने वाले न जाने कितने नेताओं ने विधानसभा से लेकर लोकसभा तक का रास्ता तय किया है। छात्र राजनीति को राजनेता बनने की पहली सीढ़ी कहा जाता है। इसलिए इस बार भी कई छात्र नेता विधानसभा चुनाव मे अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें से कई पहले भी चुनाव लड़कर विधानसभा सदस्य बनने के बाद राज्य सरकार में मंत्री तक बन चुके हैं। फिर चाहे वह लखनऊ कानपुर इलाहाबाद फैजाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता रहे हों अथवा बनारस विश्वविद्यालय के हों।

इस विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह जमनिया सीट से चुनाव मैदान में है। जबकि रसडा से बसपा विधानमंडल दल के नेता उमाशंकर सिंह फिर से मैदान में है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी से राजनीतिक कैरियर शुरू करने वाले मो आजम खां तीन दशक से राजनीति में अपना झंडा गाड़े हुए हैं। जबकि शाहजहांपुर में छात्र राजनीति करने वाले प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना नौवी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

राजनीतिक सफर अबतक जारी

इनके अलावा लखनऊ कैंट से कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक गैसडी से शैलेन्द्र सिंह शैलू धीरेन्द्र बहादुर सिंह सरेनी,आशीष सिंह मल्लावां, नीरज मौर्या जलालाबाद, अरविन्द सिंह गोप दरियाबाद, विशम्भर सिंह यादव बबेरू ऋचा सिंह इलाहाबाद, पूजा शुक्ल लखनऊ उत्तर, दयाशंकर सिंह बलिया अभय सिंह गोसाईगंज,पवन पांडेय फैजाबाद से चुनाव मैदान में है।

प्रदेश की योगी सरकार में विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक कभी लखनऊ विश्वविद्यालय के बड़े छात्र नेता रहे। यही हाल पूर्व मत्री अरविन्द सिंह गोप का रहा। छात्र राजनीति के दौरान ही मुलायम सिंह यादव के सम्पर्क में आने के बाद वह उनके खास होते गए। फिर मुलायम सिंह यादव ने विधानसभा का टिकट दिया। जिसके बाद उनका बाराबंकी से लेकर लखनऊ तक राजनीति मे बड़ा दखल रहा।

यहां तक वह मुलायम सिंह सरकार के अलावा वह अखिलेश सरकार में भी मंत्री बनें। इसी तरह विशम्भर सिंह यादव कानपुर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बनने के बाद जनता दल में जुड़ गए। फिर इसके बाद जब जनता दल टूटा तो वह मुलायम सिंह के साथ हो गए। जिसके बाद उनका राजनीतिक सफर अबतक जारी है।

विधानपरिषद सदस्य एवं समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम भी कानपुर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रह चुके है। समाजवादी पार्टी से पहली बार चुनाव लड रही पूजा शुक्ला ने दो साल पहले मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ को काले झंडे दिखाने का काम किया था। जिसके बाद अखिलेश यादव ने उन्हे चुनाव के मैदान में उतार दिया है।

इसके अलावा बीएचयू से ही छात्र राजनीति करने वाले पूर्व उपराष्ट्रपति कृष्णकांत पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव के अलावा ओम प्रकाश सिंह राम इकबाल सिंह, भरत सिंह शाकिर अली, यशवंत सिंह सरजीत सिंह डंग कैलाश यादव, ज्योत्सना श्रीवास्तव, शतरुद्र प्रकाश , वीणा पाण्डेय ने छात्र राजनीति से विधानसभा की चौखट तक का रास्ता तय किया।

अन्य राजनेताओें में प्रो लाल बहादुर शास्त्री, टी एन सिह, कलराज मिश्र जैसी शख्सियत रही है। विद्यापीठ से छात्र राजनीति की शुरुआत करने वालों में सुरेन्द्र पटेल शारदा प्रसाद अंचल, संकटा प्रसाद शास्त्री , दीनानाथ भास्कर विधायक से लेकर मंत्री तक बने हैं।

भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुरेश कुमार खन्ना ने 1971 में शाहजहांपुर में छात्र कल्याण कोष बनाकर छात्र राजनीति की शुरुआत की थी। इनके अलावा कोबिद कुमार सिंह और नीरज मौर्या ने भी शाहजहांपुर में छात्र राजनीति के सहारे विधायक तक का सफर तय किया। नीरज मौर्या लखनऊ के विद्यान्त कालेज में विद्यार्थी परिषद की राजनीति करते रहे।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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