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Save the Elephant Day : जानिए, कैद में रहने से हाथियों को कौन सी समस्या होती है और उनकी देखभाल कैसे करें

Save the Elephant Day : पूरी दुनिया हर साल 16 अप्रैल को हाथी बचाओ दिवस मनाती है, यह एशियाई हाथियों के सामने आने वाले खतरों को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण दिन है।

Mathura Bharti
Published on: 15 April 2024 7:26 PM IST (Updated on: 15 April 2024 7:29 PM IST)
Save the Elephant Day : जानिए, कैद में रहने से हाथियों को कौन सी समस्या होती है और उनकी देखभाल कैसे करें
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Save the Elephant Day : पूरी दुनिया हर साल 16 अप्रैल को हाथी बचाओ दिवस मनाती है, यह एशियाई हाथियों के सामने आने वाले खतरों को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण दिन है। भारत में 2,600 से अधिक हाथी कैद में हैं। यह एक मार्मिक अनुस्मारक है कि हमें अभी भी 'हाथी बचाओ दिवस' की आवश्यकता क्यों है।

कैद में रहने पर हाथियों को होने वाली सबसे बड़ी कठिनाइयों में से एक है पैरों की बेहद खराब स्थिति। सड़क पर भीख मांगने, शादी और पर्यटन उद्योगों एवं सर्कस में इस्तेमाल होने वाले ये हाथी न केवल अपने शरीर पर भयानक घाव के साथ जीवन गुजारते हैं, बल्कि एंकिलोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया रोग) जैसी समस्याओं के साथ भी पाये जाते हैं। उनके फ़ुटपैड आमतौर पर घिसे हुए होते हैं, कुछ के तलवे तो बेहद पतले होते हैं और उनके नाख़ून जरुरत से ज्यादा बढे़ हुए।

ये हैं प्रमुख बीमारियां

कैद में रहने वाले हाथी पैरों से संबंधित प्रमुख बीमारियां जैसे फोड़े-फुंसी, पैरों में सड़न, बढ़े हुए नाखून और फटे हुए फुटपैड से पीड़ित होते हैं। जबकि फ़ुटपैड की चोटों में दरारें, कट, खरोंच या नुकीली चीज़ें जैसे कील, कांच के टुकड़े आदि शामिल हो सकते हैं, जो आगे चल कर पैरों में सड़न बैक्टीरिया या फंगल संक्रमण का कारण बनती है। पैरों की ये बीमारियां उनके नियमित दैनिक जीवन के संबंध में उनकी गतिशीलता को प्रभावित करती हैं।

पैरों की बीमारी से बचाव के लिए विशेष जूते

वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु-चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डॉ. इलियाराजा, बताते हैं, “हम संक्रमण या चोट की गहराई जानने के लिए हाथियों के पैरों का निरीक्षण करते हैं। हम नियमित रूप से पैरों की सफाई करते हैं, जहां हम गंदगी साफ़ करना, नाख़ून बनाना और फुटपैड में से अन्य खतरनाक पदार्थ हटाते हैं जो उनके तलवों में जमा हो सकते हैं। 40 वर्षीय एम्मा एक मादा हथिनी है, जिसको रेस्क्यू करने के समय पैरों के पैड में नुकीले पत्थर, कंकड़, धातु के टुकड़े और कांच के टुकड़े घुसे हुए पाए गए। ऐसे गंभीर मामलों में हम हाथियों के लिए दवाओं के साथ विशेष जूते बनाते हैं, जो उन्हें चलने के दौरान भी मदद करते हैं।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि जंगल में हाथी हर दिन लगभग 18-20 घंटे चलते हैं, जो विभिन्न इलाके के कारण स्वाभाविक रूप से उनके नाखून काट देते हैं। हमारे पुनर्वास प्रयासों में हम हाथियों को प्राकृतिक वातावरण में नरम मिट्टी पर चलने के लिए प्रोत्साहित करके उनके प्राकृतिक व्यवहार को प्रोत्साहित करने को प्राथमिकता देते हैं।

अप्राकृतिक सतहों पर चलने से होता है पैरों को नुकसान

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा कि हमारी टीम इन हाथियों के बड़े, मोटे और नरम फुटपैड का विशेष रूप से ध्यान रखती है, जो प्राकृतिक सतहों पर चलने के लिए प्रत्येक पैर पर दबाव को समान रूप से वितरित करते हैं। लेकिन कैद में उन्हें अप्राकृतिक सतहों को पार करने के लिए मजबूर किया जाता है जो उनके पैरों को नुकसान पहुंचाते हैं। हाथी बचाओ दिवस इस समस्या को उजागर करने और यह दिखाने के लिए उपयुक्त है कि उनकी सहायता के लिए क्या किया जा सकता है।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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