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आजादी का अमृत महोत्सव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। कोविड-19 और उसके बाद लाकडाउन के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर देश ने तेजी से रफ्तार पकड़ी।

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Published on: 11 March 2021 6:42 AM GMT
आजादी का अमृत महोत्सव
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फोटो— सोशल मीडिया

डा. श्रीकांत श्रीवास्तव (Dr. Srikanth Srivastava)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। कोविड-19 और उसके बाद लाकडाउन के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर देश ने तेजी से रफ्तार पकड़ी। प्रधानमंत्री ने भौतिक प्रगित के साथ ही साथ सामाजिक और आध्यात्मिक प्रगति को भी पूरी तरजीह दी। यही कारण है कि उन्होंने जो भी अभियान शुरू किये वह केवल सरकारी अभियान तक सीमित नहीं रहा बल्कि एक जन आंदोलन भी बना। चाहे स्वच्छता अभियान हो या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम रही हो या आत्मनिर्भर बनने की कवायद जनता ने पूरी श्रद्दा और विश्वास के साथ इन आंदोलनों के प्रति अपनी एकजुटता दिखाई।

प्रधानमंत्री ने देश की नई पीढ़ी को उन मूल्यों से परिचित कराने के लिए जिन्हें लेकर आजादी की लड़ाई लड़ी गयी थी एक विशेष अभियान शुरू करने की देशवासियों को प्रेरणा दी। आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर 12 मार्च, 2021 से पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जायेगा। यह अपने किस्म का पहला कार्यक्रम होगा जब पूरा देश उन क्रांतिकारियों को नमन करेगा जिन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास काफी पुराना है। ब्रिटश हुकुमत के आने के साथ ही साथ आजादी के दीवानों ने आजादी का बिगुल बजा दिया था पंजाब सहित देश के विभिन्न प्रांतों में किसानों ने आंदोलन किया। किसानों के इन आंदोलनों के आगे ब्रिटश हुकुमत को बार—बार झुकना पड़ा था। 1857 में एक बार फिर सुनियोजित ढंग से अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया गया। मेरठ की छावनी में मंगल पांडे ने इसकी अगुवाई की और साबित कर दिया कि भारत के लोगों को गुलाम बनाकर रखना अंग्रेजों के लिए इतना आसान नहीं है। मंगल पांडे द्वारा शुरू किए गये इस आंदलोन की चिंगारी पूरे देश में फैल गई। नाना साहेब पेशवा, तात्या टोपे, बाबू कुंवर सिंह औऱ रानी लक्ष्मीबाई जैसे क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकुमत की चुल हिलाकर रख दी।

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आंदोलन भले ही संगीन के बल पर दबा दिया गया था लेकिन उसने देशवासियों के भीतर आजादी की जो प्रेऱणा उत्पन्न कर दी थी उसे दबा पाना अंग्रेज ही नहीं बल्कि दुनिया की किसी भी ताकत के बस में नहीं था। बाद में राजनीति के मंच पर महात्मा गांधी का आगमन हुआ। महात्मा गांधी ने देश को एक नया नेतृत्व दिया। सत्य और अहिंसा जैसे अमोघ अस्त्र के साथ महात्मा गांधी ने ब्रिटश हुकुमत द्वारा किये जा रहे अत्याचार का विरोध किया। महात्मा गांधी की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने टुकड़ों में बंटे आजादी के आंदोलन को देश का आंदोलन बनया और समाज के हर तबके के लोगों को इसके साथ जोड़ा। प्रसिद्ध कवि सोहन लाल दिवेदी ने महात्मा गांधी के बारे में एक मशहूर कविता लिखी। कविता की दो पंक्तियां इस प्रकार से हैं-चल पड़े जिधर दो डगमग में, पड़ गये कोट पग उसी ओर। यह महात्मा गांधी के चमत्कारिक व्यक्तित्व का जादू था कि उन्होंने जो भी आंदोलन शुरू किया चाहे वो स्वदेश का हो या सत्याग्रह का हो या फिर सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ छेड़ा गया कोई आंदोलन वह भारतवासियों का आंदोलन बना। आज यही जादू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्तव का है। प्रधानमंत्री जी ने जो भी आंदोलन शुरू किया वो जन आंदोलन बना। सोहन लाल दिवेदी ने जो पंक्तियां कभी महात्मा गांधी के लिये लिखी थी आज वहीं मोदी के उपर चरितार्थ हो रही है।

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प्रधानमंत्री ने आजादी के मूल्यों से देशावासियों को परिचित कराने का संक्ल्प लिया। उन्होंने जिस आत्मनिर्भर भारत की बात की है यह उसकी बुनियाद है। महात्मा गांधी ने जब आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया था उस समय देश में कुछ ही एसे ही मूल्यों की स्थापना की गयी थी। इतिहास गवाह है कि परिवर्तन का रथ जब भी आया वह मूल्यों के राजमार्ग से ही होकर आया। परिवर्तन चाहे वह आर्थिक मोर्चे का हो या सामाजिक, राजनीतिक हो या सांस्कृतिक हो मानव अस्मिता उसकी मूल चेतना हुआ करती है। प्रसिद्ध समाजशास्त्री सिसरो ने अपने लेख में इसकी पुष्टि भी की है। भारत में आजादी की लड़ाई जो लड़ी गयी है उसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वह देश के लोगो की चेतना से जुड़ी थी आज जिस आत्मनिर्भर भारत की बात प्रधानमंत्री द्वारा की गयी है निश्चित रुप से वह भी लोगों की इसी चेतना से जुड़ी है। देश तभी आत्मनिर्भर बनेगा जब एक सौ तीस करोड़ भारतवासी खुद को आत्मनिर्भर समझेंगे। आत्मनिर्भरता एक विचार ही नहीं बल्कि जिस समय यह विचार जीवनशैली में परिवर्तित होगा उस समय आत्मनिर्भरता की जो परिकल्पना मोदी ने की है वह साकार होती दिखेगी। इसेक लिये उन मूल्यों को समझना बुहत आवश्यक है जिन्हें लेकर आजादी की लड़ी गयी थी और आजादी के बाद भारत के विकास की कहानी लिखी गयी।

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हमारी आज की जो पीढ़ी विकास की इबारतें लिख रही है वह आजादी के बाद की है। उसे नहीं पता कि किस तरीके से क्रांतिकारियों ने अपने जीवन को मातृभूमि की बलबेदी पर न्यौछावर कर दिया था। घर घर आजादी की उमंग थी। हर जाति धर्म और संप्रदाय के लोग आजादी की इस मुहिम में शामिल थे। बच्चा—बच्चा आंदोलित था। जब ये भावना लोगों के भीतर जगेगी तभी भारत आत्मनिर्भर बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बहुत बड़े दार्शनिक और विचारक भी है। इन्होंने जो भी योजना शुरू की उसकी एक पृष्ठभूमि भी तैयार की। अगर आयुष्मान भारत जैसी योजना शुरू की गयी तो इससे पहले पृष्ठभूमि के रुप में स्वच्छता आंदोलन शुरू किया गया और उज्जवला योजना के तहत घर घर मुफ्त घरेलू रसोई गैस के सिलेंडर पहुचाये गये।

आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में 12 मार्च, 2021 से प्रारंभ होकर 15 अगस्त, 2023 तक अलग—अलग कार्यक्रमों के माध्यम से समारोह पूर्वक मनाया जायेगा। 12 मार्च, 1930 से पांच अप्रैल, 1930 तक गांधी की एतिहासिक दांडी यात्रा की याद में 12 मार्च, 2021 से पांच अप्रैल, 2021 तक 25 दिवसीय विशेष आयोजन पूरे देश में किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 मार्च, 2021 को पूर्वाहन 11 बजे गुजरात में अहमदाबाद में साबरमती आश्रम से इसकी शुरुआत करेंगे।

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उतर प्रदेश में चार स्थानों पर यह कार्यक्रम विशेष रूप से आयोजति किया जायेगा। बलिया में शहीद स्मारक, लखनऊ में शहीद स्मारक काकोरी, मेरठ में शहीद स्मारक, स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय और झांसी में इसे जो जगहों पर आयोजित किया जा रहा है, पहला झांसी के एतिहासिक किले में और दूसरा पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में। इन सभी चारों स्थानों को दूरदर्शन की तरफ से प्रधानमंत्री के साबरमती आश्रम के शुभारम्भ के साथ लिंक किया जा रहा है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय की विभिन्न इकाइयों- पत्र सूचना कार्यलय, प्रादेशिक लोक सम्पर्क ब्यूरो, दूरदर्शन और आकाशवाणी द्वारा प्रदेश सरकार के सहयोग से इन कार्यक्रमों में जोरदार भागेदारी सुनिशिचित की जा रही है। आरओबी द्वारा इन चारों ही चयनित स्थल पर क्रातिकारियों के व्यक्तित्व और कृतत्व को लेकर भव्य चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। पीआईबी इस पूरे कार्यक्रम का समन्वय कार्य कर रही है। इसके अलावा पूरे प्रदेश में सभी 75 जिलों में 12 मार्च 2021 को रैलियां निकाली जायेंगी और संगोष्ठियों का आयोजन किया जायेगा साथ ही साथ छात्रों के बीच प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जायेगा।

(लेखक भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी हैं)

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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