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प्रतिभा है-पर पैसों की कमी ने सूर्यांश को टेनिस चैंपियनशिप से किया मायूस!

उप्र सॉफ्ट टेनिस के कोच व चयनकर्ता प्रशांत शर्मा कहते हैं कि पांच हजार रुपये स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को देना पड़ता है, बाकी रुपये हम बच्चों के आने-जाने-खाने-ठहरने की व्यवस्था पर खर्च करते हैं। सरकार किसी तरह की मदद नहीं करती है इसलिए खिलाडिय़ों के माता-पिता से बात करने के बाद ही उनसे पैसे के लिए कहा गया था।

Shivakant Shukla
Published on: 21 Dec 2018 3:06 PM GMT
प्रतिभा है-पर पैसों की कमी ने सूर्यांश को टेनिस चैंपियनशिप से किया मायूस!
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लखनऊ: खेलेगा इंडिया तो खिलेगा इंडिया। खेलो इंडिया, हम साथ हैं। ये खेल के प्रति उत्साहित करने वाले नारे शायद लिखने बोलने में ही अच्छे लगते हैं। खेल में भी अब प्रतिभा नहीं बल्कि पैसा देख जाने लगा है। ऐसा ​ही एक कारनामा 13 साल का सूर्यांश के साथ हुआ जिससे वह आज मायूस है। उसके पास प्रतिभा की कमी नहीं, पैसों की कमी है, जिसके चलते उसका स्पोर्ट्स करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया।

64वीं नेशनल स्कूल गेम्स सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप 14-18 दिसंबर तक मध्यप्रदेश के देवास में शुरू हुआ। हर राज्य की टीम इसमें भाग ली। उत्तरप्रदेश की टीम में लखनऊ के सूर्यांश नेगी ने अपने टैलेंट के दम पर उप्र टीम में जगह बना ली थी। लेकिन इसके बाद चयनकर्ताओं ने उससे 15 हजार रुपये की मांग कर दी। कहा कि बिना इसके काम नहीं चलेगा। पैसे देने में असमर्थ सूर्यांश को अंतत: टीम से निकाल दिया गया। मायूस सूर्यांश के पिता धर्मेंद्र सिंह ने एक समाचार पत्र को ईमेल भेजकर आपबीती बताई और अपील की कि सूर्यांश की गुहार देश के खेल मंत्री व प्रधानमंत्री तक पहुंचाएं।

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राजधानी के उभरते सॉफ्ट टेनिस खिलाड़ी सूर्यांश नेगी का चयन उप्र अंडर-14 टीम में हुआ था। सूर्यांश ने ट्रायल में बेहतरीन प्रदर्शन कर टीम में जगह बनाई थी। इस बड़ी सफलता से सूर्यांश और उसका पूरा परिवार खुशी से गदगद हो गया, लेकिन यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिकी। सूर्यांश के पिता धमेंद्र सिंह ने बताया कि बेटे के चयन के एक-दो दिन बाद ही यूपी टीम के कोच प्रशांत शर्मा ने टीम में चयन पाने वाले खिलाडिय़ों के अभिभावकों को बुलाया और कहा कि जिन खिलाडिय़ों को चैंपियनशिप में खेलना है, उन्हें पंद्रह-पंद्रह हजार रुपये देने होंगे।

इस पर जब धर्मेंद्र ने कहा कि स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की प्रतियोगिताओं में खेलने के लिए तो महज 130 रुपये ही रजिस्ट्रेशन शुल्क है तो कोच प्रशांत के पास इस सवाल का जवाब नहीं था। धर्मेंद्र, हम इतना पैसा देने में असमर्थ थे सो हमने कोच से प्रार्थना की, उनसे मदद मांगी। लेकिन कोच प्रशांत और यूपी सॉफ्ट टेनिस संघ के पदाधिकारियों का दिल नहीं पसीजा और उन्होंने मुझसे कहा कि सूर्यांश का नाम टीम से वापस लेने के लिए लिखित आवेदन सौंप दो। तब मजबूरी में मुझे सूर्यांश का नाम वापस लेना पड़ा।

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चयनकर्ता प्रशांत शर्मा कहते हैं..

उप्र सॉफ्ट टेनिस के कोच व चयनकर्ता प्रशांत शर्मा कहते हैं कि पांच हजार रुपये स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को देना पड़ता है, बाकी रुपये हम बच्चों के आने-जाने-खाने-ठहरने की व्यवस्था पर खर्च करते हैं। सरकार किसी तरह की मदद नहीं करती है इसलिए खिलाडिय़ों के माता-पिता से बात करने के बाद ही उनसे पैसे के लिए कहा गया था।

प्रदेश सरकार मदद नहीं करती

स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सदस्य मुन्ना लाल साहू ने कहा कि स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के तहत महज 18 खेलों के लिए ही उत्तरप्रदेश सरकार आर्थिक मदद करती है इन खेलों में सॉफ्ट टेनिस नहीं आता है। कोच से लेकर रेल टिकट और कई खर्चे होते हैं, जिसे खिलाडिय़ोंं को खुद देना पड़ता है। इसके लिए प्रत्येक खिलाड़ी के हिसाब से पांच हजार रुपये खर्च निर्धारित किया गया है। हालांकि एसएफजीआइ का रजिस्ट्रेशन चार्ज सिर्फ 130 रुपये है, अगर खिलाडिय़ोंं से पंद्रह हजार रुपये लिया गया है तो यह गलत है। इसकी जांच करवाई जाएगी।

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उप्र सॉफ्ट टेनिस संघ के सचिव दीपक चावला ने कहा- हमें कोई लेना-देना नहीं...

उप्र सॉफ्ट टेनिस संघ के सचिव दीपक चावला का कहा है कि स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के किसी भी टूर्नामेंट से सॉफ्ट टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया को कोई लेना-देना नहीं है। वे कितना पैसा ले रहे हैं, खिलाड़ी कितना पैसा दे रहे हैं, इससे भी हमारा कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि सरकार भी सॉफ्ट टेनिस खिलाडिय़ों को कोई मदद नहीं करती है। ऐसे में कोच और खिलाडिय़ों को लाने- ले जाने व ठहराने का पैसा कहां से आएगा।

Shivakant Shukla

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