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Annu Rani : खेत में फेंकती थी भाला, बनाया नेशनल रिकॉर्ड, अब ओलंपिक की बारी

Annu Rani : अन्नू रानी ने हाल ही में 63.24 मीटर भाला फेंककर नेशनल रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता था। वर्ल्ड रैंकिंग के आधार पर उनको टोक्यो ओलंपिक में शामिल होने का मौका मिला।

Annu Rani : आर्थिक समस्याओं के साथ खेल की शुरुआत करने वाली अन्नू रानी (Annu Rani) को टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olampic) में पदक (medal) मिलने का पूरा भरोसा है। अन्नू रानी ने हाल ही में 63.24 मीटर भाला फेंककर नेशनल रिकॉर्ड (National Record) के साथ स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीता था। अन्नू रानी मात्र .77 मीटर से ओलंपिक क्वालिफाई (olympic qualify) करने से चूक गई थीं लेकिन वर्ल्ड रैंकिंग (world ranking) के आधार पर उनको टोक्यो ओलंपिक में शामिल होने का मौका मिला। अन्नू के किसान पिता को विश्वास है कि बेटी जरूर पदक लेकर लौटेगी और देश का मान बढ़ाएगी।

रोचक है अन्नू का भाला फेंकने का किस्सा


अन्नू रानी बचपन में अपने भाईयों को दौड़ते देखती थी। इसी के बाद अन्नू को भी खेल के प्रति आकर्षण पैदा हुआ। अन्नू ने अपने भाईयों को देखते हुए खेतों में डण्डा फेंकना शुरू कर दिया। इसके बाद अन्नू ने खेत में ही बांस को भाले की तरह फेंकना शुरू किया। अन्नू बांस के साथ ही वजन चीजे भी फेंकती थी। जिसके बाद अन्नू ने शुरू में भाला के साथ ही गोला और चक्का फेंकने का भी अभ्यास किया। लेकिन सही मार्गदर्शन मिलने के बाद अन्नू ने भाला फेंक में ही महारत हासिल की।

गुरुकुल प्रभात आश्रम से शुरू किया प्रशिक्षण

प्रतियोगिता के दौरान भाला फेंकती अन्नू रानी (फाइल फोटो)

मेरठ की अंतरराष्ट्रीय एथलीट अन्नू रानी का सफर मेरठ के गुरुकुल प्रभात आश्रम से शुरू हुआ था। साल 2009-10 में अन्नू ने यहीं से खेल प्रशिक्षण शुरू किया। गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी विवेकानंद सरस्वती के मार्गदर्शन व संरक्षण में अन्नू ने शुरुआत में तीन खेल चुने थे। इनमें डिस्कस थ्रो, शॉट पुट और जैवलिन था। लेकिन गुरू स्वामी विवेकानंद की सलाह के बाद अन्नू ने जैवलिन पर ही फोकस करना शुरू कर दिया। इसके बाद जैवलिन में निखरते प्रदर्शन के साथ डिस्कस और शॉटपुट पीछे छूट गया। आगे चलकर यही खेल अन्नू रानी की पहचान बनी और इसी खेल में आगे बढ़ते हुए अन्नू रानी उपलब्धियों की सीढ़ियां चढ़कर ओलंपिक तक पहुंची। अन्नू रानी ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली देश की पहली महिला जैवलिन खिलाड़ी भी होने जा रही हैं।

पिता की प्रेरणा से खेल के मैदान में पहुंचीं अन्नू रानी

तिरंगे के साथ अन्नू रानी (फाइल फोटो)

किसान अमरपाल सिंह के घर 28 अगस्त 1992 को जन्मीं अन्नू रानी पांच बहन-भाइयों में सबसे छोटी हैं। अमरपाल सिंह ने बताया उनका भतीजा लाल बहादुर व बेटा उपेंद्र अच्छे धावक रहे हैं। वह खुद शॉटपुट खिलाड़ी रह चुके हैं। पिता की प्रेरणा से अन्नू रानी ने खेल के मैदान पर कदम रखा। वह गांव की चकरोड और दबथुआ कॉलेज में अभ्यास करती थीं। शुरुआत में भाला फेंक के साथ गोला फेंक और चक्का फेंक में अभ्यास करती थीं। लेकिन आखिरकार उन्होंने भाला फेंक को अपना भविष्य चुना। परिजनों का कहना है कि अन्नू ओलंपिक से सोने का तमगा लेकर ही लौटेंगी।

कद बन गया कामयाबी की सीढ़ी

प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन के बाद खुश अन्नू रानी (फाइल फोटो)

अन्नू रानी का कद करीब साढ़े पांच फीट है, जबकि विदेशी महिला खिलाड़ियों का कद छह फीट से भी ऊपर है। अन्नू रानी कहा करती हैं कि भाला फेंक में दुनिया की सबसे छोटे कद की खिलाड़ी भले हों, लेकिन उनका क़द ही उनकी कामयाबी की सीढ़ी भी बना है। गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी विवेकानंद सरस्वती ने उन्हें 2010 में डिस्कस व गोला फेंक के बजाए भाला फेंक पर फोकस करने की सलाह दी और इस सलाह ने अन्नू रानी की दुनिया ही बदल दी।

डेढ़ लाख का भाला खरीदने के नहीं थे पैसे

किसान पिता अमरपाल सिंह बताते हैं कि वह डेढ़ लाख रुपये का भाला दिलाने में असमर्थ थे, अन्नू को पहला भाला 25 सौ रुपये में दिलाया था। जिसके बाद अन्नू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कामयाबी हासिल की। गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी विवेकानंद सरस्वती ने उन्हें 2010 में डिस्कस व गोला फेंक के बजाए भाला फेंक पर फोकस करने की सलाह दी और इसके बाद अन्नू रानी की दुनिया ही बदल गई। अन्नू को ओलंपिक का टिकट मिलने के साथ वो यूपी से खेलों के महाकुम्भ जाने वाली 13वीं खिलाड़ी हो गई हैं।

अन्नू रानी की खास उपलब्धियां

- 2014 एशियाई गेम्स में कांस्य

- 2014 कामनवेल्थ गेम्स में प्रतिभाग

- 2015 में एशियाई चौंपियनशिप में कांस्य

- 2017 में एशियाई चौंपियनशिप में रजत

- वर्ल्ड एथलेटिक्स चौंपियनशिप में फाइनल में जगह पक्की करने वाली पहली भारतीय बनीं

- आठ बार की राष्ट्रीय रिकॉर्ड होल्डर एथलीट



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Sushil Shukla

Sushil Shukla