TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

500 रुपए के किराए पर उठते हैं प्राथमिक विद्यालय के कमरे, कहां पढ़ें बच्चे?

By
Published on: 23 Oct 2017 7:03 AM GMT
500 रुपए के किराए पर उठते हैं प्राथमिक विद्यालय के कमरे, कहां पढ़ें बच्चे?
X

बाराबंकी: शिक्षा का मंदिर यानी बच्चों के ज्ञान अर्जित करने का मंदिर, पर जब उस मंदिर को समाज के कुछ दबंग लोग अपनी दबंगई से उसपर ना ही केवल कब्ज़ा कर लें बल्कि उसको अपना आशियाना बना लें, ऐसे में शिक्षा के मंदिर में पढ़ने और पढ़ाने वाले दोनों, शिक्षक और विद्यार्थी मंजूर होकर हालात से समझौता करने को मजबूर हो ही जाएंगे।

यह भी पढ़ें: विश्‍वविद्यालयों में अशांति की अनदेखी कितनी उचित, कौन है इसके पीछे

बाराबंकी में यूं तो ऐसे कई प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां कमोवेश ऐसे स्थिति हमेशा से बनी हुई हैं कि विद्यालय में पढ़ने आने वाले विद्यार्थियों को विभिन्न समस्याओं का हर दिन सामना करना पड़ता है, जिसको लेकर जिला बेसिक शिक्षा विभाग हमेशा से चर्चाओं में बना रहा है। फिर वो चाहे वो प्राथमिक विद्यालय के जर्जर भवन की बात हो या फिर बिजली की।

यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द किया जिला विद्यालय निरीक्षक का आदेश

पर जैतपुर थाना क्षेत्र के इस गांव में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय की अजीब ही दास्तान है। यहां के विद्यालय का भवन पहले से जर्जर तो है ही, साथ ही विद्यालय में ज्ञान अर्जन करने आने वाले बच्चों को अब अपने ही कक्षाओं में बैठने के बजाय विद्यालय में अन्य दो कक्षाओं में एक साथ बैठ कर पढ़ना पड़ रहा है। आलम यह हैं कि विद्यालय में पढ़ाने आए शिक्षक भी सब कुछ जानने के बाद विवश हैं क्योंकि विद्यालय को आशियाना बनाने वालों को गांव के प्रधान का संरक्षण प्राप्त हैं।

यह भी पढ़ें: पटना विश्वविद्यालय को PM नरेंद्र मोदी ने दिया ‘बाबाजी का ठुल्लू’!

वहीं इन विद्यालयों में पढ़ाने आए शिक्षकों की मानें तो विद्यालय में रहने वाले लोग बिहार के कुछ लेबर हैं जो कि गांव में बन रही सड़क का कार्य कर रहे हैं, जिनको प्रधान के इशारे पर ठेकेदार ने रखवाया हैं। आलम यह है कि अब शिक्षक भी सब कुछ जनते हुए हालात से समझौता कर किसी तरह सभी बच्चों को बची हुई दो कक्षाओं में पढ़ने को मजबूर हैं।

अब सवाल यह है कि शिक्षा के इस मंदिर पर जिसपर ज्ञान अर्जित करने आने वाले बच्चों का अधिकार है, अब वो मंदिर चंद दबंग प्रधान और ठेकेदारों की जागीर बन गया है, जिसकी सुध लेना शायद जिले का बेसिक शिक्षा विभाग भी ज़रूरी नहीं समझता, ऐसे में उन मासूम बच्चों का भविष्य निश्चित ही अंधकार की बढ़ने की ओर है।

Next Story