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पुरानी पेंशन बहाली को लेकर महा हड़ताल का ऐलान, 21 जनवरी से आंदोलन शुरू
अब मंच ने हड़ताल की घोषणा कर दी है। 21 जनवरी को जिलों में धरना प्रदर्शन, 28 जनवरी को सभी जनपद मुख्यालय पर मशाल जुलुस और 6 फरवरी से 12 फरवरी तक साप्ताहिक ऐतिहासिक महा हड़ताल के साथ ही 12 फरवरी को ही अग्रिम महा आन्दोलन की घोषणा की जाएगी।
लखनऊ: पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारी संघ सरकार से एक बार फिर दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। कर्मचारी, शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच ने 21 जनवरी से आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। यदि यह आंदोलन बेअसर होता है तो 6 फरवरी से सात दिवसीय महा हड़ताल होगी।
8 अक्टूबर को इको गार्डन में हुआ था प्रदर्शन
बीते आठ अक्टूबर को कर्मचारी, शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच ने पुरानी पेंशन बहाली की एक सूत्री मांग को लेकर इको गार्डन में जोरदार प्रदर्शन किया था। मुख्यमंत्री स्तर पर वार्ता के बाद एक समिति बनी। इसका कार्यकाल 24 दिसम्बर को पूरा हो रहा है। 27 दिसम्बर को इसकी अंतिम बैठक भी हुई। पर वह बेनतीजा रही।
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यह है हड़ताल का प्लान
अब मंच ने हड़ताल की घोषणा कर दी है। 21 जनवरी को जिलों में धरना प्रदर्शन, 28 जनवरी को सभी जनपद मुख्यालय पर मशाल जुलुस और 6 फरवरी से 12 फरवरी तक साप्ताहिक ऐतिहासिक महा हड़ताल के साथ ही 12 फरवरी को ही अग्रिम महा आन्दोलन की घोषणा की जाएगी।
पुरानी पेंशन बहाली की मांग
मंच के पदाधिकारियों ने बताया कि मंच ने सरकार की मंशा के अनुरूप उसे पूरा समय दिया। मंच ने मुख्य सचिव के समक्ष पुरजोर तरीके से यह तर्क रखा कि नई पेंशन योजना 14 वर्षो तक सही स्थिति में नहीं आ पाई है। उस पर विश्वास नही किया जा सकता। ऐसी स्थिति में कर्मचारी और शिक्षकों के साथ अधिकारी संवर्ग को 01 अप्रैल 2005 से पूर्व लागू पुरानी पेंशन योजना ही स्वीकार होगी।
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नई पेंशन में कर्मचारियों को आर्थिक लाभ नहीं
मंच के पदाधिकारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना में कार्मिकों का सेवानिवृत्त भविष्य अनिश्चितता से भरा है। लोग सेवानिवृत्ति के बाद 700 और 800 रूपये प्रतिमाह पेंशन पाते दिखाई पड़ रहे है। जबकि सरकार कह रही है कि नई पेंशन में कर्मचारियों को पहले से अधिक आर्थिक लाभ मिलेगा। 2014 के संसदीय चुनाव से पूर्व नोटा प्रयोग करने के तहत प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी सहमत हुए थे। उन्होंने वादा किया था लेकिन पाॅच वर्ष बीतने के बाद भी कोई निर्णय नही लिया गया।
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