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संकट के समय अपनी जान की परवाह किए बिना सेवा कार्य करते रहे स्वयंसेवक: नरेन्द्र

प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में ‘बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

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Newstrack NetworkPublished By Ashiki
Published on: 22 July 2021 2:02 PM GMT
Vidya Bharti
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'बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम के आयोजन में मौजूद (दाहिने से) सुधा तिवारी, नरेन्द्र, डॉ. शालिनी भसीन और सौरभ मिश्रा

लखनऊ: गुरुवार को सरस्वती कुंज निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में 'बच्चे हैं अनमोल' कार्यक्रम के 14वें अंक का आयोजन हुआ। विशिष्ट वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ने कहा कि संघ सेवा कार्य करता है, प्रदर्शन से दूर रहता है। पूरे देश में हमारे लाखों कार्यकर्ताओं ने कोरोना की इस महामारी में बिना अपनी जान की परवाह किये हुए जनसेवा की है, लोगों को भोजन पहुंचाया है, बुजुर्ग दम्पतियों तक दवाएं पहुंचाई और उनकी सहायता में तत्पर रहे हैं। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से समाज को बचाने के लिए भी संघ ने पूरी तैयारी कर ली है। संघ ने करीब 30 लाख लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर प्रशिक्षण और सामाजिक चेतना के विकास के लक्ष्य पर कार्य कर रहा है।

इस कार्यक्रम में विद्या भारती के शिक्षक, बच्चे और उनके अभिभावक सहित लाखों लोग आनलाइन जुड़े थे, जिनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया। विशिष्ट वक्ता मा. नरेन्द्र ने कहा कि संघ केवल व्यक्ति निर्माण करता है, उनको नई दिशा प्रदान करता है। समाज में जहां जैसी जरूरत पड़ती है, वहां पर अपना सहज दायित्व समझकर संघ समाज में योगदान देता है। कोराना काल में सेवा भारती और विद्या भारती ने बहुत ही सेवा कार्य किया, लेकिन वह प्रचार-प्रसार नहीं करता।

उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक अकेले नहीं करता, अपितु वह समाज के सज्जन लोगों के साथ मिलकर सेवा का कार्य करता है। संघ के जितने भी अन्य अनुषांगिक संगठन सेवा करते हैं, वह पूरी तरह नियम का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि आज वैचारिक संघर्षों की दृष्टि से संघ का विचार क्या है? उसको समाज में ले जाने के लिए वाणी के साथ-साथ दिखाने की भी आवश्यकता है। संघ प्रचार प्रसार का उपयोग अपने लिए नहीं, बल्कि समाज तक सही बात पहुंचाने के लिए करता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में एक तो संक्रमण का भय है, दूसरा अपनों से लोगों में लगाव का अभाव होता जा रहा है। अब समाज में पहले जैसी आत्मीयता नहीं दिख रही है, कोरोना काल में अपने परिवार को भी लोग भूल जा रहे है, यह सब संस्कारों के अभाव में हो रहा है। हमें अपने बच्चों को संस्कारवान बनाना है। इसके लिए बच्चों की दिनचर्या में बदलाव, सामूहिक भोजन, एक साथ वंदना और उनमें लगाव की भावना उत्पन्न करना होगा।

मुख्य वक्ता बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी भसीन ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद जैसे लोगों ने सावधानियां बरतनी बंद कर दी है, उसको देखकर ऐसा लगता है कि तीसरी लहर आ सकती है। दूसरे देशों में तीसरी लहर भी आ चुकी है, ऐसे में इस बात को नकारा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि वयस्कों को वैक्सीन लग चुकी है, लेकिन बच्चों को अभी वैक्सीन लगना बाकी है। बच्चों को वैक्सीन न लगने की वजह से अभिभावकों के मन में भय है, लेकिन उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि बच्चों में अच्छी इम्युनिटी होती है और उनमें एसीई रिसेप्टर कम मात्रा में होते हैं, इसलिए उन्हें गंभीर संक्रमण का खतरा कम है। उन्होंने कहा कि हमें सावधानियां बरतनी होंगी, बच्चों की इम्युनिटी पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि नवजात शिशुओं को माताएं स्तनपान कराएं और बड़े बच्चों को पोषक तत्त्वों से परिपूर्ण भोजन दें, ताकि उनकी इम्युनिटी बढ़ सके। अभिभावक अपने बच्चों की दिनचर्या पर विशेष ध्यान दें, उन्हें योग-व्यायाम और खेलकूद के लिए प्रेरित करें। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनेटाइजेशन का ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि यदि किसी में संक्रमण के लक्षण दिखते हैं तो उसे खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए।

कार्यक्रम अध्यक्ष सरस्वती बालिका विद्या मंदिर, जानकीपुरम की प्रधानाचार्य सुधा तिवारी ने कहा कि काफी समय से स्कूल बंद चल रहे हैं, जिस वजह से बच्चों की दिनचर्या भी अव्यवस्थित हो गई है। कोरोना काल में बच्चों के समय पालन और अनुशासन में गिरावट देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस समय माताओं की जिम्मेदारी और बढ़ गई है कि वह अपने बच्चों घर में भी स्कूल जैसा अनुशासन और वातावरण बनाएं। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को अपने बच्चों की शिक्षा और अन्य क्रियाकलापों पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्हें बच्चों के मन में शिक्षा के प्रति भाव जागृत करना होगा। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चों की लिखावट भी खराब होती जा रही है, इसलिए लिखावट पर भी ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही उनके खान-पान का भी ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान की समस्याएं चिरस्थायी नहीं हैं, इसलिए इससे की डरने नहीं, लड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि घर की महिलाओं को इस समय सामंजस्य और संयम बनाकर रखकर परिवार को चलाना है।

कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर मिश्रा, सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, शुभम सिंह सहित कई पदाधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।

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