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KGMU में रेजिडेंट्स ने निकाला कैंडल मार्च, देश में 1 लाख जूनियर डॉक्टरों की कमी, NEET-PG की काउंसलिंग में SC का अड़ंगा
Lucknow News: दरअसल, सोमवार को डॉक्टरों ने हड़ताल के दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर पैदल मार्च निकाल दिया। जिसके बाद पुलिस और जूनियर डॉक्टरों की झड़प हुई और पुलिस ने 2500 जूनियर डॉक्टरों को हिरासत में ले लिया था।
Lucknow News: मंगलवार को देर शाम राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) के सामने जूनियर व सीनियर रेजिडेंट्स सहित तमाम संकाय सदस्यों ने कैंडल जलाकर प्रदर्शन किया। यह कैंडल मार्च दिल्ली में चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को समर्थन देने व हिरासत में लिए गए जूनियर डॉक्टरों को जेल से छोड़ने के लिए किया गया था। बता दें कि, दिल्ली में पिछले 12 दिनों से नीट-पीजी काउंसलिंग जल्द कराने को लेकर जूनियर डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं। जबकि, सरकार का कहना है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सोमवार को डॉक्टरों ने हड़ताल के दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर पैदल मार्च निकाल दिया। जिसके बाद पुलिस और जूनियर डॉक्टरों की झड़प हुई और पुलिस ने 2500 जूनियर डॉक्टरों को हिरासत में ले लिया था। हालांकि, बाद में पुलिस ने सभी को छोड़ दिया। इसके बाद रात को डॉक्टरों ने सफदरजंग अस्पताल ने मार्च निकाला और सरोजनी नगर थाने का घेराव किया। वहीं, एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठन ने स्वास्थ्य मंत्री के नाम चिट्ठी लिखकर सरकार और पुलिस से माफी की मांग की है।.
डॉक्टरों की हड़ताल क्यों है जारी?
बता दें कि, पहले जूनियर डॉक्टरों की NEET-PG परीक्षा जनवरी की बजाय सितंबर में यानी कि 9 महीने की देरी से हुई थी। उसके बाद अब जब रिजल्ट आ गया है, तो काउंसलिंग नहीं हो पा रही है। इससे अस्पतालों को जहां नए डॉक्टर्स नहीं मिल रहे हैं, वहीं मौजूदा डॉक्टरों पर काम बोझ बढ़ता चला जा रहा है। आलम यह है कि डॉक्टरों की भारी कमी हो गई है, जिससे जूनियर डॉक्टरों को 36 घंटे तक लगातार ड्यूटी करना पड़ रहा है।
रेजिडेंट डॉक्टरों की ये हैं मांगें
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के मद्देनजर जूनियर डॉक्टर पूरी तरह सचेत हैं। उन्हें पता है कि मौजूदा समय में लगभग 1 लाख जूनियर डॉक्टरों की कमी से पूरा देश जूझ रहा है। इसलिए, इनकी मांगें हैं कि काउंसलिंग के लिए सरकार तुरंत कदम उठाए। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के पाले में सरकार यह फैसला न छोड़े। काउंसलिंग की तारीखों का जल्द से जल्द एलान हो। नहीं तो, फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिये मामले की सुनवाई की जाए।