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Kalyan Singh Death Anniversary: जब कल्याण सिंह पहली बार स्वास्थ्य मंत्री बने थे, तब उनके घर में दरवाजे नहीं थे
कल्याण सिंह को इलाके में बाबू जी नाम से पुकारते थे। उनके पुराने मित्र आज भी उन्हें बहुत याद करते है।
Kalyan Singh Death Anniversary: कल्याण सिंह जिस क्षेत्र में भी रहे सफ़ल रहे। जिस चीज़ में उन्होंने क़दम रखा कामयाब रहे, मेरी अंग्रेज़ी देखकर कहा था बाबू जी ने की इंग्लिश से एमए करना। मैंने वही किया। कल्याण सिंह को इलाके में बाबू जी नाम से पुकारते थे। उनके पुराने मित्र आज भी उन्हें बहुत याद करते है। सुभाष लोधी ने उनसे जुड़ी यादों को शेयर किया है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम व राजस्थान, हिमाचल प्रदेश के गवर्नर रहे भाजपा के क़द्दावर नेता कल्याण सिंह अब हमारे बीच में नहीं हैं, उनके क़िस्से व लोगों द्वारा बताई गई बातों को याद करते हुए उनके पैतृक गांव मढौली के निवासी थक नहीं रहे हैं। अतरौली तहसील के बढ़ौली ग्राम निवासियों का कहना है कि बाबू जी ने जिस भी क्षेत्र में क़दम रखा, उन्हें उस क्षेत्र में कामयाबी मिली। उन्होंने खेती किसानी, शिक्षा राजनीति क्षेत्र में काम करके दिखाया है। ग्राम मढ़ौली का नाम देशभर में उन्होंने ऊँचा किया है। ये सब ऊपरी तौर पर है, लेकिन दिल के दुःख का कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता। हमें कितना दुःख हुआ है। ये बातें कहते वक्त सुभाश लोधी की आंखों में पानी आ गया।
कल्याण सिंह के पैतृक आवास मढ़ौली गांव के निवासियों का कहना है कि हमें बहुत दुःख है। बाबू जी के निधन का, ये सब ऊपरी तौर पर है लेकिन दिल के दुःख का कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता कि हमें कितना दुःख हुआ है। कल्याण जिस क्षेत्र में क़दम रखा वह उसी क्षेत्र में सफ़ल रहे। किसान के रूप में उन्होंने इसी गांव के लोगों को बताया कैसे खेती करनी है, उसी मॉडल पर लोग खेती कर रहे हैं, और कामयाब हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने खूब नाम कमाया, राजनीति में आने से पहले वे सरकारी शिक्षक रहें। राजनीति के क्षेत्र में तो उन्होंने पूरे देश में ऐसा नाम कमाया, जिससे गांव की पहचान हुई। सुभाष बताते हैं कि जब में 4 वर्ष का था तभी से वह मुझे बहुत लाड प्यार करते थे। जब मैं 8वीं क्लास में था तब मेरी अंग्रेज़ी को देखकर उन्होंने कहा था की तेरी अंग्रेज़ी बहुत अच्छी है, तू अंग्रेज़ी से ही एमए करना। उनकी बात मानी और अंग्रेज़ी से एमए किया।
सुभाष कहते हैं कि गांव में दो लोग ऐसे थे, जब तक हम नहीं आ जाते थे, तब तक वह गांव में किसी शादी समारोह में आकर खाना नहीं खाते थे। कल्याण सिंह नगर पालिका में टीचर हुआ करते थे। उस समय के संघ प्रचारक मांगीलाल शर्मा थे। उन्होंने उस समय सोचा था कि कल्याण सिंह को राजनीति में लेकर आऊंगा। ये बीज एक दिन बहुत बड़ा पौधा बनेगा। उस समय नौकरी से इस्तीफ़ा देकर कल्याण सिंह ने पहला इलेक्शन 1962 में लड़ा था। उस चुनाव को कल्याण सिंह हार गए थे।
उसके बाद वह जीतते रहे। 9 बार विधायक रहे। बहुत ईमानदार थे। एक पैसा घर में दो नम्बर का नहीं आया। जब वह स्वास्थ्य मंत्री थे। उस दौरान उनके मढौली स्थित घर में एक कमरे को छोड़कर किसी में भी दरवाजे नहीं थे। राम मंदिर के लिए उनको मुलायम सिंह यादव ने रास्ता दिखा दिया था। जब कारसेवकों पर गोली चली थी, कई कारसेवक मारे गए थे। उसी समय कल्याण सिंह ने ये दृढ़ निश्चय किया था कि राम मंदिर बनवाऊंगा।