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Jhansi News: विज्ञान महोत्सव 2022 का शुभारंभ, इन विषयों पर की गई चर्चा

Vigyan Mahotsav 2022: बुंदेलखंड विश्वविद्यालय एवं विज्ञान भारती झांसी के संयुक्त तत्वाधान में विज्ञान महोत्सव 20-22 (Vigyan Mahotsav 2022) का शुभारंभ ऑनलाइन माध्यम से हुआ।

B.K Kushwaha
Report B.K KushwahaPublished By Shreya
Published on: 1 Feb 2022 1:07 PM GMT
Jhansi News: विज्ञान महोत्सव 2022 का शुभारंभ, इन विषयों पर की गई चर्चा
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विज्ञान महोत्सव (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Vigyan Mahotsav 2022: बुंदेलखंड विश्वविद्यालय एवं विज्ञान भारती झांसी के संयुक्त तत्वाधान में विज्ञान महोत्सव 20-22 (Vigyan Mahotsav 2022) का शुभारंभ ऑनलाइन माध्यम से हुआ। जिसके मुख्य अतिथि विज्ञान भारती (Vigyan Bharati) के राष्ट्रीय संगठन सचिव जयंत सहस्त्रबुद्धे रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (Bundelkhand University) के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडे ने की। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती पूजन के साथ हुई उसके पश्चात विज्ञान भारती मंत्र के वाचन द्वारा कार्यक्रम आगे बढ़ा।

विज्ञान भारती ब्रह्मा व्रत कानपुर प्रांत के महासचिव डॉक्टर सुनील मिश्र ने स्वागत उद्बोधन दिया। जिसके बाद विज्ञान महोत्सव के सह समन्वयक डॉक्टर बृजेश दीक्षित ने विज्ञान भारती का परिचय एवं वार्षिक आख्या प्रस्तुत की तत्पश्चात विज्ञान महोत्सव के संयोजक डॉ संजीव श्रीवास्तव ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का परिचय एवं 1 फरवरी से 28 फरवरी तक पूरे माह चलने वाले महोत्सव के कार्यक्रमों की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी।

प्राचीन भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर की गई चर्चा

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विज्ञान महोत्सव के मुख्य संरक्षक कुलपति बुंदेलखंड विश्वविद्यालय प्रोफेसर मुकेश पांडे ने अपने उद्बोधन में कार्यक्रम के विषय प्राचीन भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत के वैज्ञानिकों की योगदान के संबंध में विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि हमारा विज्ञान प्राचीन काल में ही इतना उन्नत एवं संपन्न था, जिसके ज्ञान से शेष विश्व ने बाद में अपने शोध कार्य किए। वर्तमान छात्रों को भी अपनी पौराणिक विरासत से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र एवं विश्व की उन्नति हेतु एवं सामान्य जनमानस के लिए लाभप्रद वैज्ञानिक शोध कार्यों को करने के प्रेरित किया।

मुख्य अतिथि राष्ट्रीय संगठन सचिव जयंत सहस्रबुद्धे ने अपने वक्तव्य के दौरान स्वतंत्र भारत के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों में सभी प्रतिभागियों को स्वतंत्रता आंदोलन में वैज्ञानिकों की भूमिका के बारे में विस्तृत रूप से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता पूर्व समस्त विदेशी आक्रांताओं द्वारा भारत के आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत को मिटाने का प्रयास किया गया किंतु ऐसे कठिन समय में भी भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने अथक प्रयासों द्वारा अभूतपूर्व योगदान दिया। परंतु उनके किए गए कार्यों को बढ़ावा नहीं दिया गया बल्कि उन्हें चोरी करके विदेशी आक्रांताओं ने अपना शोध कार्य बताया।

आज के इस आने वाले समय में हमें यह प्रयास करना चाहिए कि हम सभी अपनी विरासत को कैसे संजोए व संरक्षित रखें साथ ही साथ उत्तरोत्तर वृद्धि कर विश्व पटल पर राष्ट्र को गौरवान्वित करें।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना समन्वयक डॉ मुन्ना तिवारी, आयोजन सह सचिव डॉ कमलेश बिलगैंया, आंतरिक कार्यसमिति के सदस्य डॉ सुरेंद्र कुमार वर्मा, डॉ राजीव सिंह डॉ टी के शर्मा, डॉ विजय यादव, श्री मनोज यादव, श्रीमती रंजना उपाध्याय, डॉ विकास वर्मा, डॉ नरेंद्र पाठक, डॉ खुर्शीद हसन, मनमोहन मनु सहित विश्विद्यालय, महाविद्यालय एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ अनुपम व्यास ने किया एवं आभार विज्ञान भारती कानपुर प्रान्त के समंवयक डॉ ललित गुप्ता द्वारा किया गया।

Jhansi- एसएफएस शिक्षकों का मामला

उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय स्ववित्त पोषित शिक्षक संघ की बैठक का आयोजन जूम एप के माध्यम से किया गया, जिसमें बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, आगरा विश्वविद्यालय आगरा, कानपुर विश्वविद्यालय कानपुर, पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर, अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद सहित कई विश्वविद्यालयों के एसएफएस शिक्षकों ने सहभागिता कर एक स्वर में नियमतीकरण हेतु आवाज बुलंद की।

सर्वसम्मति से तय किया कि प्रत्येक राजनैतिक दल को नियमतीकरण हेतु मांगपत्र सौंपा जाएगा, जो दल अपने घोषणापत्र में इस मांग को शामिल करेगा, संघ उसका समर्थन करेगा। इस अवसर पर सभी शिक्षकों से अनुरोध किया गया कि वे अपने अपने वि वि के अधिकाधिक शिक्षकों से गूगल फार्म भरवाएं और नियमतीकरण के संघर्ष को तेज करें। इस अवसर पर प्रो रमापति मिश्रा, प्रो सुनील प्रजापति, डॉ मुकेश कुमार वर्मा, डॉ रेखा लगरखा, डॉ आनंद प्रताप सिंह, डॉ मुहम्मद नईम, डॉ सुनील निरंजन, डॉ दीप्ति सिंह, डॉ निरपेंद्र सिंह, डॉ दिनेश कुमार सिंह, डॉ उमेश कुमार, डॉ विजय कुमार आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। बैठक की अध्यक्षता प्रो रमापति मिश्रा ने तथा संचालन डॉ मुकेश कुमार वर्मा ने किया।

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