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विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने चेयरमैन को बर्खास्त कर गिरफ्तार करने की मांग

प्रदेश के ऊर्जा मंत्री द्वारा पावर कारपोरेशन के चेयरमैन की भूमिका पर सवाल उठाने व नई सरकार बनने के बाद दागी कम्पनी डीएचएफएल में 41 अरब रूपये की धनराशि जमा करने का तारीखवार खुलासा होने के बाद विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेन्स की नीति के तहत पावर कारपोरेशन के चेयरमैन जो ट्रस्ट के भी चेयरमैन हैं, को बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाये।

Roshni Khan
Published on: 7 Nov 2019 1:02 PM GMT
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने चेयरमैन को बर्खास्त कर गिरफ्तार करने की मांग
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लखनऊ: प्रदेश के ऊर्जा मंत्री द्वारा पावर कारपोरेशन के चेयरमैन की भूमिका पर सवाल उठाने व नई सरकार बनने के बाद दागी कम्पनी डीएचएफएल में 41 अरब रूपये की धनराशि जमा करने का तारीखवार खुलासा होने के बाद विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेन्स की नीति के तहत पावर कारपोरेशन के चेयरमैन जो ट्रस्ट के भी चेयरमैन हैं, को बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाये। समिति ने यह भी मांग की है कि उप्र पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट में जमा धनराशि के भुगतान की जिम्मेदारी सरकार ले और इस बाबत गजट नोटीफिकेशन जारी करे। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से बिजली कर्मचारियों के हित में प्रभावी हस्तक्षेप करने की अपील की है।

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संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने ये बताया

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने गुरुवार को बताया कि 17 मार्च 2017 को डीएचएफएल को पहली किश्त 21 करोड़ रूपये की दी गयी थी। एक हफ्ते बाद दूसरी किश्त 33 करोड़ रूपये की दी गयी थी। इसके बाद 03 अप्रैल को 215 करोड़ रूपये, 15 अप्रैल को 96 करोड़ रूपये, 01 मई को 220 करोड़ रूपये और 19 मई को 169 करोड़ रूपये दिये गये। इस प्रकार डीएचएफएल को रूपये देने का क्रम दिसम्बर 2018 तक जारी रहा और ट्रस्ट के 65 प्रतिशत से अधिक 4122.70 करोड़ रूपये मौजूदा सरकार के समय में डीएचएफएल को दिया। उन्होंने कहा कि उक्त घोटाले को छुपाने के लिए ट्रस्ट की हर तिमाही होने वाली बैठक 30 महीने तक नहीं की गयी। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में सरकार अपने दायित्व से विमुख नहीं हो सकती और कर्मचारियों के भुगतान की जिम्मेदारी लेते हुए सरकार को गजट नोटीफिकेशन जारी करना ही चाहिए।

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इधर, पावर कार्पोरेशन में हुए पीएफ घोटाले के विरोध में राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश की सभी परियोजनाओं व जिला मुख्यालयों पर तीसरे दिन भी बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं को विरोध प्रदर्शन जारी रहा। संघर्ष समिति ने विरोध प्रदर्शन का यह क्रम आगे भी जारी रखने का एलान करते हुए कहा है कि आगामी 18 व 19 नवम्बर को 48 घण्टे का प्रान्तव्यापी कार्य बहिष्कार होगा।

Roshni Khan

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