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Gorakhpur Siliguri Expressway: मात्र 6 घंटे में बंगाल से पहुंचेंगे यूपी, फिर सीधे आ जाइए दिल्ली

Gorakhpur Siliguri Expressway: केंद्र सरकार गोरखपुर से सिलिगुड़ी के बीच ग्रीनफील्ड गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे का निर्माण करने जा रही है। इस पर काम शुरू हो गया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 8 July 2022 3:47 PM GMT
Gorakhpur Siliguri Expressway
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Gorakhpur Siliguri Expressway (Photo - Social Media)

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Gorakhpur Siliguri Expressway: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश में सड़कों का जाल बिछा रही है। देश के हर भाग में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए हाईवे औऱ एक्सप्रेस वे का निर्माण करवाया जा रहा है। अच्छी सड़कें किसी भी निवेश के लिए एक प्रमुख शर्त होती है। विकास की दौड़ में पिछड़ रहा देश का पूर्वी हिस्सा खराब कनेक्टिविटी निवेशकों के प्राथमिकता में नहीं रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार पूर्वी भारत में एक बड़े और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की शुरूआत करने जा रही है। जो देश के तीन बड़े राज्यों को आपस में जोड़ेगी।

केंद्र सरकार गोरखपुर से सिलिगुड़ी के बीच ग्रीनफील्ड गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे का निर्माण करने जा रही है। इस पर काम शुरू हो गया है। इस एक्सप्रेस वे की कुल लंबाई 519 किलोमीटर है, जिसमें 84 किलोमीटर हिस्सा उत्तर प्रदेश में रहेगा। ये गोरखपुर से शुरू होकर देवरिया व कुशीनगर जनपद होते हुए बिहार में प्रवेश करेगा। इसकी खासियत ये है कि ये आबादी वाले हिस्से से नहीं गुजरेगा। इसलिए ये एक्सप्रेस वे सीधा होगा। शुरूआत में ये एक्सप्रेस वे चार लेन का होगा, जरूरत पड़न पर इसकी चौड़ाई को भविष्य में बढ़ाया भी जा सकता है। इस प्रोजेक्ट का निर्माण भारतमाला योजना के अंतर्गत किया जा रहा है।

गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे की यहां से होगी शुरूआत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर से गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे की शुरूआत प्रस्तावित रिंग रोड के कनेक्टिंग प्वाइंट जगदीशपुर से होनी है। यहां से ये कुशीनगर के तमुकहीराज तहसील होते हुए बिहार के गोपालगंज में प्रवेश कर जाएगा।

Gorakhpur Siliguri Expressway

जमीन अधिग्रहण में नहीं आएगी समस्या

गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे परियोजना में शामिल तीनों राज्य यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल घनी आबादी वाले राज्य हैं। इसलिए यहां जमीन अधिग्रहण करना काफी चुनौती भरा काम रहा है। यही वजह है कि विकास की कई परियोजनाएं जमीन अधिग्रहण में आने वाली समस्याओं के कारण धरातल पर नहीं उतर पाती हैं। केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस समस्या को देखते हुए एक ऐसा रास्ता निकाला, जिससे जमीन अधिग्रहण में विशेष अड़चन नहीं आएगी। इसका निर्माण आबादी वाले क्षेत्रों से हटकर किया जाना प्रस्तावित है। इंटीरियर इलाकों में जमीन खरीद में कोई समस्या नहीं आती है।

गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे की बिहार में सबसे अधिक होगी लंबाई

गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे का सबसे लंबा हिस्सा बिहार से गुजरेगा। बिहार में भी उत्तर बिहार के जिलों से। यूपी से निकलकर ये बिहार में गोपालगंज में प्रवेश करेगा, यहां से सीवान छपरा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया और किशनगंज होते हुए वेस्ट बंगाल में प्रवेश करेगा और सिलीगुड़ी तक जाएगी।

बंगाल से वाया बिहार, यूपी दिल्ली जाना होगा आसान

गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के तैयार हो जाने के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की कनेक्टिविटी सड़क मार्ग से पूर्वोतर भारत में अच्छी हो जाएगी। इस एक्सप्रेस वे के बदौलत महज 6 घंटे में लोग सिलीगुड़ी से देवरिया पहुंच जाएंगे। यहां से गोरखपुर- आजमगढ़ लिंक एक्सप्रेस वे और वहां से पूर्वांचल एक्सप्रेस व लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे होते हुए दिल्ली पहुंच जाएंगे। बता दें कि फिलहाल गोरखपुर से सिलीगुड़ी जान के लिए एनएस – 27 है, जिसपर यातायात का काफी दवाब है। इसकी लंबाई भी 80 किलोमीटर अधिक है।

पूर्वी भारत में विकास का खुलेगा द्वार

भारत का सबसे पिछड़ा हिस्सा किसी को माना जाता है, तो वो है देश का पूर्वी हिसा। यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे देश की सबसे अधिक आबादी वाले राज्य यहां बसते हैं। विकास के तमाम सूचकांकों में इनकी क्या स्थिति है, ये किसी से छिपी नहीं है। हालिया नीति आयोग की रिपोर्ट ने भी इन राज्यों की स्थिति को गंभीर बताया है। ऐसे में गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे से इन राज्यों में विकास के नए आयाम खुलेंगे। इस परियोजना के अंतगर्त आने वाले शहरों मैं इकोनॉमिक कॉरिडोर, इंटर कॉरिडोर, फोरलेन सड़क आदि का निर्माण किया जाएगा। बता दें कि इन तीनों राज्यों की आबादी 40 करोड़ के करीब है।

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