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शौचालय के लिए सविता ने लोगों को किया जागरुक, इस काम में लगी हैं आठ टोलियां

tiwarishalini
Published on: 29 Sep 2017 7:25 AM GMT
शौचालय के लिए सविता ने लोगों को किया जागरुक, इस काम में लगी हैं आठ टोलियां
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पूर्णिमा श्रीवास्तव की रिपोर्ट

गोरखपुर। एक महिला अगर ठान ले, तो वह अंधेरे में भी उम्मीद की लौ जला सकती है। ऐसी ही एक महिला है जिसने एकला चलो रे...को साकार करते हुए ऐसा काम कर दिखाया जो बिरले ही कर पाते हैं। इस महिला ने शौचालय बनवाने के लिए अपने गहने और मंगलसूत्र तक को बेच दिया। हालांकि शुरूआत में तो उसके इस कदम का विरोध हुआ, लेकिन अब गांव की तस्वीर बदल गई है। इस महिला के साथ आज गांव की महिलाएं टोलियां बनाकर लोगों को खुले में शौच जाने से रोकती है और उन्हें खुले में शौच के दुष्प्रभाव के बारे में भी बताकर जागरूक भी करती हैं।

गोरखपुर के बूढ़ाडीह गांव की रहने वाली सविता ने हालांकि अक्षय कुमार की फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा नहीं देखी है। लेकिन, सविता की कहानी इस फिल्म से काफी मिलती जुलती है। बिहार के पटना की रहने वाली सविता की वर्ष 2011 में जब बूढ़ाडीह गांव के रहने वाले वीरेन्द्र मौर्य से शादी हुई, तो वह सविता को लेकर शिमला कमाने चला गया। जब 8 माह बाद सविता अपने ससुराल बूढ़ाडीह पहुंची, तो उन्हें यह जानकार हैरत हुई कि उन्हें यहां खुले में शौच जाना होगा। उसके बाद तो घर में तूफान आ गया।

सविता ने पति से खुले में शौच जाने से साफ इंकार कर दिया। वह बताती हैं कि मायके और शिमला में भी कभी वह खुले में शौच नहीं गई थीं। जब उन्हें पता चला कि सुसराल में शौचालय नहीं है और लोग यहां पर खुले में शौच जाते हैं तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने पति से घर में शौचालय बनवाने के लिए कहा जब पति ने छह माह का समय मांगा, तो सविता ने अपने गहने और मंगलसूत्र बेच दिए।

सविता बताती हैं कि पहले तो गांव के पुरुष और महिलाओं के विरोध का उन्हें सामना करना पड़ा। पर उन्होंने ठान लिया कि वह महिलाओं को घर से निकलकर बाहर शौच के लिए नहीं जाने देंगी। उन्होंने अपने घर में शौचालय बनवाने के बाद गांव की महिलाओं को उनके सम्मान के बारे में जागरूक करना शुरू किया तो गांव की महिलाएं भी उनके साथ इस मुहिम में जुट गई। सविता और उनकी टोली डंडा और सीटी लेकर सुबह और शाम खेत और सडक़ की ओर शौच जाने वाले लोगों को समझाती हैं और खुले में शौच करने से होने वाले नुकसान के बारे में भी बताती हैं।

इतना ही नहीं सविता और गांव की महिलाएं अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन का हिस्सा भी हैं। महिलाओं ने भी माना कि जब हम शादी-ब्याह और घर बनवा सकते हैं तो आखिर घर में एक शौचालय क्यों नहीं। उन्हें सविता की बात समझ में आने लगी। गांव की रहने वाली अंजुमारा भी इस अभियान से जुड़ी हुई हैं। महिलाओं को घर में शौचालय नहीं होने के कारण कई बार उपवास भी करना पड़ा है। सविता की गांव की महिलाएं भी सविता के इस अनोखे प्रयास से सबक लेकर अपने घरों में शौचालय बनवा रही हैं और गांव के अन्य लोगों को भी शौचालय बनवाने के लिए जागरूक कर रही हैं।

बूढ़ाडीह गांव में ही इन महिलाओं की 8 टोलियां हैं जो भोर में और शाम को सूरज ढलने के सीटी और डंडे के साथ सडक़ों की रखवाली करती है। गांव की रहने वाली आशा कार्यकत्री दुर्गा चौधरी और शांति देवी बताती हैं कि वह भी महिलाओं की टोली का हिस्सा हैं। वह महिलाओं की टोली के साथ निकलकर लोगों को जागरूक करती हैं। वह बताती हैं कि वह लोग नारे लगाते हुए खेतों और सडक़ पर जाती हैं। जब कभी कोई खुले में शौच करते दिखता है तो उसे ऐसा करने से मना करती हैं और बताती हैं कि इससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। दुर्गा बताती हैं कि अब गांव में इसका असर दिखने लगा है। 400 घरों में कम से कम 160 घरों में शौचालय बन गया है। इसमें गांव के प्रधान राम भुआल का भी काफी सहयोग रहा है।

बूढ़ाडीह गांव के प्रधानपति राम भोग सिंह भी सविता की तारीफ करते हुए कहते हैं कि उनके प्रयास ने गांव की तस्वीर बदल दी है। यहीं वजह है कि आसपास के गांव के लोग भी सविता और यहां की महिलाओं से सीख ले रहे हैं. वह बताते हैं कि भोर में और शाम को सूरज ढलने के साथ ही वह गांव की महिलाओं के साथ सडक़ और खेत की ओर निकल जाते हैं और खुले में शौच करने वाले लोगों को समझाते हैं। वह बताते हैं कि अब तक गांव में 160 घरों में शौचालय बन गए हैं और 300 घरों में और शौचालय बन जाएगा, तो यह गांव खुले में शौच से मुक्त हो जायेगा।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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