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शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तय अवधि में अर्जियां तय करने का निर्देश
इलाहाबाद: उच्च न्यायालय ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को निश्चित अवधि के भीतर अर्जियों को तय करने का सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया और कहा कि एक माह के भीतर इस आशय का शासनादेश निर्गत कर दिया जाय। कोर्ट में हाजिर निदेशक साहब सिंह निरंजन ने कोर्ट को आश्वासन भी दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी केशरवानी ने प्रबंध समिति किसान मजदूर इंटर कालेज आजमगढ़ की याचिका पर दिया है। प्रबंध समिति ने कालेज में सहायक लिपिक की नियुक्ति की अनुमति मांगी। जिस पर पांच माह बीत जाने के बाद भी कोई आदेश पारित न होने पर याचिका दाखिल की। कोर्ट ने सरकारी वकील को जानकारी प्राप्त कर बताने का समय दिया। किन्तु कोई जानकारी नहीं दी गयी तो कोर्ट ने संयुक्त शिक्षा निदेशक को तलब कर लिया। कोर्ट में हाजिर होने से पहले एक अगस्त को संयुक्त शिक्षा निदेशक ने याची की विचाराधीन अर्जी तय कर दी। तो कोर्ट ने याची की याचिका अर्थहीन मानते हुए खारिज कर दी। किन्तु छूट दी कि वह एक अगस्त के आदेश को चुनौती दे सकता है। दूसरे मामले में कोर्ट में मौजूद शिक्षा निदेशक का कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर ध्यान आकृष्ट किया तो उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह तय समय में अर्जियों के निस्तारण के निर्देश जारी करेंगे।
कोर्ट की अन्य खबरें:
नोएडा कम्पनी के दो निदेशकों की जमानत अर्जी खारिज
इलाहाबाद: उच्च न्यायालय ने मेसर्स वेबरली हिल्स कैरान कम्पनी के दो निदेशकों गिरजा शंकर राठी व ध्रुव राठी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
निदेशकों पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर क्रेडिट लोन लेकर भाग जाने का आरोप है। मामले की सीबीआई जांच हो रही है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति डी.के सिंह की खण्डपीठ ने दिया है। सीबीआई के अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश का कहना था कि याचियों ने नोएडा स्थित कार्पोरेशन बैंक से कई मदों में लोन लिए। इन पर नौ करोड़ का बकाया है। बैंक के डी.जी.एम, एम.एन.के विश्वनाथन ने एफआईआर दर्ज कराया है। लोन लेकर दोनों मुंबई जाकर नाम व पहचान बदल कर रहे थे। सीबीआई ने गिरफ्तार कर अप्रैल 2017 में जेल भेज दिया है। इन्होंने कम्पनी का फर्जी असेट दिखाकर बैंक से लोन लिया और अदा न कर पहचान छिपाकर मुंबई भाग गये थे। लोन 2013 में लिया गया था।
मृतक आश्रित की नियुक्ति में देरी पर क्यों न लगे हर्जाना: हाईकोर्ट
इलाहाबाद: उच्च न्यायालय ने मृतक आश्रितों की नियुक्ति में अनावश्यक देरी पर कड़ा रूख अपनाया है और प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा को कारण स्पष्ट करने को कहा है कि क्यों न कोर्ट सामान्य समादेश जारी कर यह व्यवस्था करे।
कोर्ट ने कहा है कि क्यों न आश्रित कोटे में दी गयी अर्जी तीस दिन के भीतर तय करना अनिवार्य हो, जहां पर समय अवधि में छूट के लिए प्रकरण राज्य सरकार को भेजा गया हो, उस पर भी प्रेषित करने की तिथि के 30 दिन के भीतर आदेश पारित हो।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव से हलफनामा मांगते हुए पूछा है कि यदि अर्जी नियमानुसार नहीं है तो खामियां दुरूस्त करने के लिए एक हफ्ते के भीतर जरूरी पेपर दाखिल करने का क्यों न समय दिया जाय। क्यों न मृतक आश्रित नियुक्ति अर्जी निर्धारित अवधि में तय न करने वाले अधिकारी पर देरी के लिए प्रतिदिन 200 रूपये हर्जाना आवेदक को दिलाया जाय। यह राशि आवेदक को सरकार भुगतान करे तथा देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारी से वसूल ले। कोर्ट ने प्रमुख सचिव से संबंधित पत्रावली के साथ हलफनामा मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी केशरवानी ने पीयूष सिंह की याचिका पर दिया है। याची के ससुर तेज बहादुर सिंह जो नेहरू इंटर कालेज पाटनपुरा जिला मऊ में इतिहास के प्रवक्ता थे। 26 जनवरी 2018 को सेवाकाल में मृत्यु हो गयी। याची ने 22 फरवरी 2018 को आश्रित कोटे में नियुक्ति की अर्जी दी। प्रबंध समिति ने भी याची के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर भेजा है। याची अधिकारियों से मिली भी तो बताया गया कि उच्चाधिकारी से दिशा निर्देश मांगे गये हैं। याची ने प्रत्यावेदन भी दिया किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो हाईकोर्ट की शरण ली है। याची के साथ उसकी सास व दो बच्चे रह रहे हैं। वे मृतक के आश्रित हैं। कोर्ट ने कहा कि विधवा पुत्र वधू भी परिवार में शामिल है और अधिकारी नियुक्ति के बजाय उसे अनावश्यक रूप से परेशान कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इससे आश्रितों को अधिकारियों से विश्वास उठ जायेगा।
मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ दाखिल रिवीजन खारिज
इलाहाबाद: उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अपराधिक मुकदमा चलाये जाने को लेकर दाखिल निगरानी (रिवीजन) को आज खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि याची यदि चाहे तो निचली अदालत में निगरानी दाखिल कर सकता है।
मालूम हो कि इसी घटना को लेकर योगी आदित्यनाथ द्वारा दर्ज करायी गयी क्रास एफआईआर में दाखिल अंतिम रिपोर्ट के विरूद्ध रिवीजन निचली अदालत महाराजगंज में दाखिल की गयी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस.डी सिंह ने महाराजगंज निवासी तलत अजीज की निगरानी पर अधिवक्ता एस.एफ.ए नकवी व अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व एजीए प्रथम ए.के सण्ड को सुनकर दिया है।
प्रश्नगत रिवीजन मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के विरूद्ध दर्ज प्राथमिकी में अंतिम रिपोर्ट दर्ज करने के बाद दाखिल प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र को निचली अदालत ने 13 मार्च 2018 को परिवाद खारिज कर दिया था। मालूम हो कि 11 फरवरी 1999 को महाराजगंज जिले के थाना कोतवाली में तलत अजीज द्वारा प्राथमिकी दर्ज करायी गयी कि 10 फरवरी को सायं सात बजे योगी आदित्यनाथ अपने समर्थकों के साथ असलहों से लैस होकर आए और मुझ पर गोली चलायी जिसमें सत्य प्रकाश गनर की मौत हो गयी। इस प्रकरण में क्रास केस योगी आदित्य नाथ ने भी कोतवाली थाने में दर्ज करायी थी। यह प्राथमिकी श्रीमती तलत अजीज, जनार्दन ओझा पूर्व विधायक व अन्य के विरूद्ध दर्ज करायी थी। पूर्व में निचली अदालत ने दो प्रकरणों में अंतिम रिपोर्ट दाखिल होने पर 08 फरवरी 2005 को एक साथ सुनवाई करने का आदेश दिया था। क्रास केस में दाखिल रिवीजन को निचली अदालत ने सुनवाई हेतु एडमिट कर लिया है।