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इतिहासकार पद्मश्री डॉक्टर योगेश प्रवीन का निधन, लखनऊ में ली अंतिम सांस

डॉक्टर योगेश प्रवीन का सोमवार को लखनऊ में निधन हो गया। योगेश प्रवीन को साल 2020 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Dharmendra Singh
Published on: 12 April 2021 4:32 PM IST (Updated on: 12 April 2021 5:24 PM IST)
योगेश प्रवीन
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योगेश प्रवीन (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

लखनऊ: इतिहासकार पद्मश्री डॉक्टर योगेश प्रवीन का सोमवार को लखनऊ में निधन हो गया। योगेश प्रवीन को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।उन्होंने लखनऊ शहर के इतिहास और संस्कृति पर कई किताबें लिखी हुई हैं।

उन्होंने लखनऊ के इतिहास पर कई बड़े काम किए हैं। यहां की हर छोटी से छोटी बात के बारे में उनको जानकारी थी। योगेश प्रवीन को लखनऊ की पहचान और शान कहा जाता था।

बीते साल जब उनको पद्मश्री से सम्मानित किया था, तो उन्होंने कहा था कि पद्म पुरस्कार मिलना उनके लिये देर से ही सही मगर बहुत खुशी की बात है। इतिहासकार ने कहा था कि अक्सर इंसान को सब कुछ समय पर नहीं मिलता। उन्होंने कहा था कि अब सुकून से अगली यात्रा पर चल सकूंगा।

नहीं पहुंची एंबुलेंस

बताया जा रहा है 82 साल के इतिहासकार डॉ योगेश प्रवीन की तबीयत सोमवार को कुछ खराब थी। परिजन को निजी वाहन से लेकर बलरामपुर अस्पताल जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उनका निधन हो गया।

मिली जानकारी के मुताबिक, उनकी तबियत बिगड़ने पर एंबुलेंस 108 को जानकारी दी गई। लेकिन बहुत देर तक इंतजार करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची जिसके बाद उन्हें निजी वाहन से ले जाना पड़ा। इसके बाद अस्पताल पहुंचने पर डाॅक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया गया।

योगेश प्रवीन (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

योगेश प्रवीन को मिले हैं ये सम्मान

योगेश प्रवीन को उनकी पुस्तक लखनऊ नामा के लिए नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया। उनकी यह पुस्तक अवध की सौ महत्वपूर्ण इमारतों का इतिहास है। उन्हें उत्तर प्रदेश रत्न, नेशनल टीचर अवार्ड, यश भारती अवार्ड, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
डॉ. योगेश प्रवीन की लगभग 35 किताबें प्रकाशित हैं। जो अवध की संस्कृति और लखनऊ की सांस्कृतिक विरासत पर आधारित हैं। उनकी किताबें प्रमाण हैं लेखन का, जिसमें रामकथा महाकाव्य ' अपराजिता ' और उर्दू में कृष्ण पर आधारित 'विरह बांसुरी' विशेष हैं






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Dharmendra Singh

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