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Lucknow: KGMU में हुए दो शोध, अब मुख कैंसर मरीज़ों को बार-बार नहीं करानी पड़ेगी बायोप्सी

Lucknow: केजीएमयू स्थित डीएचआर-एमआरयू सेंटर में मुख कैंसर पर दो शोध किए हैं। इस केन्द्र की फैकल्टी इंचार्ज एवं नोडल ऑफिसर प्रो. दिव्या मेहरोत्रा हैं, जो कि मुख कैंसर एवं प्री कैंसर के शोध में अग्रणी रिसर्चर है।

Shashwat Mishra
Published on: 2 Jun 2022 1:50 PM GMT
KGMU
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KGMU। (Social Media)

Lucknow: "अब मार्कर से कैंसर की अवस्था का पता चल सकेगा, जिससे बार-बार बायोप्सी नहीं करानी पड़ेगी। वहीं, जिन लोगों में विटामिन-ए को प्रतिसरित करने वाला एंजाइम तंत्र नहीं होता, उनमें कैंसर होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।" ये दोनों नतीजे किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) स्थित डीएचआर-एमआरयू सेंटर (DHR-MRU Center) में हुए दो शोधों में आए। बता दें कि केजीएमयू (KGMU) में केन्द्र सरकार (Central Government) द्वारा वित्तपोषित DHR-MRU Centre है, जिसका संचालन कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. वीके पुरी (Vice Chancellor Lt Gen Dr. VK Puri) के मागदर्शन में विगत वर्षों से सफलता पूर्वक हो रहा है। इस केन्द्र की फैकल्टी इंचार्ज एवं नोडल ऑफिसर प्रो. दिव्या मेहरोत्रा (Nodal Officer Prof. Divya Mehrotra) हैं, जो कि मुख कैंसर एवं प्री कैंसर के शोध में अग्रणी रिसर्चर है। साथ ही, ओरल मैक्सिलोफेसियल सर्जरी विभाग (Department of Oral Maxillofacial Surgery) में सीनियर प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।

मुख कैंसर होने का प्रमुख कारण है तंबाकू

मुख कैंसर भारतवर्ष की प्रमुख बीमारियों में से एक है, जिसके होने का प्रमुख कारण तंबाकू होता है। डीएचआर-एमआरयू सेंटर में विगत वर्षो में मुख कैंसर में दो प्रमुख शोध हुये हैं, जिससे मुख कैंसर के होने के कारणों एवं चिकित्सीय विकल्पों के बारे मे नयी जानकारी प्राप्त हुयी हैं।

बार-बार बायोप्सी टेस्ट से मिलेगी निजात

पहला शोध BCL2 एवं HSP 70 नामक मार्कर पर हुयी है। इस शोध में 300 कैंसर और प्री कैंसर प्रतिभागियों को शामिल किया गया और उनके खून के नमूनों से इन मार्करों को निकालकर, मरीजों के कैंसर नमूनों (ऊतकों) का मिलान किया गया। इस शोध में यह पाया गया कि इन मार्करों के माध्यम से कैंसर की अवस्था का पता किया जा सकता है, जिससे बार-बार बायोप्सी नामक टेस्ट से मरीजो को निजात मिलेगी। ज्ञात हो की कई बार बायोप्सी प्रक्रिया कैंसर उपचार के दौरान करनी पड़ती है।

'कैंसर होने की सम्भावनाएं अत्याधिक'

दूसरा शोध विटामिन-ए एवं उससे उत्पन्न उत्पादों का कैंसर निवारण में हुआ। इस शोध में लगभग 250 मुख कैंसर ग्रसित प्रतिभागियों पर विटामिन-ए और उससे सम्बन्धित मार्करों का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला, जिन प्रतिभागियों में विटामिन-ए को प्रतिसरित वाला एंजाइम तन्त्र नहीं होता या वह सुचारू रूप से कार्य नहीं करता, उन्हें कैंसर होने की सम्भावनाएं अत्याधिक होती है। और, उनके इलाज एंटिआक्सिडेंट विटामिन का कोई अनुकूल चिकित्सीय असर नहीं होता।

इन दोनों शोधों को डीएचआर-एमआरयू सेंटर के साइंटिस्ट डॉ राहुल पाण्डेय, प्रो गीता सिंह और ओरल पैथोलॉजी की हेड प्रो शालीन चन्द्रा के समन्वय में हुआ। साथ ही, डॉ रूबी द्विवेदी एवं मिस एकता एंथोनी का भी योग्दान रहा।

Deepak Kumar

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