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Jaunpur News: पूर्वांचल यूनिवर्सिटी के वेबिनार में बोले सुब्रमण्यम भारती, रचना के केंद्र में था राष्ट्रवाद

Jaunpur: वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय मेंभारतीय भाषा के उन्नयन में महाकवि सुब्रमण्यम भारती का योगदान" विषयक एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया है।

Kapil Dev Maurya
Published on: 11 Dec 2022 3:23 PM IST
Webinar
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Webinar (Image: Newstrack)

Jaunpur News: वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में रविवार को भारतीय भाषा उत्सव दिवस के अवसर पर जनसंचार विभाग और भारतीय भाषा, संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ द्वारा भारतीय भाषा के उन्नयन में महाकवि सुब्रमण्यम भारती का योगदान" विषयक एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया है। यह वेबिनार महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती समारोह पर आयोजित था।

''महाकवि सुब्रमण्यम भारती की शिक्षा उनकी इच्छा के विपरीत पिता के हुई दबाव''

इस अवसर पर मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. राजेश सरकार ने कहा कि महाकवि सुब्रमण्यम भारती की शिक्षा उनकी इच्छा के विपरीत पिता के दबाव में हुई। इसके बावजूद उन्होंने भारतीय भाषाओं के प्रचार -प्रसार में विशेष भूमिका निभाई। उनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह एक कवि होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार के साथ उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु के रूप में काम किया, इसलिए उन्हें महाकवि भारतियार के नाम से जाना जाता है।

भारतीय भाषा के उन्नयन में उनका विशेष योगदान

भारतीय भाषा के उन्नयन में उनका विशेष योगदान था। उन्होंने कविता और रचना के माध्यम से सभी भारतीय भाषाओं को छूने की कोशिश की। अध्यात्मिक और वैदिक ग्रंथों का तमिल में अनुवाद कर उन्होंने दक्षिण के लोगों तक राष्ट्रवाद और अध्यात्म को पहुंचाया। यही उनकी रचना के केंद्र में भी रहता था। वह नारी शिक्षा के पक्षधर थे। इस पर उन्होंने पांचाली शपथम् में भी विस्तार से बताया है।

महाकवि सुब्रमण्यम भारती दूरदृष्टि वाले थे: कुलपति

बतौर अध्यक्ष विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि महाकवि सुब्रमण्यम भारती दूरदृष्टि वाले थे। 100 वर्ष पहले ही उनके चिंतन में जो बात थी वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अब आई है। उनकी कविता और रचनाएं सामाजिक सरोकार राष्ट्रवाद और अध्यात्म से जुड़ी होती थी। उन्होंने कहा था कि राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आप की भाषा के साथ अगर हिंदी नहीं जुड़ी है तो आपका ज्ञान अधूरा है। उन्होंने कहा कि भाषा हमें समाज, प्रांत और राष्ट्र से जोड़ती है। इस अवसर पर प्रभारी भाषा केंद्र भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की डॉक्टर सुसान वर्गीस ने भारतीय भाषा उत्सव दिवस के उद्देश्य एवं दृष्टिकोण पर समग्र रूप से प्रकाश डाला। इस वेबीनार में प्रदेश की अन्य विश्वविद्यालयों में स्थापित भाषा केंद्र के सभी समन्वयक भी प्रतिभाग कर रहे थे।

वेबिनार में ये रहे प्रतिभाग

वेबिनार में स्वागत, संचालन और विषय प्रवर्तन कार्यक्रम संयोजक एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र और आभार आयोजन सचिव डॉ जाह्नवी श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर ढाका की डॉ पूनम गुप्ता, प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. मानस पांडेय, प्रो. मुराद अली, प्रो. राकेश यादव, डॉ सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. मिथिलेश यादव, डॉ.पुनीत धवन, मंगला प्रसाद यादव, डॉ विनय वर्मा, डॉ सुशील कुमार सिंह, डॉ वनीता सिंह और विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।

Deepak Kumar

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