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Meerut: मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद भी दौड़ रही डग्गामार बसें, निगम को सालाना 130 करोड़ का झटका

Meerut: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेशों के बावजूद मेरठ शहर में डग्गामार बसें खूब दौड़ रही हैं। डग्गामार बसें न केवल यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ कर रही है बल्कि रोडवेज को भी सालाना करीब 130 करोड़ रुपये का झटका दे रही है।

Sushil Kumar
Published on: 2 Jun 2022 9:52 AM GMT
Meerut News In Hindi
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मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद भी दौड़ रही डग्गामार बसें।

Meerut: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के सख्त आदेशों के बावजूद मेरठ शहर से दिल्ली, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, गजरौला और मुरादाबाद आदि रूट पर डग्गामार बसें खूब दौड़ रही हैं। डग्गामार बसें न केवल यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ कर रही है बल्कि रोडवेज (UP Roadways) को भी सालाना करीब 130 करोड़ रुपये का झटका दे रही है। सत्ताधारी नेताओं, परिवहन विभाग और पुलिस की तिकड़ी के आशीर्वाद से डग्गामार वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

डग्गामार बसों में सवारी बैठाकर मनमानी वसूल कर रहे किराया

दिल्ली के आनंद बिहार बस स्टैंड (Anand Vihar Bus Stand of Delhi) से डग्गामार बसों में सवारी बैठाकर मनमानी के साथ किराया वसूलते है और सवारी को हाईवे पर कहीं भी छोड़ देते है। दिल्ली आनन्द बिहार बस स्टैंड (Anand Vihar Bus Stand of Delhi) पर मेरठ, लखनऊ, मुरादाबाद, गोरखपुर आदि की ओर जाने वाली कही की भी सवारी को बैठा लेते है। डग्गामार बस में कम सवारी होने पर हाईवे पर रात के अंधेरे में कही भी छोड़ देते है। इतना ही सवारी को किराया भी वापस नहीं करते है। वहीं, डग्गामारों ने अपनी बसों का रंग न केवल रोडवेज की बसों जैसा करा रखा है बल्कि बसों की साइड में उत्तर प्रदेश परिवहन की जगह उत्तर प्रदेश परिवार लिखवा रखा है। रोडवेज बस होने के भ्रम में यात्री डग्गामार बसों में बैठ जाते हैं।

डग्गामारी करने वाले बसों के पास अमूमन आल यूपी और आल इंडिया परमिट

डग्गामारी करने वाले बसों के पास अमूमन आल यूपी और आल इंडिया परमिट होता है। नियम यह है कि इस तरह की बसों के संचालक एक जगह से सवारियां बुक करेंगे और दूसरे स्थान पर उसे उतार देंगे। रास्ते में न तो सवारियां उतारेंगे और न ही बैठाएंगे। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से डग्गामार बसों के संचालक सरकारी बस अड्डों के आसपास से और सार्वजनिक स्थलों से बेखौफ होकर पुकारते हुए सवारियां बैठाते और उतारते हैं। रोडवेज बसों में सफर करने वाले यात्रियों के टिकट राशि में ही बीमे का प्रीमियम भी शामिल होता है। दुर्घटना की स्थिति में यात्री को क्लेम दिया जाता है, लेकिन डग्गामार बस में यात्री का जीवन सुरक्षित नहीं होता है।

मेरठ क्षेत्र में दौड़ने वाली डग्गामार बसों की संख्या 180: राजीव त्यागी

परिवहन निगम से जुड़े एवं मेरठ क्षेत्र के मजदूर संघ के अध्यक्ष राजीव त्यागी (Labor union president Rajiv Tyagi) की मानें तो अकेले मेरठ क्षेत्र में दौड़ने वाली डग्गामार बसों की संख्या 180 हैं। बकौल राजीव त्यागी आमतौर पर एक बस रोजाना करीब 20 हजार रुपये की कमाई करती है। 180 बसों की कमाई पर नजर डाले तो तो यह कमाई 36 लाख रोजाना बैठती है। महीने में कमाई का आंकड़ा 10.80 करोड़ रुपये और सालाना 129.60 करोड़ रुपये बैठता है।

दरअसल, डग्गामारी में मोटा मुनाफा है। जो पार्टी सत्ता में आती है उसके स्थानीय नेता अपने-अपने इलाकों में डग्गामार वाहन चलवाते हैं। आरटीओ और पुलिस इन वाहनों को पकड़ने का साहस भी नहीं कर पाती है। इन बसों के पास कोई परमिट भी नहीं होता, बल्कि बसों के सामने और पीछे लिखे नाम विशेष लिखा रहता है। इन्हीं नामों से अंदाजा लगाया जाता है कि बसें किस नेता से संबंधित हैं। वहीं मेरठ क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबन्धक के.के.शर्मा का कहना है कि डग्गामार बसों के चलते रोडवेज बसों की आय प्रभावित हो रही है। आरटीओ और उच्च अधिकारियों को इनका संचालन बंद कराने के लिए हमारे स्तर से लगातार पत्र लिखे जा रहे हैं।

डग्गामार बसों के खिलाफ निरंतर चलता है अभियान: परिवहन अधिकारी

मेरठ क्षेत्र के परिवहन अधिकारी हिमेश तिवारी (Transport Officer Himesh Tiwari) ने कहा कि डग्गामार बसों के खिलाफ निरंतर अभियान चलता है। हालांकि मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद अभी तक कितनी डग्गामार बसें पकड़ी जा चुकी हैं इसकी कोई जानकारी उनके पास नही थी।

Deepak Kumar

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