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Meerut: पश्चिमी यूपी में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंजों का फैलता जाल, खुफिया विभाग हुआ चौकस

Meerut: मेरठ समेत पश्चिमी यूपी में करीब आधा दर्जन फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज पकड़े जा चुके हैं। वहीं, इस मामले को लेकर खुफिया विभाग अलर्ट है, ताकि फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले आरोपियों को पकड़ा जा सके।

Sushil Kumar
Published on: 15 Jun 2022 4:15 PM GMT
Meerut News In Hindi
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मेरठ में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज। (Social Media)

Meerut: उत्तर प्रदेश में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज (fake telephone exchange) देश की खुफिया एजेंसी के‌ लिए चिंता का सबव बने हैं। दरअसल,पिछले कुछ सालों में अकेले मेरठ समेत पश्चिमी यूपी में करीब आधा दर्जन फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज (fake telephone exchange) पकड़े जा चुके हैं। जानकारों के अनुसार फर्जी एक्सचेंज (fake telephone exchange) को चलाकर न सिर्फ देश को आर्थिक हानि पहुंचाई जाती है, बल्कि सुरक्षा को भी खतरा है। इस तरह से देश के बाहर से आने वाली कॉल का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता। फोन पर होने वाली बातचीत लॉकल कॉल होने के कारण एजेंसियों की नजर से बच जाती है और इसे सुना नहीं जाता। ऐसे में खुफिया जानकारी से लेकर तमाम बातें साझा की जा सकती हैं।

तिलकपुरम में तीसरी मंजिल पर अवैध तरीके से चलाया जा रहा था टेलीफोन एक्सचेंज

ताजा मामला मेरठ के गंगानगर क्षेत्र (Ganganagar area of Meerut) का है। यहां गंगानगर कॉलोनी (Ganganagar Colony) के अंदर तिलकपुरम में तीसरी मंजिल पर अवैध तरीके से टेलीफोन एक्सचेंज चलाया जा रहा था। इस टेलीफोन एक्सचेंज (fake telephone exchange) से आईएलडी (इंटरनेट लॉग डिस्टेंस ऑपरेशन) और इंटरनेशनल गेटवे को बाईपास कर खाड़ी देशों में हजारों कॉल की जा रही थीं। पुलिस और डीओटी (डिर्पाटमेंट ऑफ टेलीकॉम) की टीम ने सोमवार को यहां से188 सिम बरामद किए। आईएसडी कॉल के लिए यहां से वॉयल ऑफ इंटरनेट प्रोटोकॉल का प्रयोग कर पूरा खेल चल रहा था। टेलीकॉम डिपार्टमेंट अब सिम के रिकार्ड की भी जांच कर रहा है। यहां से सऊदी अरब में जिस एक कॉल पर 35 रुपये खर्च होने थे उस पर मात्र एक से दो रुपये खर्च में बात कराई जा रही थी।

अवैध टेलीफोन एक्सचेंजों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा

डीओटी के डायरेक्टर जनरल सिक्यूरिटी देब कुमार चक्रवर्ती (DOT Director General Security Deb Kumar Chakraborty) इस तरह के अवैध टेलीफोन एक्सचेंजों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मानते हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को पकड़े गए टेलीफोन एक्सचेंज में चीन की टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर 32 सिम का एक सिम बोक्स बनाया गया। ऐसे छह सिम बॉक्स मौके से बरामद किए गए। इसके साथ ही 16 पोर्ट या सिम का एक सिम बॉक्स का प्रयोग किया जा रहा था। इसमें फाइबर टू द होम का भी प्रयोग किया जा रहा था। डीओटी सीनियर डिप्टी डायरेक्टर संजीव अग्रवाल (dot senior deputy director sanjeev agarwal) ने बताया कि मौके से बिहार से खरीदे गए बीएसएनएल के 148 सिम से राजस्थान से खरीदे गए 40 सिम एयरटेल के बरामद किए गए हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में मेरठ में चार बार फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज (fake telephone exchange) पकड़ें जा चुके हैं।

मेरठ में 19 जनवरी 2015 को पकड़ा था पहला टेलीफोन एक्सचेंज

बता दें कि 19 जनवरी 2015 को पहला टेलीफोन एक्सचेंज मेरठ के गंगानगर में आईपीएस स्कूल के सामने पकड़ा गया था। इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। अक्टूबर 2015 में दूसरी बार कार्रवाई करते हुए दोबारा से फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज पकड़ा। दो लोगों की गिरफ्तारी की गई और 35 सिम बरामद किए गए। तीसरी बड़ी कार्रवाई मेरठ एसओजी और सर्विलांस टीम ने 9 जून 2017 को की। ब्रह्मपुरी और शास्त्रीनगर में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज पकड़े गए। गिरोह का सरगना सुमित शर्मा उर्फ रिंकू अफ्रीका की माराआईजन कंपनी में पांच साल आईटी हेड रह चुका था और उसी ने पूरा सेटअप तैयार किया था।

इन जगहों पर भी पकड़े गए फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज

मेरठ के अलावा पुलिस ने 30 मई 2021 को मुरादाबाद और नोएडा में दबिश देकर फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज पकड़ा था। इसके अलावा गोरखपुर में भी एसटीएफ ने 13 अगस्त 2021 को कार्रवाई की थी। इस निजी सर्वर एक्सचेंज पर दुबई, सऊदी अरब और कतर की कॉल आ रही थी। विदेशी कॉल को सिम बॉक्स के जरिए ट्रांसफर कर बात कराई जाती थी। विदेश से बात करने वाले को भारत के अंदर कॉल करने का जो रेट होता था, उतने पैसे ही देने पड़ते थे। इससे सबसे ज्यादा नुकसान भारत संचार मंत्रालय को हो रहा था। जिन कॉल को ट्रांसफर किया जाता था, उनके बारे कोई रिकार्ड नहीं होता।

सूत्रों के मुताबिक जिस तरह मोबाइल में एक और दो सिम लगाकर बात की जा सकती है, उसी तरह से सिम बॉक्स में एक साथ 32 से 64 सिम का प्रयोग किया जा सकता है। इन्हीं सिम बॉक्स के जरिए इंटरनेशनल वाइस कॉल को लोकल सिम में ट्रांसफर कर स्थानीय लोगों से सीधे बात करने की सुविधा दी है। अवैध तरीके से कराई जाने वाली इंटरनेशनल कॉल के पीछे मुनाफे की मोटी कमाई छिपी हुई है। अमूमन 10 से 12 रुपये के बीच होने वाली विदेशी कॉल अवैध तरीके से मात्र केवल एक से दो रुपये में संभव हो जाती है। ब्राडबैंड इंटरनेट की सहायता से लोकल कॉल को इंटरनेशनल कॉल में आसानी से बदल दिया जाता है।

Deepak Kumar

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