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चमत्कारी धागा है, अनंता सारे वैभव देगा जानिये कैसे
लखनऊ: भविष्य पुराण में बताया गया है कि भाद्र महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी कहा गया है। इस दिन कच्चे धागों से बने 14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से शेषनाग पर शयन करने वाले भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है। कच्चे सूत से बना यह धागा चमत्कारी हो जाता है यदि इसे विधि विधान से बांधा जाए।
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नियमतः यह धागा पूरे साल पुरुषों की दाहिनी कलाई और महिलाओं की बायीं कलाई पर रहना चाहिए। यदि आप ऐसा करने में सफल हो जाता हैं तो आपको जीवन की तमाम समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है और घर धन धान्य से भरा रहता है।
श्री कृष्ण ने राजलक्ष्मी की नाराजगी दूर करने को स्वयं बताई अनंता बनाने की विधि
जुए में अपना सब कुछ हारने के बाद जब पांडव दर दर भटक रहे थे ऐसे में एक दिन युद्धिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि हे यादव हम किस पाप की वजह से इस दशा को प्राप्त हुए हैं और हम इस दिशा से उबर कर कैसे अपना खोया हुआ वैभव पा सकते हैं। तब श्री कृष्ण ने कहा कि राजा हो कर आपके जुआ खेलने से आपकी राजलक्ष्मी नाराज हो गई हैं और पुनः उनकी प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए आपको अनंत चतुर्दशी का व्रत रखना चाहिए।
अनंत चतुर्दशी व्रत और अनंता बनाने की विधि
युधिष्ठिर के पूछने पर श्री कृष्ण ने कहा कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को कच्चे धागे में 14 गांठ लगाकर फिर उसे कच्चे दूध में डुबोकर ओम् अनंताय नमः मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित कर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए धारण करना चाहिए।
अनंता बांधने के बाद यह न करें
अनंता बांधने के बाद आपको मांसाहार नहीं करना चाहिए। यदि किया तो अनर्थ हो सकता है। इसके अलावा अनंता का निरादर नहीं करना चाहिए कम से कम 14 दिन बांधने के बाद उसका किसी नदी में विसर्जन करना चाहिए। यदि आप इसे साल पर बांधते हैं तो भगवान विष्णु की अनंत कृपा मिलती है।
अनंता के निरादर का परिणाम
कहते हैं कि कौडिण्य ऋषि ने इसका अनजाने में अपनी पत्नी के हाथ में इसे बंधा देखकर इसे जादू टोना समझा और तिरस्कार करते हुए इसे जला दिया था जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें भारी कष्ट भोगने पड़े। बाद में 14 साल तक अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने पर वह इस पाप से मुक्त हुए।