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श्मशान घाट पर हाहाकार, मेरठ में शवों के अंतिम संस्कार में हो रही दिक्कत
उत्तर प्रदेश के मेरठ के सूरजकुंड शवदाह गृह में सफाई व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कोरोना से मरे..
मेरठः उत्तर प्रदेश के मेरठ के सूरजकुंड शवदाह गृह में सफाई व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कोरोना से मरे लोगों के अंतिम संस्कार के बाद यह अच्छी तरह से सैनिटाइजेशन भी नहीं कराया जा रहा है। कल उस समय तो हद हो गई जब अंतिम संस्कार के लिए सूरजकुंड पहुंचे शव को उतारने के लिए कोई राजी नहीं हुआ।
बता दें कि पुरोहितों के बिना पीपीई किट कोई सहयोग ना करने से शव के साथ आए परिजनों के साथ ही मौके पर मौजूद लोंगो की आंखों में भी आंसू आ गए। बाद में अन्य व्यक्ति के अंतिम संस्कार में आए लोंगो का दिल पसीजा और बाजार से पीपीई किट लाकर पुरोहित को दी। जिसके बाद ही शव को एंबुलेंस से उतार कर अंतिम संस्कार हो सका।
गौरतलब है कि कोरोना के बढ़ते रफ्तार को देख लोगों डर हुआ है। हर रोज लाखों कि संख्या में कोरोना मरीज पाए जा रहे हैं. इस दौरान दूसरी तरफ श्मशान घाट पर अंतिम क्रिया कराने वाले पुरोहितों की मानें तो कोरोना पॉजिटिव शवों के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें पीपीई किट भी नहीं दी जा रही है। यहां तक कि मास्क भी उन्हें खुद बाजार से खरीदने पड़ रहे हैं। यही नही कर्मचारी और परिजन यहीं पर ग्लब्ज और मास्क छोड़कर चले जाते हैं।
लोगों की हो रही परेशानीः
बता दें कि दूसरी तरफ शवदाह गृह के 500 मीटर दूरी पर रहने वाले लोगों को सर्वाधिक परेशानी हो रही है। हवा के साथ दुर्गंध आती है। पहले यह समस्या नहीं थी। लॉकडाउन के बाद से यहां अव्यवस्था का बोलबाला है। स्थानीय लोंगो के अनुसार एक दिन में 7-8 कोरोना पॉजिटिव मृतकों के अंतिम संस्कार हो रहे हैं। यहां सुरक्षा संबंधी कोई सावधानी नहीं बरती जा रही हैं। गंगा मोटर कमेटी अंतिम संस्कार के बाद हाथ धोने के लिए साबुन तक उपलब्ध नहीं करा रही है। सूरजकुंड शवदाह गृह के एक आचार्य ने नाम प्रकाशित ना करने की शर्त पर बताया कि सैनिटाइजर तो बहुत दूर की बात है। कोरोना पॉजिटिव शवों के अंतिम संस्कार के लिए किट भी नहीं दी जा रही है। कोरोना पॉजिटिव शवों के अंतिम संस्कार के बाद लोग संक्रमित ग्लब्ज, मास्क आदि यहीं फेंक जाते हैं। ऐसे में यहां महामारी का खतरा बढ़ गया है।