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काला नमक खेती का मसला संसद में उठाया, जल्द ही समस्याओं का होगा समाधान: बृजलाल
धान की बेहन डालने का समय आ गया है। ऐसे में काला नमक धान की चर्चा एकबार फिर तेज हो गई है।
लखनऊ। धान की बेहन डालने का समय आ गया है। ऐसे में काला नमक धान की चर्चा एकबार फिर तेज हो गई है। किसान इस समय बेहन डालने की तैयारी में लग गए हैं, तो कछ जगह बेहन डाली भी जा चुकी है। वहीं खबर है कि सिद्धार्थनगर जनपद के गोदामों से काला नमक का बीज नदारद है। इन खबरों के बीच राज्यसभा सांसद बृजलाल बताया कि उन्होंने ज़िला कृषि अधिकारी एसपी सिंह से काला नमक के बीज के बारे में बात किया है। परम्परागत काला नमक के अलावा 'काला नमक किरन' सहित कई प्रजातियों के कुछ बीज गोदामों पर शीघ्र उपलब्ध होंगे।
उन्होंने का बीज का कोई संकट नहीं है, काला नमक की ख़ुशबू तब मिलती है, जब धान में बाली आने के समय ठंडक आ जाय। गर्म वातावरण होने पर ख़ुशबू चावल में सेट नहीं होती है। पहले हथिया नक्षत्र के बाद ठंडक आ जाती थी, परंतु जलवायु- परिवर्तन के कारण जाड़े का मौसम देर से आ रहा है। इसलिए काला नमक की नर्सरी 15 जून को डाले और उसी अनुसार रोपाई करें, तो काला नमक में अच्छी ख़ुशबू मिलेगी और चावल की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
राज्यसभा सांसद ने कहा, मुझे प्रसन्नता है कि काला नमक को सिद्धार्थनगर में 'एक जिला, एक उत्पाद' प्रोत्साहन योजना में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि काला नमक को इस योजना में लाने के लिए मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कई बार मिला और इस चावल के इतिहास के बारे में 12 पृष्ठ का पत्र दिया था। साथ ही मैंने यह भी लिखा है क़ि मेटुका क्षेत्र में अंग्रेज़ों द्वारा बनायी गयी 'नहर प्रणाली' को चालू किया जाय। बजहां, मरथी , मझौली, मोती सागरों को मछली वालों को ठेके पर न उठाया जाय।
केवल सिंचाई के लिए ही इन सागरों का प्रयोग किया जाय, अन्यथा मछली के ठेकेदार सागरों का पानी निकाल कर मछली पकड़ते है और किसानों को काला नमक की खेती के लिए पानी नहीं मिल पाता है। मैं सिंचाई की यह व्यवस्था अवश्य लागू करवाऊंगा, यह सिद्धार्थनगर के किसानों से मेरा वादा है। उन्होंने कहा, मुझे यह बताने में हर्ष हो रहा है, की 'एक ज़िला, एक उत्पाद' योजना में काला नमक के आने के कारण, अब इस चावल पर काफ़ी रीसर्च भी शुरू हो गया है। मैंने राज्य सभा में भी इसे उठाया था।