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लखनऊ का सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल रेपर्टवा (सीज़न-8) की तैयारी शुरू
राजधानी का सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल रेपर्टवा (सीज़न-8) आगामी 11 दिसंबर से 17 दिसंबर तक संगीत नाटक अकादमी गोमतीनगर में आयोजित होने वाला है। फेस्टिवल की तैयारियां अपने शिखर पर हैं। ये पहली बार है जब लखनऊ में किसी थिएटर फेस्टिवल के लिए इतने विशाल स्तर पर तैयारियां की जा रहीं हों। इन तैयारियों में बहुत कुछ ऐसा है जो लखनऊ में बिल्कुल पहली बार हो रहा है।
लखनऊ: राजधानी का सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल रेपर्टवा (सीज़न-8) आगामी 11 दिसंबर से 17 दिसंबर तक संगीत नाटक अकादमी गोमतीनगर में आयोजित होने वाला है। फेस्टिवल की तैयारियां अपने शिखर पर हैं। ये पहली बार है जब लखनऊ में किसी थिएटर फेस्टिवल के लिए इतने विशाल स्तर पर तैयारियां की जा रहीं हों। इन तैयारियों में बहुत कुछ ऐसा है जो लखनऊ में बिल्कुल पहली बार हो रहा है।
शहर के सबसे बड़े थिएटर फेस्टिवल रेपर्टवा के आठवें संस्करण की तैयारियां अपने शबाब पर हैं। फेस्टिवल 11 दिसंबर से 17 दिसंबर तक गोमती नगर के संगीत नाटक अकादमी में होगा। फेस्टिवल के लिए कार्यक्रम-स्थल को ख़ास-तौर पर तैयार किया जा रहा है। इसके साथ ही फेस्टिवल से जुड़ी अन्य तैयारियों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। आयोजकों के मुताबिक फेस्टिवल का आठवां सीज़न अब तक का सबसे भव्य संस्करण होगा, जिसके लिए भव्यतम स्तर पर तैयारी की जा रही है।
पहली बार हो रही इस स्तर पर तैयारी: आयोजक
रेपर्टवा के सह-संस्थापक भूपेश राय कहते हैं कि लखनऊ में किसी थिएटर फेस्टिवल के लिए ऐसी तैयारी पहली बार हो रही है। संगीत नाटक अकादमी को जिस तरह सजाया जा रहा है उससे वहां आने वाले लोगों में फेस्टिवल को लेकर उत्सुकता पैदा हो रही है। नाटक और दूसरी कला-विधाएं अत्यधिक संवेदनशील एवं सूक्ष्मता भरे माहौल की मांग करती हैं, अगर ऐसा न हो तो इनका मज़ा ख़राब हो जाता है, इसी का ध्यान रखते हुए लखनऊ में भी विशालतम स्तर की तैयारियां की जा रही हैं।
ऑर्गेनिक मटीरियल से हो रहा वेन्यू का श्रंगार
फेस्टिवल के लिए कार्यक्रम स्थल को ख़ास तौर पर तैयार किए गए ऑर्गेनिक मटीरियल से सजाया जा रहा है। इसमें कपड़ा, पेड़-पौधे, लकड़ियां, बांस, धागे, गमले, काग़ज़ जैसी चीज़ें शामिल हैं। ये सारी सजावट रंग-बिरंगी "डूडल थीम" पर की जा रही है। सजावट में हस्त-निर्मित कलाकृतियों तस्वीरों एवं सामग्रियों का इस्तेमाल हो रहा है। कार्यक्रम स्थल की सजावट के लिए स्थानीय कलाकारों के अलावा बंबई से कलाकारों की टीम आई है। फेस्टिवल में अभी कुछ दिन बाक़ी हैं मगर संगीत नाटक अकादमी अभी से बेशुमार रंगों में नहाई हुई है।
पुस्तक-प्रेमियों के लिए बन रहा रेपर्टवा बुक कैफ़े
अकादमी के लॉन में ख़ास तौर पर रेपर्टवा बुक कैफ़े का निर्माण किया जा रहा है। इस कैफ़े में चाय कॉफी की सुविधा के अतिरिक्त 10 हज़ार से ज़्यादा किताबें होंगी। इन्हें सजाने के लिए साज़-ओ-सामान तैयार किया जा रहा है। इन किताबों को दर्शक वहीं बैठकर पढ़ भी सकते हैं और ख़रीद भी सकते हैं। इस कैफ़े की ख़ास बात ये होगी कि इसमें फेस्टिवल में आने वाले सभी कलाकारों की पसंदीदा किताबें उनके हस्ताक्षर के साथ प्राप्त की जा सकती हैं। इसके अलावा कैफ़े में एक स्केच प्रदर्शनी भी होगी जिसके लिए स्केच निर्माण चल रहा है।
भव्य नाट्य सेट एवं स्टेज का निर्माण
फेस्टिवल में 7 नाटक आ रहे हैं, जिनके सेट और दूसरी आवश्यक सामग्रियों का निर्माण शहर में ही हो रहा है। ये सेट भारी भरकम तो हैं जटिल एवं जीवंत भी हैं। बर्फ एवं धूम्रपान जैसे नाटकों के लिए डबल स्टोरी सेट्स का निर्मांण हो रहा है तो लॉरेटा के लिए परदों के संचालन हेतु ख़ास मशीन की व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा स्टैण्ड-अप कॉमेडी और संगीत के लिए अलग स्टेज तैयार किया जा रहा है जिसे विंटर मून पवेलियन नाम दिया गया है। इस स्टेज का निर्माण और साज-सज्जा सर्दियों के चांद को प्ररेणा मानकर किया जा रहा है। इस तमाम निर्माण कार्य में बढ़ई, वेल्डर, पेंटर, फेब्रिकेटर, लेबर, इलेक्ट्रीशियन आदि को मिलाकर 70 लोगों से अधिक का दल दो पालियों में चौबीस घंटे काम कर रहा है।
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